हमारे देश में पशुपालन को प्रमुख स्थान पर रखा जाता हैं. यहां लाखों परिवार की जीविका पर आधारित है. पशुपालन कम लागत और ज्यादा आमदनी वाला व्यवसाय है. किसान और पशुपालक कई पशुओं का पालन करते हैं. इनमें भेड़ पालन भी शामिल हैं.
इनके पालन से ऊन, खाद, दूध, चमड़ा, जैसे कई उत्पाद प्राप्त किए जा सकते हैं. देश के लगभग सभी राज्यों में भेड़ पालन किया जाता है, साथ ही भेड़ पालन के लिए तमाम योजनाएं भी चलाई जाती हैं, जिनका लाभ उठाकर किसान और पशुपालक भेड़ पालन का व्यवसाय शुरू कर सकते हैं. आज हम आपको भेड़ों की कुछ ऐसी नस्लों की जानकारी देने वाले हैं, जो कि मांस, ऊन और दूध के लिए व्यवसाय के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं.
गद्दी भेड़ (Gaddi Sheep)
गद्दी भेड़ मध्यम आकार की सफेद रंग होती है. इसके अलावा यह लाल भूरे और भूरे काले रंग में भी पाई जाती है. इन भेड़ों से साल में तीन बार तक ऊन प्राप्त की जा सकती है. लगभग एक से डेढ़ किलो की महीन चमकदार ऊन का वार्षिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. इस नस्ल की भेड़े जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश के रामनगर, उधमपुर, कुल्लू और कांगड़ा घाटियों में और उत्तराखण्ड के नैनीताल टेहरी गढ़वाल और चमोली जिलों में पाई जाती है. नर सींग वाले होते हैं तथा 10 से 15 प्रतिशत मादायें भी सींग वाली होती हैं.
मुजफ्फरनगरी भेड़ (Muzzaffarnagari Sheep)
यह नस्ल दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर, बुलन्दशहर, सहारनपुर, मेरठ, बिजनौर में पाई जाती है, जिनका चेहरा और शरीर सफेद रंग का होता है. बता दें कि इनके शरूर पर कहीं-कहीं भूरे और काले चकत्ते पाए जाते हैं. इसके अलावा कान लंबे और नलिकादार होते हैं. उनकी ऊन सफेद और मोटी होती है.
जालौनी भेड़ (Jalauni Sheep)
भेड़ की यह नस्ल उत्तर प्रदेश के जालौन, झांसी और ललितपुर में पाली जाती है. इनका आकार मध्यम होता है. इस नस्ल के नर और मादा के सींग होते हैं. इनके कान आकार में बड़े और लंबे पाए जाते हैं. बता दें कि इनकी ऊन मोटी, छोटी और खुली पाई जाती है.
पूंछी भेड़ (Punshi Sheep)
यह नस्ल जम्मू प्रान्त के पुंछ और राजौरी के कुछ हिस्सों में पाई जाती हैं. यह भेड़ गद्दी नस्ल के समान ही होती है, लेकिन इनका आकार छोटो होता है, साथ रंग सफेद होता है. इनकी पूंछ छोटी और पतली होती है. इसके अलावा पैरों का आकार भी छोटा होता है.
करनाह भेड़ (Karnah Sheep)
यह नस्ल उत्तरी कश्मीर के पहाड़ी क्षेत्र के करनाह तहसील में पायी जाती है. पशु बड़े होते हैं नरों में बड़ी मुड़ी हुयी सींग पायी जाती है. ऊन का रंग सफेद होता है.
मारवाड़ी भेड़ (Marwari Sheep)
यह भेड़े राजस्थान के जोधपुर, नागौर, जालौर, पाली क्षेत्र में पाई जाती है. इनका आकार मध्यम होता है, चेहरा काला और कान छोटे नालीदार होते हैं. इनसे सफेद ऊन सफेद प्राप्त होती है, लेकिन घनी नहीं होती है.
तिरूचि भेड़ (Tiruchi Sheep)
इस नस्ल को तमिलनाडु के तिरूचि, अरकोट, सलेम और धर्मपुरी में पाया जाता है. यह आकार में छोटा होती है, साथ ही इनका शरीर काले रंग का होता है. इनकी ऊन मोटी बालों वाली होती है.
मालपुरा भेड़ (Malpura Sheep)
भेड़ की यह नस्ल राजस्थान के जयपुर, अजमेर, टोंक, भीलवाड़ा और बूंदी जिले में पाली जाती है. इसका चेहरा हल्का भूरे रंग का होता है, साथ ही टांगे लंबी और कान छोटे होते हैं. इनकी पूंछ लंबी और पतली होती है. बता दें कि इनसे मोटी ऊन प्राप्त होती है.
दक्कनी भेड़ (Dakkni Sheep)
इस नस्ल की भेड आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में पाई जाती हैं, जिनका रंग पाया जाता है. इनके कान मध्यम आकार के होते हैं, साथ ही सपाट और लटकते हुए होते हैं. इसके अलावा पूंछ छोटी और पतली होती है.
बनपाला भेड़ (Bonpala Sheep)
यह नस्ल दक्षिण सिक्कम में पाई जाती है. इनकी टांगें लंबी और बड़ी होती हैं. इनके ऊन का रंग सफेद, काला और कई प्रकार का होता है. इन भेड़ के कान छोटे होते हैं, साथ ही नर और मादा के सींग नहीं पाए जाते हैं.
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