बारबरी बकरी को मुख्य तौर पर मीट उत्पाकदन के लिए पाला जाता है. हालांकि बड़ी संख्या में लोग इन्हें दूध उत्पादन के लिए पालते हैं. भारत में इनकी सबसे अधिक मांग पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में है. इन्हें इनके आकार से आराम से पहचाना जा सकता है. इसका कद मध्यम और शरीर सघन होता है. कानों का आकार छोटा और भार 23 से 40 किलो तक हो सकता है. चलिए आपको इस बकरी के बारे में बताते हैं.
एक ब्यांत में 140 किलो दूध
व्यापक रंगों में पाई जाने वाली बारबरी बकरी एक ब्यांत में 150 किलो तक दूध देने में सक्षम है. सेहत के मामले में इनका ट्रैक रिकोर्ड शानदार है, फिर भी कुछ मूल सावधानियों को रखना जरूरी है.
चारा
इसके चारे को लेकर कुछ विशेष प्रबंधन की आवशयक्ता नहीं होती. जिज्ञासु प्रकृति के होने के चलते ये लगभग हर तरह का भोजन, जैसे- कड़वा, मीठा, नमकीन और यहां तक कि खट्टा भी आराम से खा लेती है. हालांकि इसे स्वाद के मामले में फलीदार सब्जियां जैसे लोबिया, बरसीम, लहसुन आदि पसंद है.
मेमने की देखभाल
मेमना भविष्य की पूंजी है, इसलिए इन्हें विशेष देखभाल की आवश्यकता है. जन्म के पहले घंटे में खीस पिलाएं. मेमने को भोजने के रूप में विटामिन ए, डी, खनिज पदार्थ आदि दें.
गाभिन बकरियों की देखभाल
गाभिन बकरी को देखभाल की जरूरत होती है. इसलिए इन्हें ब्याने से लगभ डेढ़ महीने पहले ही दूध निकालना बंद कर दें. ब्याने से 2 सप्ताह पहले से उन्हें साफ, खुले और कीटाणु रहित कक्ष में रखना शुरू कर दें. ब्याने के बाद बकरी का पिछला हिस्सा आयोडीन या नीम के पानी से साफ करना न भूलें. बकरी को ब्याने के बाद गर्म पानी में शक्कर मिलाकर दें.
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