भारत में मछलीपालन कैश क्रॉप के तौर तेजी से बढ़ रहा है. मछलीपालन किसानों के लिए एक अच्छी आय का जरिया बन सकता है. देशभर के प्रोग्रेसिव फॉर्मर इसलिए भी आकर्षित हो रहे हैं कि यह खेतीबाड़ी के अलावा ज्यादा मुनाफा देते हैं. सरकार भी इसके लिए कई योजनाएं चला रही है ताकि किसानों का रूझान मछली पालन की तरफ बढ़े. तो आइए जानते हैं मछली पालन के लिए 60 प्रतिशत सब्सिडी कैसे लें.
अधिक मुनाफे वाला धंधा
देश में नीली क्रांति के तौर मछली पालन तेजी से बढ़ रहा है. जहां पहले 600 एकड़ पर ही मछली पालन होता था वहीं यह बढ़कर अब 1350 एकड़ हो गया है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि मछली पालन से किसानों को अन्य फसलों की तुलना में अधिक मुनाफा हो रहा है. जहां मछली पालन से सालभर में डेढ़ लाख रूपए तक का शुध्द मुनाफा मिल रहा है वहीं अन्य फसलों से किसानों को कम आय मिलती है. यही कारण है कि मछली पालन का धंधा तेजी से प्रफुल्लित हो रहा है. छोटे छोटे गांवों में भी तालाब लीज पर लेकर किसान मछली पालन कर रहे हैं. एक तरफ से इससे ग्राम पंचायतों को अतिरिक्त पैसा मिल रहा है तो दूसरी किसानों को आय का अतिरिक्त स्त्रोत मिल रहा है.
60 प्रतिशत की सब्सिडी
मछली पालक विकास एजेंसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कर्म सिंह का कहना है कि मछली पालन के लिए कुछ सालों पहले सीड की काफी कमी थी लेकिन अब यह आसानी से उपलब्ध है. वहीं मछली पालन के लिए जरूरी मशीनरी भी सरलता से उपलब्ध हो जाती है. मुर्गीपालन के दौरान सबसे बड़ी समस्या मुर्गियों में लगने वाली बीमारी है. लेकिन मछलियों में बीमारियां भी कम लगती है. मछली पालन का रूझान इसलिए भी बड़ा है कि सरकार भी इस पर अच्छी सब्सिडी प्रदान कर रही है. मछली पालन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर गुरप्रीत सिंह का कहना है कि मत्स्य संपदा योजना के तहत सरकार जनरल वर्ग को 40 प्रतिशत तो अनुसूचित जाति एवं महिलाओं को 60 प्रतिशत की सब्सिडी प्रदान कर रही है. यह सब्सिडी सरकार आरएएस सिस्टमा, पूंग हैचरी और फिश फीड के लिए देती है. फसलों की तरह मछलियों में कोई खास तरह की बीमारी नहीं लगती है. इस वजह से पालन फायदे का सौदा बनता जा रहा है.
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