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मधुमक्खी पालन के जरिए दूर की युवाओं की बेरोज़गारी, लोग भी कर रहे इनकी सराहना

नई दिल्ली। ना तो अब किसी भी तरह की बरेजोगारी का दंश है और ना ही किसी भी तरह के रोजगार के लिए भटकने की जरूरत है. मधुमक्खी पालन के सहारे आत्म निर्भरता की उड़ान के साथ-साथ खुद और दूसरों की जिंदगी में मिठास बांटने का कार्य कर रहे हैं संजीव कुमार हाथी. दरअसल संजीव कुमार हाथी एक ऐसे सजग किसान हैं जो कि मधुमक्खी पालन की राह दिखा बेरोजगार युवाओं को रोजगार की राह पर ले जाने का कार्य कर रहे हैं.

नई दिल्ली। ना तो अब किसी भी तरह की बरेजोगारी का दंश है और ना ही किसी भी तरह के रोजगार के लिए भटकने  की जरूरत है. मधुमक्खी पालन के सहारे आत्म निर्भरता की उड़ान के साथ-साथ खुद और दूसरों की जिंदगी में मिठास बांटने का कार्य कर रहे हैं संजीव कुमार हाथी. दरअसल संजीव कुमार हाथी एक ऐसे सजग किसान हैं जो कि मधुमक्खी पालन की राह दिखा बेरोजगार युवाओं को रोजगार की राह पर ले जाने का कार्य कर रहे हैं. मधु उत्पादन के क्षेत्र में संजीव की कामयाबी को देखते हुए उद्यान विभाग उनको जिला स्तर पर आइकॉन बनाने पर विचार कर रहा है. मधु उत्पादन यंत्र व बी बॉक्स पर विभाग सब्सिडी देता है. युवाओं को इसका लाभ उठाना चाहिए.

किसान की आमदनी एक लाख से अधिक

 मधुबनी जिले के बेनी प्रखंड जिले के बरही टोल निवासी 40 वर्षीय संजीव रोजगार के लिए बेहद ही ज्यादा परेशान थे. उनके लिए अपना जीवन यापन करना काफी मुश्किल था. थोड़ी बहुत खेती  के कारण और कम जमीन के चलते खेती कम ही हो पाती थी. कई बार तो बैमोसम कारणों के चलते भी फसल ठीक से नहीं हो पाती थी नौकरी मिलना भी काफी ज्यादा मुश्किल हो रहा था. ऐसे में संजीव का ध्यान मधुमक्खी पालन की ओर गया. इसके लिए उन्होंने पांच साल पहले रहिका में सरकारी स्तर पर आयोजित प्रशिक्षण शिविर में इस बात की जानकारी ली थी. इसके बाद उन्होंने मधुमक्खी पालन करने का निर्णय ले लिया और वर्ष 2017 में 12 बक्सों से इसका कार्य शुरू किया. उनको शुरूआत में इस कार्य से 40 हजार रूपये की आमदनी प्राप्त हुई. इससे उत्साहित होकर संजीव ने बाद में 28 बक्सों में मधुमक्खी पालन के कार्य को आरंभ किया.  इससे उनको 1 लाख से अधिक की आमदनी का अनुमान है.

मोम का हो रहा उत्पादन

मधु के ज्यादा से ज्यादा उत्पादन के लिए संजीव ने अपने आवासीय परिसर के बगीचे में आम के पेड़ों के बीच मधुमक्खियों के बॉक्स लगाने का कार्य शुरू कर दिया.  जब इनमें से मधु निकल जाता है तो इसके बचे हुए अवशेष से वह मोम भी तैयार करते हैं इससे आमदनी भी काफी अच्छी हो जाती है. मधु निकालने के इस कार्य में उनके बच्चे और पत्नी भी पूरा सहयोग करते हैं.

उत्पादन के साथ हो रही आपूर्ति

संजीव उत्पादन के साथ उपभोक्ताओं की आपू्र्ति के लिए भी हमेशा सदैव तैयार रहते हैं. लोगों की पहुंच ज्यादा से ज्यादा लोगों तक हो इसके लिए उन्होंने अपने मोबाईल नंबर को भी पूरी तरह से सार्वजनिक कर रखा है. जिले के किसी भी हिस्से से मोबाइल पर आर्डर मिलने पर आपूर्ति करने निकल पड़ते हैं. बढ़िया क्वालिटी होने के चलते बहुत से लोग तो संजीव के घर पहुंचकर खरीदारी करते हैं. ऐसा करने से उनकी आमदनी और उत्पादन में बढ़ोतरी के काफी अवसर प्राप्त हुए हैं.

किशन अग्रवाल, कृषि जागरण

English Summary: Remembrance of unemployed youth by beekeeping, people are appreciating them Published on: 16 October 2018, 04:46 IST

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