दूध हमारे सेहत के लिए कितना फायदेमंद माना जाता है. गाय के दूध में काफी मात्रा में पोषक तत्व होते हैं. इसमें पानी 87 प्रतिशत और दूध का ठोस पदार्थ जो एक हेटेरोगेनियस मिक्सचर होता है, उसकी मात्रा 13 प्रतिशत होती है. दूध में विटामिन, मिनरल्स, कार्बोहाइड्रेट, वसा और प्रोटीन पाया जाता है. गाय का दूध स्वादिष्ट, बलकारक, बुद्धि, वीर्य और शुक्र को बढ़ाने वाला, आयु को दृढ़ करनेवाला, हृदय, वात, पित, विष, वारक्त, दाह, रक्तपित, अतिसार जैसे रोगों के लिए काफी फायदेमंद होता है.
गाय के दूध का घरेलू औषधी के रुप में उपयोग
धतूरा अथवा कनेर के विष पर गाय का दूध किफायती होता है. एक तोला शक्कर दूध में डालकर पीने से यह शरीर को आराम पहुंचाता है. संखिया, तूतिया, बछनाग, मुर्दासंख इत्यादि के विष पर जब मरीज को उल्टी न हो तो दूध में शक्कर डालकर पिलाना चाहिये.
पुष्टि, बल और वीर्य की वृद्धि के लिये-गरम किये हुए दूध में गाय का घी और शक्कर डालकर पिलाना चाहिये. गाय का दूध बहुत ही पथ्य, तेजोवर्धक और बलवर्धक होता है.
जीर्णज्वर होने पर गाय के दूध में घी, सोंठ, छुहारा और काली दाल को मिलाकर आग पर उबाल कर पीने से इस रोग से राहत मिलती है.
मूत्रकृच्छ या मधुमेह होने पर दूध में घी डालकर उसे गर्म करें और दूध, घी के साथ शक्कर मिलाकर मरीज को पिलाने से मधुमेह जैसी बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है.
आँख उठी होने या जलने पर गाय के दूध में रूई में भिगोकर और उसके ऊपर फिटकरी का चूर्ण डालकर आँख के ऊपर रखकर पट्टी बाँध दें. इससे आंखो को आराम मिलेगा.
पित्त-विकार की समस्या पर दूध में सोंठ डालकर उसका खोआ बनाएं और उसमें शक्कर डालकर गोली बना लें. हर रात को सोने से पहले प्रतिदिन इसका सेवन करें और खाने के बाद पानी बिल्कुल भी न पीये. इस प्रकार कुछ दिनों तक इसका सेवन करने से आपको पित्त विकार से राहत मिलेगी.
चेचक या छोटी माता होने पर मरीज के शरीर में आने वाले ज्वर के ऊपर तुरंत दुहे हुए दूध के साथ घी और मिश्री डालकर पिलाए. नियमित तौर पर इसके सेवन से चेचक की समस्या से छुटकारा मिल जाएगा.
छाती या हृदय रोग पर दूध में शुद्ध भिलावे का तेल 10 बूँद तक डालकर पीने आरामदायक होता है.
हड्डी टूटने पर गाय के दूध में शक्कर डालकर गर्म करें. फिर उसमें घी और लाख का चूर्ण डालकर ठंडा होने पर मरीज को पिलाए. इससे टूटी हड्डी ठीक हो जाती है.
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थकान महसूस होने पर दूध गर्म करके पीए, इससे थकावट दूर हो जायगी और शरीर में स्फूर्ति भी आ जाती है. तथा सिरदर्द होने पर गाय के दूध में सोंठ घिसकर सिर पर उसका लेप करें. इस प्रकार सात-आठ घंटे में भयंकर से भी भयंकर सिरदर्द दूर हो जाता है.
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