उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड जिला देश के सबसे पिछड़े क्षेत्रों में से एक है. यहां देसी गायों की दूध देने की क्षमता कम हो रही है, इसलिए पशुपालकों को बहुत घाटा हो रहा है. इस कारण पशुपालक देसी गायों का पालन कम कर रहे हैं और उन्हें जंगल में छोड़ देते हैं. इसके चलते किसान मानने लगे हैं कि अब पशुपालन के व्यवसाय अच्छा लाभ नहीं मिल सकता है.
इसके चलते किसान मानने लगे हैं कि अब पशुपालन के व्यवसाय अच्छा लाभ नहीं मिल सकता है. ऐसे में बुंदेलखंड के पशुपालन विभाग द्वारा पशुपालन के व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने वित्तीय वर्ष में केन कथा योजना की शुरुआत की है. इस योजना के तहत पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान के जरिए कम दूध देने वाली देसी गायों की नस्लों में बदलाव कर दुधारू बनाया जा रहा है. सरकार का मानना है कि इस तरह से देसी गायों का कृत्रिम गर्भाधान कर अच्छी नस्ल से गर्भाधान कर दूध उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है.
अब तक कितनी गायों का हो चुका गर्भाधान (How many cows have been conceived so far?)
प्रदेश सरकार ने चित्रकूटधाम मंडल में अन्ना पशुओं से निजात दिलाने के लिए केन कथा अभियान को चलाया है. इसके तहत अब तक एक लाख से अधिक देसी गायों का कृत्रिम गर्भाधान किया गया है. माना जा रह है कि इस कृत्रिम गर्भाधान प्रक्रिया से अच्छी नस्ल के बच्चे पैदा होंगे, जैसे की साहिवाल और थार्पकर.
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केन कथा अभियान से होने वाले लाभ (Benefits of Ken Katha Campaign)
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इससे गायों में 11 माह तक दूध देने की क्षमता रहती है.
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अच्छी नस्लें की गाय पैदा होती हैं.
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गायों में दूध की वृद्धि होती है.
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किसानों को पशुपालन के क्षेत्र में अधिक मुनाफा प्राप्त होगा.
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इसके साथ ही आवारा पशुओं की संख्या कम होगी.
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