
बिहार में कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) का क्षेत्रीय कार्यालय पटना के कृषि भवन, मीठापुर में स्थापित किया जाना राज्य के फल उत्पादक किसानों के लिए एक ऐतिहासिक एवं दूरगामी महत्व का कदम है. विशेषकर केला, पपीता, लीची, अमरूद, मखाना एवं सब्जी उत्पादकों को इससे निर्यात के क्षेत्र में बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा.
इस क्षेत्रीय कार्यालय की स्थापना से किसानों, एफपीओ, प्रोसेसिंग यूनिट्स एवं कृषि उद्यमियों को प्रमाणीकरण, प्रशिक्षण, पैकहाउस स्वीकृति, ट्रेसेबिलिटी, मानकीकरण एवं तकनीकी सहायता जैसी सभी सेवाएं अब स्थानीय स्तर पर ही उपलब्ध होंगी. इससे समय और लागत की बचत होगी, साथ ही वैश्विक बाज़ार में बिहार के कृषि उत्पादों को बेहतर पहचान और मूल्य मिलेगा.
केला एवं पपीता उत्पादकों को विशेष लाभ
गुणवत्ता प्रमाणन: निर्यात योग्य किस्मों (जैसे ‘ग्रैंड नैन’ केला व ‘रेड लेडी’ पपीता) का वैश्विक मानकों के अनुरूप उत्पादन संभव होगा.
प्रसंस्करण एवं पैकिंग में सुविधा: पैकहाउस प्रमाणन अब राज्य से ही संभव, जिससे बर्बादी कम और मूल्यवर्धन अधिक होगा.
एफपीओ सशक्तिकरण: स्थानीय एफपीओ को एपीडा से सीधे जोड़ा जाएगा जिससे वे निर्यात योग्य आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बन सकें.
प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन: RPCAU, पूसा एवं BAU, सबौर जैसे कृषि विश्वविद्यालय किसानों को उत्पादन से लेकर निर्यात तक तकनीकी मार्गदर्शन देंगे.
उल्लेखनीय है कि बिहार शाही लीची (71%), मखाना (85%), मक्का और सब्ज़ी उत्पादन में अग्रणी राज्य होने के बावजूद, प्रमाणन एवं तकनीकी सहायता की कमी के कारण निर्यात में पीछे रहा है. वर्ष 2023 में बिहार का कृषि निर्यात मात्र 17.6 मिलियन अमेरिकी डॉलर रहा जबकि इसकी क्षमता कहीं अधिक है.
अब जब एपीडा कार्यालय की स्थापना हो रही है, तो आने वाले वर्षों में बिहार राष्ट्रीय कृषि निर्यात मानचित्र पर एक प्रमुख राज्य के रूप में उभरेगा. यह पहल प्रधानमंत्री के "डबल इनकम" विज़न को साकार करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है.
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