मानव सभ्यता की शुरूआत ही कृषि और पशुपालन से हुई थी, लेकिन अफसोस आधुनिकता के सैलाब में हम इस कदर सराबोर हो गए कि हमने अपनी इन आर्थिक गतिविधियों को अपनी आधुनिक गतिविधियों के समक्ष तुच्छ समझने की गलती कर दी. यह उसी का नतीजा है कि आज कोई किसान नहीं चाहता कि उसका बेटा किसान बने और न ही कोई पशुपालक चाहता कि उसका बेटा पशुपालक बनें, लेकिन एक बात का विशेष ध्यान रहे कि यह दोनों ही आर्थिक क्रियाएं भारतीय अर्थव्यवस्था की नींव है.
अगर यह दोनों ही कमजोर पड़ जाएंगी, तो भारतीय अर्थव्यवस्था अगले सात जन्मों तक भी विकसित होने का ख्वाब नहीं देख पाएगी. ऐसे में हमारी सरकार को कृषि समेत पशुपालन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. इसी क्रम में इस लेख में भेड़ पालन के बारे में जानते हैं. इस लेख में भेड़ के एक ऐसे नस्ल के बारे में जानेंगे जिसे तीन नस्लों से मिलाकर तैयार किया गया और यह आपके फायदे का कारण बन सकती है-
हरनाली भेड़ की विशेषता
यूं तो भेड़ों की इस दुनिया में बेशुमार भेड़ हैं, लेकिन हरनाली भेड़, बाकी सभी भेड़ों से बेहद जुदा है. इसकी खासियत, पहचान, गुण इसे अन्य भेड़ों से अलग रखती है. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि हरनाली नस्ल को तीन अलग-अलग, देशी और विदेशी नस्लों के आपसी संपर्क से तैयार किया गया है. हरनाली भेड़ नाली, मेरिना और केरिडेल भेड़ के संपर्क से तैयार की गई है. हालांकि, शुरूआत में तो इसे तीन भेड़ों के नस्लों के आपसी संपर्क से तैयार किया गया था, लेकिन बाद में खुद ब खुद इनकी संतत्ति आगे बढ़ती चली गई. हालांकि, इनकी तादाद अभी कम है. अभी यह सिर्फ हरियाणा के हिसार व इसके आस-पास के इलाकों में ही पाई जाती हैं, लेकिन आने वाले दिनों में इसके तेजी से बढ़ने की संभावना जताई जा रही है. फिलहाल, इस पर शोध का सिलसिला जारी है. हरनाली भेड़ अन्य भेड़ों की तुलना में गुणवत्तायुक्त मानी जाती है. यह मेरिनो भेड़ों के सरीखे ही काफी मात्रा में ऊन देती है. इनकी दूध की गुणवत्ता भी काफी उत्तम मानी जाती है.
आमतौर पर ऐसा देखा जाता है कि जब किसी देशी व विदेशी नस्लों के संपर्क से किसी नई नस्ल को तैयार किया जाता है, तो वह अन्य नस्लों की तुलना में काफी बेहतर होती है. कुछ ऐसा ही हरनाली भेड़ों के साथ भी है. हरनाली नस्लें अन्य भेड़ों की तुलना में काफी उत्तम मानी जाती हैं. यह दूध भी काफी मात्रा में प्रदान करती है. पशुपालकों को काफी मात्रा में ऊन भी प्रदान करती है.
हरनाली भेड़ कहां पाई जाती है?
वैसे तो भेड़ शुरू से ही मानव सभ्यता के विकास में अहम भूमिका निभाती हुई आई हैं, लेकिन हरनाली भेड़ों को अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं, इसलिए काफी लोग लोग इस भेड़ से परिचित नहीं हैं. मौजूदा वक्त में यह हरियाणा के हिसार में पाई जाती है, क्योंकि यहां के वातावरण के लिए यह बिल्कुल उपयुक्त रहती हैं, लेकिन अब धीरे-धीरे इसे अन्य वातावरण के लिए भी यह खुद को ढाल रही हैं.
पोषण एवं चारा प्रबंधन
कहीं आपके जेहन में यह सवाल उठ रहा हो कि यह तो अलग-अलग नस्लों से मिलकर तैयार हुई भेड़ है, तो इनका आहार भी अलग होगा, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. इसे भी अन्य भेड़ों की तरह की आहार दिया जाता है. आहार में इन्हें मुख्यत: कोमल घास, चराई, फलियां, कसिया व झाड़ियां दिया जाता है.
