आज के समय में किसानों के लिए खेतीबाड़ी के साथ–साथ पशुपालन व्यवसाय भी मुनाफेदार साबित हो रहा है, क्योंकि इन दोनों व्यवसायों में लागत से ज्यादा मुनाफा प्राप्त होता है. पशुपालन में मछली पालन व्यवसाय पशुपालकों के लिए आज के समय में एक उभरता हुआ व्यवसाय बनकर सामने आ रहा है.
बता दें कि हमारे भारत में करीब 60% भारतीय ऐसे हैं, जो अपने भोजन में मछलियों का सेवन शामिल करते हैं. इसके अलावा भारत में झीलों, तालाबों और नदियों में जल का स्तर काफी अच्छा होता है, तो इस वजह से मछलियों को उत्पादन भी काफी आसान होता है. मछलियों की मांग देश के साथ – साथ विदशों में भी काफी बढ़ रही है, जिसके चलते मछली पालन व्यवसाय काफी ऊँचाइयों पर चढ़ रहा है. पशुपालकों के अच्छे मुनाफे के लिए एक जरुरी बात साझा करने जा रहे हैँ. वैसे तो मछली पालन में हर महीना महत्वपूर्ण होता है, लेकिन अप्रैल महीना एक ऐसा महीना होता है, जिसमें मछली पालन के लिए नये तालाब एवं पुराने तालाबों की साफ सफाई करने का उचित समय माना जाता है, इसलिए अप्रैल माह मछली पालकों के लिए एक महत्वपूर्ण महीना माना जाता है.
इसी दौरान कुछ नुकसान होने की संभावना भी रहती है, ऐसे में होने वाले नुकसान से बचने के लिए कुछ जरुरी बातों का ध्यान रखना चाहिए.
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इन बातों का रखें ध्यान (Keep These Things In Mind)
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इस माह में नये तालाबों के निर्माण के लिए उचित समय माना जाता है, तो आप तालाब निर्माण के लिए जगह का चयन कर सकते हैं.
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पुराने तालाबों की अच्छे से मरम्मत करनी चाहिए.
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अप्रैल माह में मछली बीज उत्पादक ग्रास कार्प की ब्रीडिंग हैचरी शुरू कर सकते हैं.
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तालाब में जलीय कीटों, खरपतवार एवं छोटी मछलियों की सफाई थोड़े-थोड़े समय में करते रहना चाहिए. जिससे पानी साफ रहे.
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अप्रैल महीने में तालाब में कॉमन कार्प मत्स्य बीज का संचय करना चाहिए.
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इस माह में पानी में ऑक्सीजन की कमी होती है, इसलिए तालाब में मछलियों की संख्या ज्यादा न बढ़ाएं.
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तालाब के पानी में ऑक्सीजन बढ़ाने वाली दवा डालें.
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यह महीना मछलियों के प्रजनन का भी होता है, इसलिए पौष्टिक आहार खिलाएं.
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