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शीत ऋतु में ऐसे करें डेयरी पशुओं का प्रबंधन, जानें क्या कहती है वैज्ञानिक दृष्टिकोण

Proper Management of Dairy Animals: शीतऋतु में डेयरी पशुओं का उचित प्रबंधन करके हम उनके स्वास्थ्य और उत्पादकता को बनाए रख सकते हैं. पौष्टिक आहार, उचित आश्रय और स्वास्थ्य देखभाल के माध्यम से पशुओं को ठंड के तनाव से बचाया जा सकता है. वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाकर हम पशुओं के लिए एक स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण प्रदान कर सकते हैं.

KJ Staff
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पशुओं की देखभाल, सांकेतिक तस्वीर
पशुओं की देखभाल, सांकेतिक तस्वीर

शीत ऋतु में डेयरी पशुओं का प्रबंधन एक चुनौतीपूर्ण कार्य होता है. ठंड के मौसम में पशुओं पर ठंड के तनाव (कोल्ड स्ट्रेस) का सीधा असर उनके स्वास्थ्य और उत्पादकता पर पड़ता है. ठंड के कारण पशुओं के शरीर को अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता होती है जिससे उनके शरीर का तापमान सामान्य बना रहे. सही प्रबंधन और ध्यान देकर हम इन समस्याओं को हल कर सकते हैं और पशुओं की उत्पादकता बनाए रख सकते हैं.

ठंड के मौसम में पशुओं के प्रबंधन के उपाय:

  1. आश्रय की व्यवस्था:
  • ठंडी हवाओं से बचाने के लिए पशुओं के शेड में पर्दों का उपयोग करें. ये पर्दे सूखी घास, पॉलिथीन या गिनी बैग से बनाए जा सकते हैं.
  • पशुओं को दिन के समय धूप में निकालें ताकि वे सीधे सूर्य की किरणों से गरमी प्राप्त कर सकें.
  • शेड्स को साफ और सूखा रखें. सूखी घास, चावल का भूसा, और गिनी बैग्स से बिस्तर सामग्री को गर्म बनाए रखें.
  • इसके अलावा पशु को ढकने के लिए कंबल इत्यादि का प्रयोग  भी कर सकते हैं.
  1. आहार और पानी की आपूर्ति:
  • ठंड के मौसम में पशुओं को सामान्य से 10-30% अधिक भोजन की आवश्यकता होती है ताकि शरीर में अधिक ताप उत्पन्न हो सके.
  • पशुओं को पौष्टिक आहार जैसे मूंगफली की खली, सरसों की खली, कपास बीज की खली, और सोयाबीन फ्लेक्स दें जो प्रोटीन से भरपूर होते हैं​.
  • गुनगुना पानी पीने के लिए उपलब्ध कराएं ताकि पशु ठंड से बचे रहें.
  • चारा जैसे सूखी घास (हाय), फोरेज (बर्सीम) दें जिससे उनका दूध उत्पादन और शरीर की गर्मी बनाए रखी जा सके.
  • जाड़े के तनाव से निपटने के लिए राशन में तेल की खली और गुड़ का मिश्रण भी मिलाया जा सकता है, जो शरीर में अतिरिक्त गर्मी उत्पन्न करता है.
  1. स्वास्थ्य और टीकाकरण:
  • शीत ऋतु में पशुओं का टीकाकरण अत्यधिक आवश्यक है. उन्हें एफएमडी, हैमरेजिक सेप्टीसीमिया, एंटरोटॉक्सिमिया और ब्लैक क्वार्टर जैसी बीमारियों से बचाने के लिए टीके लगवाएं.
  • ठंड के मौसम में शरीर की ऊर्जा को बनाए रखने के लिए पशुओं को नियमित रूप से प्रोटीन और ऊर्जा युक्त आहार दिया जाना चाहिए. यह सुनिश्चित करें कि आहार में उच्च फाइबर की मात्रा हो जिससे दूध में वसा की मात्रा बनी रहे.
  1. बछड़ों की देखभाल:
  • 0 से 3 महीने तक के बछड़ों को विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है क्योंकि यह उम्र बीमारियों के लिए अधिक संवेदनशील होती है. उनके आश्रय को ठंडी हवा से बचाने के लिए पॉलिथीन या गिनी बैग से ढकें​.
  • बछड़ों को गुनगुना पानी और पर्याप्त मात्रा में कोलोस्ट्रम और दूध प्रदान करें ताकि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत हो सके.
  • ठंड के तनाव से बचाने के लिए उन्हें साफ और सूखे बिस्तर पर रखें. इसके लिए चावल की भूसी या भूसा का उपयोग करें​.
  1. व्यायाम और शारीरिक सक्रियता:
  • पशुओं को प्रतिदिन धूप में 1-2 घंटे चलने का अवसर दें जिससे उनका स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत बनी रहे.
  1. जल प्रबंधन:
  • शीत ऋतु में पानी का तापमान लगभग 48-50°F होना चाहिए. ठंडा पानी पीने से पशुओं की ऊर्जा का स्तर गिर सकता है, इसलिए पानी को जमने से बचाने के लिए टैंक हीटर का उपयोग करें​

ठंड के तनाव के प्रभाव:

  • दूध उत्पादन में गिरावट: ठंड के कारण दूध उत्पादन में कमी आती है क्योंकि ठंड ममरी ग्रंथियों के तापमान को प्रभावित करती है​.
  • प्रजनन समस्याएं: ठंड का असर पशुओं की प्रजनन दर पर भी पड़ता है जिससे उनके मद इच्छाओं में कमी और फॉलिकुलर विकास में रुकावट आती है.

लेखक:

डॉ बृज वनिता1, डॉ पंकज सूद1, डॉ अंकज ठाकुर2, डॉ डी एस यादव1, डॉ लक्ष्मीकान्त शर्मा1
1 कृषि विज्ञान केंद्र मंडी
2डॉ जी सी नेगी वेटनरी कॉलेज
चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर  

English Summary: Management of dairy animals in winter Scientific approach Published on: 30 October 2024, 04:55 IST

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