यह अन्य भेड़ों से कैसे अलग है
हालांकि, हम इसे अन्य भेड़ों से अलग तो नहीं कह सकते हैं, लेकिन बिल्कुल उनकी तरह भी नहीं कह सकते हैं. यह कई मायनों में अन्य भेड़ों से अलग है. जैसे कि यह अन्य भेड़ों से अधिक मात्रा में ऊन उपलब्ध कराती है. यह अन्य भेड़ों की तुलना में अधिक मात्रा में दूध देती है, जिससे पशुपालक अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं.
इसे खरीदने पर कोई आर्थिक सुविधा
आमतौर पर सरकार हर पशुओं को खरीदने के लिए कोई न कोई आर्थिक सुविधाएं जरूर प्रदान करती है. ऐसे में भेड़ों को खरीदने के लिए भी सरकार आर्थिक सुविधाएं प्रदान करती है, लेकिन एक बात का विशेष ध्यान रहे कि किसी विशेष भेड़ को खऱीदने के लिए आर्थिक सुविधाएं नहीं प्रदान की जाती है, महज भेड़ खरीदने के लिए ही आर्थिक सुविधा मुहैया कराई जाती है. आप उस रकम से कोई भी भेड़ खरीद सकते हैं. फिलहाल, सरकार की तरफ से तो कोई ऐसी आर्थिक सुविधा नहीं प्रदान की जा रही है, लेकिन नाबार्ड की तरफ से जरूर आर्थिक सुविधाएं प्रदान की जा रही है, जो भेड़ खरीदने का प्लान बना रहे हैं, तो ऐसे सभी पशुपालक भाई जो भेड़ पालन करना चाहते हैं, आज ही नाबार्ड से संपर्क कर आर्थिक सुविधा प्राप्त करें.
कितना ऊन प्राप्त किया जाता है
जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया है कि यह भेड़ अन्य भेड़ों की तुलना में अधिक मात्रा में ऊन प्रदान करती है. आमतौर पर अन्य भारतीय नस्लों की भेड़ जहां 4 किलोग्राम ऊन प्रदान करती है, तो वहीं हरनाली भेड़ 6 किलोग्राम ऊन प्रदान करती है.
प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है
आमतौर पर ऐसा देखा जाता है कि भेड़ पालक भेड़ों के मरने से परेशान रहते हैं, लेकिन यहां राहत की बात यह है कि हरनाली भेड़ों की प्रतिरोधक क्षमता काफी मजबूत होती है. यह बीमारियों का दट कर सामना कर सकती है. यह अन्य भेड़ों की तुलना में दीर्घ अवधि तक जीवित रहती है. इनके अन्य भेड़ों की तुलना में बीमारियों के गिरफ्त में आने की संभावना भी काफी कम रहती है, लेकिन कभी-कभी यह भी कुछ ऐसी बीमारियों का शिकार हो जाती है, लेकिन राहत की बात यह है कि यह प्राथामिक उपचार के बाद दुरूस्त हो जाते हैं. जब से इस नस्ल का ईजाद हुआ है. तब से इसमें कोई ऐसी गंभीर बीमारी नहीं देखी गई है. स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से यह अन्य भेड़ों की तुलना में काफी अच्छी मानी जाती है.
पशुपालन अधिकारी का क्या कहना है
वहीं, हरनाली भेड़ के संदर्भ में विस्तृत जानकारी देते हुए केंद्रीय भेड़ और ऊन अनुसंधान संस्थान (सीएसडब्लूआरआई) अविक नगर, राजस्थान के डॉ अरूण तोमर कहते हैं कि यह लाभ के दृष्टिकोण से काफी फायदेमंद है. वे सभी भेड़ पालक जो अल्पावधि में अच्छा मुनाफा प्राप्त करना चाहते हैं, वे इससे अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं. ..तो पशुपालक भाइयों देरी किस बात की, आज ही शुरू करिए हरनाली नस्लों के भेड़ों का पालन और कमाइए अच्छा खासा मुनाफा. वहीं, पशुपालन से संबंधित हर बड़ी खबर से रूबरू होने के लिए आप पढ़ते रहिए...कृषि जागरण.कॉम
नोट : इस नस्ल की भेड़ के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए आप निम्नलिखत नंबर पर संपर्क कर सकते हैं.
डॉ अरूण तोमर
9828141699
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