भारत में मछली पालन व्यवसाय मुनाफे का बिजनेस माना जाता है. आज के समय की बात करें तो हमारे देश में करोड़ों लोग अपनी आजीविका प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इसी व्यवसाय से चला रहे हैं और इससे अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं. कुछ धार्मिक महीनों को छोड़कर पूरे साल मछलियों की मांग बाजार में बनी रहती है. कुछ मछलियां तो भारत में इतनी लोकप्रिय हो चुकी हैं कि साधारण जनमानस के भोजन शैली का हिस्सा बन गई हैं. सिलवर कार्प भी उसी तरह की मछली है. चलिए आपको इसके बारे में बताते हैं.
आज के समय में सिलवर कार्प मछली लगभग पूरे विश्व में पाई जाती है, लेकिन इतिहासकारों का मानना है कि इस मछली का मूल स्थान चीन रहा होगा. इसका शरीर समतल होता है, जबकि मुंह और आंखें छोटी होती हैं. इसके नाम के अनुसार ही इसका शरीर सिल्वर रंग का होता है.
देखभाल
ये मछलियां अपना आहार पानी की ऊपरी सतह से लेती है और इन्हें मुख्य रूप से छोटे पौधे, पत्ते और गले-सड़े फलों के अवशेष पसंद होता है. हमारे देश में मई और जून के महीनों में ये अंडे देती है, इसलिए इस दौरान इनका खास ख्याल रखा जाना चाहिए. ध्यान रहे कि इस प्रजाति की मछलियों को अधिक शोर पसंद नहीं होता है. यह तेजी से बढ़ने वाली मछली है और एक ही वर्ष में 4 किलो तक वजन प्राप्त करने में सक्षम है.
जून के महीने का आहार
जैसा कि हमने आपको बताया कि जून का महीना इनके लिए अंडे देने का होता है, इसलिए इस दौरान इन्हें अधिक पौष्टिक आहार मिलने चाहिए. खाने में इन्हें उच्च प्रोटीन और वसा वाला भोजन दें. वसा के रूप में आप इन्हें एन 3 HUFA दे सकते हैं. इसी तरह इनके भोजन में लगभग 20 प्रतिशत तक का आहार कार्बोहाइड्रेट वाला दें.अगर मछली भोजन खाना बंद कर दें तो ये अच्छे लक्षण नहीं है. इस दौरान उन्हें औषधीय खुराक देने की कोशिश करें. औषधीय फीड इन्हें बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं.
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