Nursery Of Horticultural Crops: डैम्पिंग ऑफ रोग विभिन्न मृदा-जनित रोगजनकों के कारण होता है, जिनमें पाइथियम, राइज़ोक्टोनिया और फ्यूसेरियम की प्रजातियां शामिल हैं. डैम्पिंग ऑफ रोग में मुख्यतया नवजात या युवा पौधों का अचानक मुरझाना, पीला पड़ना और अंततः मिट्टी की की सतह के ठीक ऊपर या ऊपर मरना है. यह रोग विशेष रूप से नर्सरी, ग्रीनहाउस और खेतों में विनाशकारी हो सकता है जहां पौधे उगाए जाते हैं. स्वस्थ पौधों की स्थापना सुनिश्चित करने और फसल की पैदावार को अधिकतम करने के लिए डैम्पिंग ऑफ रोग का प्रभावी प्रबंधन करना अत्यावश्यक है. डैम्पिंग ऑफ के लिए जिम्मेदार रोगजनक कई फंगल रोगजनकों को डैम्पिंग ऑफ रोग का कारण बनने के लिए जाना जाता है.
सबसे आम है पाइथियम प्रजातियां, राइजोक्टोनिया प्रजातियां, और फ्यूसेरियम प्रजातियां शामिल हैं. ये रोगज़नक़ नम, खराब जल निकासी वाली मिट्टी में पनपते हैं और मिट्टी में आराम कर रहे बीजाणुओं या माइसेलियम के रूप में लंबे समय तक जीवित रह सकते हैं. इस समय किसान जाड़े के समय लगाए जाने वाले फल,फूल एवं सब्जी हेतु सीडलिंग को नर्सरी उगने में व्यस्त है. इस समय उन्हें एक समस्या से दो चार होना पड़ रहा है, इस समस्या में छोटे पौधे (सीडलिंग) जमीन की सतह से गल कर गिर जा रहे है, उन्हें समझ नही आ रहा है की क्या करें. इस समस्या को डैंपिंगऑफ कहते है. डैंपिंग ऑफ नर्सरी में लगने वाली एक आम बीमारी है जो ज्यादातर नर्सरी में सब्जियों के बीज बोने की अवस्था में होती है.
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यह अंकुरों को बहुत जल्दी मार देता है. यह रोग मृदा जनित कवक के कारण होता है और कई फसलों (नर्सरी में उगाई जाने वाली सभी जैसे कोल फ़सल, टमाटर और मिर्च,पपीता,गेंदा का फूल इत्यादि जिसकी भी नर्सरी तैयार करते है) पर हमला करता है. तने पर लक्षणों में जमीनी स्तर पर भूरे पानी के धंसे हुए घाव शामिल हैं. धीरे-धीरे तना या जड़ें सड़ जाती हैं और अंकुर जमीन की सतह पर गिर जाता है और मर जाता है. उच्च घनत्व, उच्च आर्द्रता और उच्च तापमान में नर्सरी में उगाए लगभग सभी फल,फूल और सब्जी के अंकुर के समय होने वाले प्रमुख रोगों में से एक हैं. जब पौधे बड़े हो जाते हैं तो वे इस रोग के प्रति अधिक प्रतिरोधी हो जाते हैं और नियंत्रण के उपाय अनावश्यक होते हैं.
डैंपिंगऑफ बीमारी को करें प्रबंधित
अच्छे हवादर (वातन) के साथ धूप वाले क्षेत्र को नर्सरी बेड हेतु चयन करें. सुनिश्चित करें कि नर्सरी बेड अच्छी तरह से सूखा रहे. यदि संभव हो तो सीडलिंग सीड ट्रे या जिसे प्रो ट्रे भी कहते हैं, उसमे उगाए. इससे लगाने से उन्हें उचित गणना में मदद मिलेगी और उचित प्रबंधन में भी मदद मिलेगी. इसके अलावा ट्रे बारिश के दौरान या अन्य किसी प्रतिकूल मौसम की स्थिति को नियंत्रित करने में मदद करती है. नर्सरी बेड में मिट्टी को सूर्य की धूप से निर्जमीकृत (सॉयल सोलराइजेशन) करें. तैयार नर्सरी बेड को गीला करें फिर सफेद प्लास्टिक (250-300 गेज) से ढक दें ताकि यह 21 दिनों तक एयर टाइट रहे. फिर, प्लास्टिक हटा दें और नर्सरी बेड को 3 दिनों तक के लिए खुला छोड़ दें.
रोगनिरोधी उपाय
बीज की गुणवत्ता: उच्च गुणवत्ता वाले रोग-मुक्त बीजों से शुरुआत करें. प्रतिष्ठित स्रोतों से बीज खरीदना और उचित भंडारण की स्थिति सुनिश्चित करना आपके रोपण में रोगजनकों के प्रवेश के जोखिम को कम करता है.
