1. Home
  2. बागवानी

आम की फसल में गमोसिस रोग का ऐसे करें प्रबंधन, गुणवत्ता और उपज में होगी बढ़ोतरी

Mango Crop Diseases: गमोसिस रोग आम की उपज और गुणवत्ता को प्रभावित करने वाला गंभीर रोग है. इसका प्रभावी प्रबंधन केवल एकीकृत दृष्टिकोण (Integrated Disease Management) से ही संभव है, जिसमें कल्चरल, जैविक, रासायनिक और पोषण प्रबंधन का समुचित समन्वय हो. गमोसिस रोग के प्रबंधन के लिए नियमित निगरानी, समय पर उपचार और सही कृषि पद्धतियों का पालन आवश्यक है. इससे न केवल रोग को नियंत्रित किया जा सकता है, बल्कि आम उत्पादन में भी वृद्धि सुनिश्चित की जा सकती है.

डॉ एस के सिंह
डॉ एस के सिंह
आम के स्वास्थ्य का राज: गमोसिस का सही प्रबंधन
आम के स्वास्थ्य का राज: गमोसिस का सही प्रबंधन (Image Source:Freepik)

Mangifera indica: गमोसिस रोग आम के प्रमुख रोगों में से एक है, जो प्रायः Phytophthora spp., Botryodiplodia Theobromae, और Fusarium spp. जैसे फफूंदों के कारण होता है. यह रोग मुख्यतः तनों, जड़ों और फलों को प्रभावित करता है, जिससे पेड़ की वृद्धि, उत्पादकता और फलों की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. गमोसिस रोग की पहचान, कारण, लक्षण और प्रबंधन की समुचित जानकारी से इस समस्या को प्रभावी रूप से नियंत्रित किया जा सकता है.

गमोसिस रोग के लक्षण

  • तनों पर गोंद का रिसाव: तनों और शाखाओं से चिपचिपा गोंद निकलता है. यह प्रभावित क्षेत्र पर भूरे या काले रंग के धब्बों के साथ दिखाई देता है.
  • पत्तियों का पीला पड़ना: रोगग्रस्त पेड़ों की पत्तियां पीली होकर झड़ने लगती हैं.
  • फलों का गिरना: रोग के कारण कच्चे फल समय से पहले गिर जाते हैं.
  • तनों का सूखना: गंभीर संक्रमण के कारण तने सूखने लगते हैं और पेड़ धीरे-धीरे मरने लगता है.
  • जड़ सड़न: गमोसिस के कारण जड़ों का सड़ना प्रारंभ हो सकता है, जिससे पौधे की पोषण अवशोषण क्षमता प्रभावित होती है.

गमोसिस रोग के कारण/Causes of Gummosis Disease

  • फफूंद जनित संक्रमण: Phytophthora spp. प्रमुख कारण है, जो गीली मिट्टी और अधिक आर्द्रता में तेजी से फैलता है.
  • अत्यधिक सिंचाई: जल जमाव के कारण मिट्टी में ऑक्सीजन की कमी होती है, जो फफूंद के विकास के लिए उपयुक्त स्थिति बनाती है.
  • यांत्रिक चोट: तनों पर कटाव या छाल के हटने से फफूंद संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.
  • पोषक तत्वों की कमी: जिंक, बोरॉन, और पोटाश की कमी से पेड़ कमजोर हो जाते हैं, जिससे रोग का खतरा बढ़ता है.

गमोसिस रोग का प्रबंधन/Management of Gummosis Disease

1. कल्चरल प्रबंधन

नालियों का निर्माण: बगीचे में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें ताकि पानी का जमाव न हो.

पौधों का उचित अंतर: पेड़ों के बीच पर्याप्त दूरी बनाए रखें ताकि हवादारी बनी रहे और नमी का स्तर नियंत्रित हो.

स्वस्थ पौधों का चयन: गमोसिस-प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग करें और स्वस्थ पौधों की रोपाई करें.

साफ-सफाई: संक्रमित तनों, पत्तियों और शाखाओं को काटकर जला दें ताकि रोग फैलने न पाए.

2. जैविक प्रबंधन

ट्राइकोडर्मा का उपयोग: Trichoderma harzianum और Trichoderma viride जैव नियंत्रण एजेंट के रूप में प्रभावी हैं. इन्हें मिट्टी में मिलाने से फफूंद का प्रसार नियंत्रित होता है.

