कई लोग आम का पेड़ लगाना चाहते हैं, लेकिन कम जगह होने की वजह से नहीं लगा पाते हैं. आम की आम्रपाली एक ऐसी अकेले किस्म है, जिनके पेड़ छोटे होते हैं. कृषि वैज्ञानिकों ने आम की 2 नई किस्म विकसित की हैं. इस किस्म का नाम अंबिका और अरुणिका है, जिनके पेड़ का आकार काफी छोटा होता है. इन किस्मों को केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान द्वारा विकसित किया गया है. यह आम की संकर किस्मों में शामिल हैं, जो कि अपने सुंदर फलों की वजह से सबका मन मोह लेती हैं.
कब हुआ नई किस्मों का लोकार्पण
हर साल फल आने की ख़ासियत इन्हें एक साल छोड़कर फल देने वाली आम की किस्मों से महत्वपूर्ण बनाती हैं. बता दें, कि पिछली शताब्दी के अस्सी के दशक में संकरण द्वारा दोनों किस्म विकसित की गईं. अंबिका का साल 2000 और अरूणिका 2005 लोकार्पण में किया गया. नतीजा यह आया है कि इस किस्म के फल खूबसूरत होने के साथ-साथ खाने में स्वादिष्ट भी हैं. इसके साथ ही फल पौष्टिकता से भरपूर हैं. अरूणिका किस्म का फल बेहद मिठास भरा होता है, साथ ही विटामिन ए के अतिरिक्त कई कैंसर रोधी तत्वों जैसे मंगीफेरिन और ल्यूपेओल से भरपूर हैं. इस किस्म का फल काफी टिकाऊ है. खास बात है कि अगर इस किस्म का फल ऊपर से खराब हो जाए, तब भी उसके अंदर के स्वाद पर कोई असर नहीं पड़ता है.
उपयुक्त जलवायु
देश की विभिन्न प्रकार की जलवायु में इन दोनों किस्मों को सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है. इन किस्म से हर साल फल प्राप्त किया जा सकता है. इस कारण पौधों का आकार छोटा है और अरूणिका का आकार तो आम्रपाली जैसी बौनी किस्म से 40 प्रतिशत कम होता है. अरूणिका किस्म को कई तरह की जलवायु में अपनी खासियत को दिखाने का मौका मिला है. फिर चाहे वह उत्तराखंड की आबो हवा हो, या उड़ीसा का समुद्र तटीय क्षेत्र के बाग. इसके अलावा अंबिका किस्म भी गुजरात, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश समेत कई राज्यों में आकर्षित फल दे रही है.
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अन्य जानकारी
इन किस्मों के प्रति लोगों की रूचि बढ़ रही है. बता दें कि आम्रपाली ने अंबिका और अरूणिका, दोनों के लिए मां की भूमिका निभाई है, क्योंकि आम्रपाली के साथ वनराज के संयोग से अरूणिका किस्त विकसित की गई है, तो वहीं आम्रपाली और जर्नादन पसंद के संकरण से अंबिका किस्म की उत्पत्ति हुई है. जानकारी के लिए बता दें कि जर्नादन पसंद दक्षिण भारतीय किस्म है और वनराज गुजरात की प्रसिद्ध किस्म मानी जाती है. इन दोनों किस्मों का उपयोग पिता के तौर पर किया गया है. यह किस्में देखने में सुन्दर और लाल रंग की होती हैं, लेकिन स्वाद में आम्रपाली से अच्छी नहीं हैं. इस तरह अंबिका और अरूणिका दानों में ही नियमित फलन के जीन्स आ गए हैं.
बताया जा रहा है कि आम की अरूणिका किस्म में विटामिन ए बहुत ज्यादा मौजूद है. अंबिका ने साल 2018 और अरूणिका ने साल 2019 में आम महोत्सव में हिस्सा लिया था. इसमें दोनों किस्मों ने प्रथम स्थान प्राप्त करके अपनी गुणों की सार्थकता सिद्ध की है. धीर-धीरे यह किस्म काफी लोकप्रिय हो रही हैं. इन पौधों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है. यह दोनों किस्म हाई डेंसिटी यानी सघन बागवानी के लिए उपयुक्त मानी गई हैं. आने वाले समय में अधिक क्षेत्रफल में इन किस्मों के पौधे लगाए जाएंगे, ताकि बाजार में इनके फल दिखने लगें.
अधिक जानकारी के लिए आप शैलेंद्र राजन, निदेशक केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, रहमानखेड़ा, लखनऊ 22601 से मोबाइल नंबर 8853896692 पर संपर्क कर सकते हैं.
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