कोरोनाकाल के दौरान भारत ही नहीं विदेशों में भी हर्बल प्रोडक्ट्स की मांग बहुत बढ़ गई है. लोग अपनी इम्युनिटी बढ़ाने के लिए और त्वचा को स्वस्थ रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा हर्बल प्रोडक्ट खरीदना चाहते हैं. यह शरीर के लिए सुरक्षित भी होते हैं और उनके फायदे भी जल्दी नजर आते हैं. यही कारण है कि हर्बल प्रोडक्ट्स के बाजार का बहुत विस्तार हुआ है.
इन्हीं हर्बल प्रोडक्ट में सबसे महत्वपूर्ण है आंवला
आंवला न सिर्फ शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाता है बल्कि यह विटामिन सी का भी महत्वपूर्ण स्रोत है. यह आंखों और त्वचा के लिए वरदान की तरह है. भारत में अनादि काल से आंवले से बनी जड़ी बूटियों का सेवन किया जा रहा है. यह आयुर्वेद में चमत्कार की तरह माना जाता है. एक बार यदि आंवले की खेती (Amla farming)की सही शुरुआत कर दी जाए, तो साल दर साल मुनाफे में वृद्धि होती ही रहती है.
कैसे करें आंवले की बागवानी
आंवले की सबसे ज्यादा बागवानी भारत में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु में की जाती है. इसकी खेती करना बहुत आसान है, क्योंकि इसके लिए सभी प्रकार की मिट्टी उपयुक्त होती है. हालांकि पैदावार वृद्धि की दृष्टि से बलुई मिट्टी को सबसे अच्छा माना जाता है. आंवले की खासियत यह है कि यह कम बारिश वाले इलाकों में भी खूब फलता-फूलता है. यदि जून-जुलाई में इसकी बागवानी की तैयारी कर ली जाए तो मुनाफा कई गुना बढ़ाया जा सकता है.
आंवला की किस्में
कृष्ण, कंचन, नरेंद्र और गंगा बनारसी जैसी आंवले की किस्में बेहतरीन मानी जाती है, क्योंकि इनमें कीड़े और बीमारियों की संभावना कम रहती है और पैदावार भी अच्छी होती है.
कैसे करें खेती की तैयारी
-एक हेक्टेयर जमीन पर आंवला उगाने के लिए 1 से 1.5 मीटर गहरी खुदाई करें
-गड्ढ़ों के बीच की दूरी 8 से 10 मीटर रखें. कंकड़ पत्थर निकालकर अलग कर दें और इन गड्ढों को बारिश के पानी से भरने दें.
-जुलाई में जब रोपाई का समय आए तब इस पानी को बाहर निकाल दें.
- इसमें गोबर की खाद नीम की खली बालू और जिप्सम का मिश्रण डालकर गड्ढे को ऊपर तक भर दें.
आंवले की रोपाई
नर्सरी तैयार करके जुलाई से सितंबर के बीच में रोपाई करना अच्छा रहता है. आंवले के पौधे को 1 मीटर की गहराई पर बोया जाए. कोशिश करें कि आंवले की कम से कम दो किस्में लगाएं. इससे पौधे आपस में परागकण करते हैं जिसका फायदा फसल को मिलता है. रोपाई के बाद आंवले की सिंचाई शुरू की जा सकती है. गर्मियों में पौधों को हर सप्ताह पानी दिया जा सकता है. बारिश में सिंचाई कम की जा सकती है. जब आंवले का पेड़ बड़ा हो जाता है तो इसे अधिक पानी की आवश्यकता नहीं रहती. जब आंवले के पौधों में फूल निकल रहे हों, तब सिंचाई ना करें. आंवले की बुआई 25 दिनों बाद इसकी निराई - गुड़ाई करें, ताकि अनावश्यक खरपतवार हटाई जा सके.
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