प्राकृतिक निष्कर्षण: नीम का तेल (5%) या लहसुन-नीम का अर्क रोगग्रस्त भागों पर छिड़काव करें.

माइकोराइजा का प्रयोग: माइकोराइजा फफूंद जड़ों की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर रोग को नियंत्रित करने में मदद करती है. इसके लिए आप आम के पुराने बागीचे की 5 किग्रा मिट्टी को नए लगाए गए बाग में पेड़ के चारों तरफ बिखेर देना चाहिए.

3. रासायनिक प्रबंधन

फफूंदनाशकों का उपयोग

Metalaxyl (2.75%) + Mancozeb (75%) का मिश्रण 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर प्रभावित भागों पर छिड़कें.

Copper oxychloride (3 ग्राम/लीटर) का तनों और शाखाओं पर पेस्ट बनाकर लगाएं.

मिट्टी में Ridomil Gold (25 WP) 1.5 ग्राम प्रति लीटर की दर से डालें.

मिट्टी ड्रेंचिंग: ग़मोसिस के साथ यदि पेड़ के सूखने की समस्या हो तो रोको-एम (3 ग्राम/लीटर) का घोल बनाकर मिट्टी में अच्छी तरह से ड्रेंचिंग करें. वयस्क (10 वर्ष के) पेड़ के लिए लगभग 30 लीटर घोल आवश्यक, 10 दिन बाद पुनः ड्रेंचिंग करें.

बोर्डो पेस्ट: 1 किग्रा चूना, 1 किग्रा तूतीया और 10 लीटर पानी से तैयार बोर्डो पेस्ट को पेड़ के तने पर (5-5.5 फीट ऊंचाई तक) साल में दो बार पुताई करें: पहली बार जुलाई-अगस्त में एवं दूसरी बार फरवरी-मार्च में. यह फफूंद जनित रोगों जैसे शीर्ष मरण, छिलकों का फटना आदि से बचाव करेगा.

बोर्डो पेस्ट बनाने की विधि

आवश्यक सामग्री

कॉपर सल्फेट 1 किग्रा; बिना बुझा चूना 1 किग्रा; पानी 10 लीटर जूट बैग, छलनी, लकड़ी की छड़ी.

निर्माण प्रक्रिया

  • कॉपर सल्फेट को पानी की आधी मात्रा में घोलें.बिना बुझा चूना पानी में घोलकर बुझाएं.
  • चूने और कॉपर सल्फेट के घोल को धीरे-धीरे मिलाएं. लगातार लकड़ी की छड़ी से चलाते रहें. तैयार घोल का तुरंत उपयोग करें.

सावधानियां

  • लोहे या गैल्वेनाइज्ड बर्तन का उपयोग न करें.
  • किसी अन्य रसायन या कीटनाशक के साथ न मिलाएं.

4. पोषण प्रबंधन

मिट्टी की उर्वरता बढ़ाना: जैविक खाद, वर्मी-कंपोस्ट, और हरी खाद का उपयोग करें.

10 साल या दस साल से बड़े आम के पेड़ो में 1 किग्रा नत्रजन, 500 फास्फोरस एवं 800 ग्राम पोटाश प्रति पेड़ लगभग 2 मीटर दूर रिंग बनाकर देना चाहिए. पोटाशियम क्लोराइड का संतुलित उपयोग जड़ों और तनों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है.

सूक्ष्म पोषक तत्व: जिंक सल्फेट (0.5%) और बोरॉन (0.1%) का पत्तियों पर छिड़काव करें.

गमोसिस रोग की रोकथाम के लिए सावधानियां

  • जल प्रबंधन: बगीचे में सिंचाई का समुचित प्रबंधन करें और पानी के जमाव से बचें.
  • घावों का उपचार: तनों और शाखाओं पर कटाव होने पर तुरंत बोर्डो पेस्ट या फफूंदनाशक लगाएं.
  • नर्सरी प्रबंधन: स्वस्थ और रोगमुक्त पौधों का चयन सुनिश्चित करें.
  • रोग का प्रारंभिक निदान: रोग के लक्षण दिखने पर तुरंत उपचारात्मक उपाय करें.
  • रोगग्रस्त पौधों का निष्कासन: गंभीर रूप से संक्रमित पौधों को बगीचे से हटा दें.
English Summary: Manage gummosis disease mango crop increase quality yield Published on: 20 January 2025, 10:47 IST

Like this article?

Hey! I am डॉ एस के सिंह. Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News