नाशपाती मूलतः चीन का फल है, लेकिन आज दुनिया भर में इसकी खेती की जाती है. आज नाशपाती की लगभग 3 हजार से अधिक किस्में मौजूद हैं जो स्वाद और रंग-रूप में अलग-अलग होती हैं. इसकी बागवानी बलुई दोमट और गहरी मिट्टी में अच्छी होती है. दरअसल, यह एक पर्णपाती वृक्ष है, जो मैदानी क्षेत्रों की गर्म आर्द्र उपोष्ण क्षेत्रों में आसानी से उगाया जा सकता है. वहीं ऊंचाई वाले शुष्क शीतोष्ण क्षेत्रों में भी इसके वृक्ष लगाए जा सकते हैं.
इसके फलों में फाइबर और आयरन की भरपूर मात्रा होती है. इस वजह से इसके सेवन से हीमोग्लोबिन की पूर्ती की जा सकती है. ऐसे में नाशपाती की खेती किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है. इसके लिए इसकी उन्नत किस्मों का चुनाव करना बेहद आवश्यक होता है. वैसे तो नाशपाती की सैकड़ों किस्में मौजूद है, लेकिन आलू और समशीतोष्ण फल अनुसंधान केंद्र ने नाशपाती की कई किस्मों में से कुछ किस्मों का चयन किया है जो इसकी बेहतरीन किस्मेंमानी जाती है, जिससे किसानों के साथ खाने वाले को भी विशेष लाभ मिलते हैं. तो आइए जानते नाशपाती की इन उन्नत किस्मों के बारे में-
पत्थर नख
इस किस्म का फल देखने में हरा, गोल तथा सामान्य आकार का होता है. जिसके ऊपर छोटी-छोटी बिंदिया बनी होती है. इस किस्म के फल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे अधिक समय तक स्टोरेज किया जा सकता है. वहीं इसका गुदा रसभरा एवं कुरकुरा होता है. इसके प्रत्येक वृक्ष से 150 किलो उत्पादन आसानी से लिया जा सकता है. जुलाई के अंतिम सप्ताह में इसके फल पक जाते हैं. सुदूर अंचलों या शहरों तक पहुँचाना इसे आसान होता है.
पंजाब नख
वैसे तो इस किस्म को भी पत्थर नख से ईजाद किया गया है, लेकिन इससे पैदावार अधिक होती है. हर वृक्ष से 190 किलो तक उत्पादन लिया जा सकता है. जुलाई के अंतिम सप्ताह में पकने वाली इस किस्म का फल देखने में हल्के पीले रंग तथा अंडाकार होते हैं. पत्थर नख की तरह इसका गुदा भी रसभरा तथा कुरकुरा होता है.
पंजाब ब्यूटी
इस किस्म के वृक्ष मध्यम आकार के होते हैं जो सालभर फल देते हैं. इसके प्रत्येक वृक्ष से 80 किलो तक उत्पादन लिया जा सकता है. इसका फल आकार में बड़ा, नरम और स्वाद में मीठा होता है. जुलाई के तीसरे सप्ताह में इसके फल पककर तैयार हो जाते हैं.
पंजाब नेक्टर
नाशपाती की इस किस्म के फल नरम तथा बड़े आकार के होते हैं. वहीं इसके फल देखने में पीले रंग के होते हैं, जिसमें से मीठे रंग का सफेद गुदा निकलता है. जो पकने के बाद बेहद रसीले और मीठे लगते हैं.
बागूगोसा
इस किस्म के फल देर से पकते हैं. ऐसे में जो किसान पछेती फसल बेचना चाहते हैं , यह किस्म उनके लिए बेहतर है. यह किस्म अगस्त महीने में पककर तैयार हो जाती है.
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