बीज उपचार: सदैव उपचारित बीजों का ही प्रयोग करें. कवकनाशी या जैविक एजेंटों के साथ बीज उपचार से नमी से सुरक्षा मिल सकती है. रोपण से पहले बीजों को कवकनाशी मिश्रण से लेप करना एक प्रभावी निवारक उपाय हो सकता है. यदि बीजों को उपचारित नहीं किया गया है, तो उन्हें कार्बेन्डाजिम @2 ग्राम/किग्रा बीज के साथ एक कंटेनर में रखें, ढक्कन बंद करें और अच्छी तरह से हिलाएं, इस प्रकार से बीजों को उपचारित करें. बीज का उपचार ट्राइकोडरमा @10 ग्राम ट्राइकोडरमा प्रति लीटर पानी की दर से भी किया जा सकता है.
रोगाणुरहित मिट्टी: प्रारंभिक रोगज़नक़ भार को कम करने के लिए रोगाणुहीन या पाश्चुरीकृत पॉटिंग मिश्रण या मिट्टी का उपयोग करें. यह ग्रीनहाउस और नर्सरी संचालन के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है. नर्सरी में उपयोग करने से पहले औजारों को खूब अच्छी तरह से साफ पानी से अच्छी तरह धो लें.
उचित जल निकासी: फफूंद के विकास को बढ़ावा देने वाली जलभराव की स्थिति को रोकने के लिए रोपण कंटेनरों और खेतों में उचित जल निकासी सुनिश्चित करें. पर्याप्त वातन रोगज़नक़ के विकास को रोकता है.
दूरी: पौधों के बीच उचित दूरीअंकुरों के आसपास नमी के स्तर को कम करता है, जिससे फंगल रोगजनकों के पनपने के लिए यह कम अनुकूल हो जाता है. पौधो को घना होने से बचाने के लिए पंक्ति से पंक्ति के बीच अंकुर की दूरी 10 सेमी और पौधे से पौधे के बीच 2 सेमी रखें. कमजोर और अस्वस्थ पौध को हटा दें.
विभिन्न कृषि कार्य
फसल चक्र: फसल चक्र अपनाने से रोग चक्र को तोड़ने में मदद मिलती है, क्योंकि अलग-अलग फसलें अलग-अलग प्रकार के रोगज़नक़ों के प्रति संवेदनशील होती हैं. गैर-मेज़बान पौधों के साथ अतिसंवेदनशील फसलों को लगाने से मिट्टी में रोगज़नक़ों की आबादी कम होती है.
स्वच्छता: नर्सरी, ग्रीनहाउस और खेतों में स्वच्छ और स्वच्छता की स्थिति बनाए रखें. रोग को फैलने से रोकने के लिए संक्रमित पौधों, औजारों और मलबे को हटा दें और नष्ट कर दें.
जैविक नियंत्रण
लाभकारी सूक्ष्मजीव: ट्राइकोडर्मा प्रजातियां जैसे लाभकारी सूक्ष्मजीवों का उपयोग करें जो रोगज़नक़ों को नष्ट करने के लिए विरोधी के रूप में कार्य करते हैं. ये सूक्ष्मजीव पौधों की जड़ों पर निवास कर सकते हैं और सुरक्षा प्रदान करते हैं.
जैव कीटनाशक: लाभकारी सूक्ष्मजीवों या प्राकृतिक यौगिकों वाले जैव कीटनाशकों का उपयोग करें जो रोगजनकों को नष्ट करने में मदद करते हैं.
रासायनिक नियंत्रण
जब नमी के लक्षण दिखाई देते हैं, या जब रोग के विकास के लिए परिस्थितियां अनुकूल होती हैं, तो कवकनाशी का उपयोग आवश्यक हो जाता है. यदि डैंपिंगऑफ रोग के लक्षण दिखाई दें तो रिडोमिल+मैनकोजेब युक्त फफुंदनाशक दवा @1.5 ग्राम प्रति लीटर पानी का छिड़काव नर्सरी की पौध में करें. ऐसे कवकनाशी चुनें जिन पर नमी नियंत्रण के लिए लेबल लगा हो, और उपयोग संबंधी निर्देशों का सावधानीपूर्वक पालन करें. फफुंदनाशक/कीटनाशक का उपयोग करते समय, हमेशा सुरक्षात्मक कपड़े पहनें और उत्पाद लेबल पर दिए गए निर्देशों का पालन करें, जैसे कि खुराक,प्रयोग का समय इत्यादि.
पर्यावरण प्रबंधन
तापमान और आर्द्रता नियंत्रण: ग्रीनहाउस या बढ़ते वातावरण में उचित तापमान और आर्द्रता का स्तर बनाए रखें. अत्यधिक नमी से बचें और अच्छा वायु संचार सुनिश्चित करें.
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