गाय की कई प्रजतियां पायी जाती हैं. जो अलग-अलग रंगो की होती है. इन रंगो से भी कई गुणों की पहचान की जा सकती है. इसके साथ ही आज जानेगें कि देसी गायों जैसे गिर, रेड सिंधी, साहीवाल, राठी, देवनी, हरियाणा, थारपारकर, कांकरेज, मालवी, निमाड़ी इत्यादि प्रजातियों में क्या है खासियत जिससे दूसरी विदेशी गायों (Foreign cows) की तुलना में बेहतर होती है.
देशी गायों की खासियत (Importance of Deshi Cow)
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देसी गायों का दूध A2 प्रकार का दूध है जिसके सेवन से शरीर में रोग के प्रति प्रतिरोधक क्षमता (Resistance capacity) बढ़ जाती है. कई बीमारियों से लड़ने की ताकत इसके दूध में पाई जाती है. इस कारण दूध की कीमत भी अधिक मिलती है.
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देसी गाय के दूध में प्रचुर मात्रा में ए-2 के अलावा प्रोटीन, ओमेगा-3, विटामिन, मिनरल, सेरीब्रोसाइडस व स्ट्रोनटियम पाए जाते हैं. जिससे लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) बढ़ती है.
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ये नस्लें पर्यावरणीय और मौसम में होने वाले बदलावों को आसानी से सहन कर लेती है और विपरीत परिस्थिति से लड़ने की क्षमता भी रखती है. इसी कारण इन गायों को अफ्रीकन (युगांडा, केन्या) और दक्षिण अमेरिका के देशों (ब्राजील) में बड़े पैमाने पर पाला जा रहा है.
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इन नस्लों में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है अतः रोगों पर खर्च भी कम करना पड़ता है.
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ये जानवर सूखे और चारे की कमी की स्थिति के दौरान छोटे जंगली वनस्पतियों पर भी फल-फूल सकते हैं. आहार के रूप में यह नस्ल कम और सूखा चारा खा कर भी उत्पादन देती है
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इनके मादा पशु जहां अधिक पौष्टिक दूध (Nutritious milk) देते है वहीं नर पशु बोझा ढोने और खेतीबाड़ी के काम को आसान करते है. यानि इनका दोनों तरह से उपयोग किया जा सकता है.
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गोबर- गोमूत्र से जैविक खेती हेतु पौध-पोषण (Plant nutrition) एवं पौध-संरक्षण (Plant protection) किया जा सकता है.
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तरल जीवामृत, घन जीवामृत, देशी गाय के सींग की खाद जैसे जैविक खाद का निर्माण देशी गायों के गौ मूत्र और गोबर से किया जाता है, क्योंकि देशी गायों के इन उत्पाद में जीवाणुओं की मात्र अधिक होती है. देशी गाय के एक ग्राम गोबर में कम से कम 300 करोड़ जीवाणु (Bacteria) होते हैं.
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पंचगव्य का निर्माण गाय के दूध, दही, घी, मूत्र, गोबर द्वारा किया जाता है. पंचगव्य से ही शरीर की रोग निरोधक क्षमता को बढ़ाकर रोगों को दूर किया जाता है.
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आजकल गाय के गोबर से कागज, कैरी बेग, टाइल्स और गोबर से बना वैदिक पेन्ट (Vedic paint) भी खूब चर्चा में है.
गाय के रंग का महत्व (Importance of color of cow)
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सफेद रंग की गाय का दूध अच्छा पाचक होता है, जो शरीर को हृष्ट-पुष्ट बनाता है.
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चितकबरी गाय का दूध पित्त बढ़ाता है, जो शरीर को अधिक चंचल बनाता है.
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काले रंग की गाय का दूध अधिक मीठा होता है, जो गैस से होने वाले रोगों को दूर करता है.
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लाल रंग की गाय का दूध अधिक रक्त बढ़ाता है, जो शरीर को स्फूर्तिवान बनाता है.
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पीले रंग की गाय का दूध पित्त को संतुलित करता है, जो शरीर को ओजपूर्ण बनाता है.
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