खेती के साथ-साथ किसानों के जीवन में पशु भी अहम भूमिका निभाते हैं. पशुपालन के चलते ही किसानों को अधिक लाभ होता है. इसलिए जरूरी है कि पशुओं में लगने वाले रोगों का समय पर उपचार किया जाए तभी उनसे अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है.खेती के साथ-साथ किसानों के जीवन में पशु भी अहम भूमिका निभाते हैं. पशुपालन के चलते ही किसानों को अधिक लाभ होता है इसलिए जरूरी है कि पशुओं में लगने वाले रोगों का समय पर उपचार किया जाए तभी उनसे अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है. खेती के साथ-साथ किसानों के जीवन में पशु भी अहम भूमिका निभाते हैं. पशुपालन के चलते ही किसानों को अधिक लाभ होता है इसलिए जरूरी है कि पशुओं में लगने वाले रोगों का समय पर उपचार किया जाए तभी उनसे अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है. अंतः परजीवी ओं में लिवर फ्लू ,ट्रिप नो सोमा फाइलेरिया, राउंडवर्म, हुकवर्म, टेपवर्म आदि आते हैं. यह पशुओं के शरीर के अंदर यकृत फेफड़ा आमाशय रक्त आदि में पाए जाते हैं.
बाहर परजीवीओं से
व्हाइट परियों से पशुओं को बचाने के लिए पहला उपाय तो यह है कि वह पैदा ही ना हो सके इसके लिए पशुपालक समय-समय पर वह स्थान जहां पशु बांधे जाते हैं उसे साफ करते रहें. मल मूत्र जहां एकत्र होता है उसे साफ कर चुना समय-समय पर डाल दें. पशुओं के बांधने के स्थान में धूप तथा हवा आती रहे इसका प्रबंध अवश्य करें. पशुओं के बांधने के स्थान में मेलाथियान यमक सीन तंबाकू के घोल का छिड़काव कर सकते हैं. इस संबंध में यह विशेष ध्यान में रखें कि घोल का छिड़काव पशुओं के आहार घास चारा दाना पानी आदि पर ना पड़े साथी पशुओं की आंख नाक मुंह पर भी ना पड़े इस चीज का विशेष ध्यान रखना है.यदि यह बाह्य परजीवी पशुओं के शरीर के बाहर विभिन्न भागों में लगे हैं तो गेमैक्सीन पाउडर लोरे क्विजीन पाउडर जो बाजार में तथा पशु चिकित्सालय में उपलब्ध रहता है. उसे शरीर में बालों की विपरीत दिशा में मले ताकि पाउडर पशु के शरीर की त्वचा तक पहुंच जाए बालों में ही ना रह जाए. कोशिश इस प्रकार से करें की पूरी त्वचा पर यह दवाई आसानी से लग जाए यदि आप ऐसा करते हैं तो निश्चित रूप से पशुओं के शरीर से बाहपरजीवी को नष्ट कर सकते हैं.
थेलेरियोसिस रोग
पशुओं में यह बीमारी लीवर फ्लूक नामक परजीवी से होती है. यह परजीवी तालाब पोखर के किनारे लगी घास पर तथा गुणों में रहता है. जब पशु तालाब के किनारे घास चरने जाते हैं तो यह किनारे पर लगी घास के द्वारा पशु के शरीर में प्रवेश कर जाता है. इसके उपचार हेतु बाजार में बहुत सी औषधियां जैसे प्रोजेक्ट ऐनल गांव कार्बन टेट्राक्लोराइड आदि उपलब्ध है जिनका प्रयोग पशु चिकित्सक की सलाह चाहिए करना चाहिए. जहां तक बचाव का संबंध है पशुपालकों को चाहिए कि वे अपने पशु पोखर तालाब के किनारे चने ना भेजें, जहां इस प्रकार के परजीवी पाए जाते हैं. तालाब के किनारे के पौधों को नष्ट कर देना चाहिए तथा घास उखाड़ कर फेंक देना चाहिए तथा नष्ट कर देना चाहिए.
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