देशभर में व्यवसाय के रूप में नई पहचान अब पशुपालकों को भी मिलने लगी है. ऐसे में पशुपालकों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वो अपने पशुओं की सही से देखभाल करें. इससे जहां पशुओं का स्वास्थ ठीक रहेगा तो वही इसका फायदा सीधे किसानों को भी मिलेगा. तो चलिए इस लेख में जानते हैं कि कैसे आप अभी भैंसों का ध्यान रखकर उनसे ज्यादा दूध उत्पादन (pashuon ka doodh kaise badhaye) कर सकते हैं.
भैंसों का गर्भावस्था में रखें खास ख्याल (Take special care of buffaloes during pregnancy)
अगर आप भी भैंस पालते हैं तो इस लेख में दी गई हर एक जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण है. अक्सर देखने को मिलता है कि थोड़ी सी लापरवाही से पशुपालकों को बहुत बड़ा नुकसान झेलना पड़ता है. ऐसे में पशुपालक किसानों को अपनी भैंसों के प्रति बिल्कुल भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए. आमतौर पर किसान भाई अपनी भैंसों का ख्याल अच्छे से रखते हैं लेकिन अगर वो गर्भवती है तो आपकी उसके प्रति जिम्मेदारी दोगुनी हो जाती है. खास करके गर्भावस्था के अंतिम तीन महीनों में, क्योंकि इस दौरान दूध उत्पादन (Milk Production) के समय हुई पोषक तत्वों की कमी और गर्भ में पलने वाले बच्चे के लिए भोजन की अतिरिक्त भरपाई करनी होती है.
गाभिन भैंसों की देखभाल करने के लिए ध्यान देने योग्य तीन मुख्य बातें-
पोषण प्रबन्ध
आवास प्रबन्ध और
सामान्य प्रबन्ध
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गर्भवती भैंसों में पोषण प्रबन्ध का रखें ध्यान (Take care of nutrition management in pregnant buffaloes)
भैंस जब गाभिन होती हैं तो वो कमजोर भी हो जाती है. क्योंकि वो जो कुछ भी आहार लेती है वो उसके बच्चे तक भी पहुंचता है. ऐसे में गाभिन भैंस को अपने जीवन यापन व दूध देने के अतिरिक्त अपने पेट में पल रहे बच्चे के विकास के लिए भी पोषक तत्वों और ऊर्जा की जरूरत होती है. इसके साथ ही स्वच्छ पीने का पानी होना चाहिए.
इंसान हो या फिर जानवर ये तो सबको पता है गर्भावस्था के अंतिम तीन महीनों में बच्चे का सबसे अधिक विकास होता है. ऐसे में गर्भवती भैंस के आठवें, नवें और दसवें महीने में अधिक और शुद्ध पोषण आहार देन की जरूरत होती है. क्योंकि यही वो समय होता है जब भैंस अगले ब्यांत में अच्छा दूध देने के लिये अपने वजन को बढ़ाती है. साथ ही पिछले ब्यांत में पोषक तत्वों की हुर्इ कमी को भी पूरा करती है.
गर्भवती भैंसो का आवास प्रबन्ध (housing management of pregnant buffaloes)
भैंस के गर्भवती होने के आठ महीने बाद उन्हे अन्य पशुओं से अलग रखना चाहिए.
गर्भवती भैंस का रहने वाला स्थान समतल (बाड़ा) होना चाहिए ना की उबड़-खाबड़. साथ ही बाड़े में सीलन नहीं लगी होनी चाहिए.
गाभिन भैंसों का आवास ऐसा होना चाहिए जहां अत्याधिक सर्दी, गर्मी और बरसात का असर बहुत ज्यादा ना पड़े और भैंस को ऐसे वातावरण से बचाया जा सके. साथ ही गर्मियों के दिन में हवा का प्रवेश भी अच्छे से हो.
भैंसों में सामान्य प्रबन्ध कैसे करें?
गर्भवती भैंस के अंतिम दिनों में रेल या ट्रक से उसे कहीं ढोना नहीं चाहिए. साथ ही उसे ज्यादा पैदल यानी लंबी दूरी तक चलने से भी बचाना चाहिए. हालांकि इस दौरान भैंस के लिए थोड़ा व्यायाम भी जरूरी होता है.
इसके साथ ही इस दौरान भैंस को ऊंची-नीची जगहों और गहरे तालाबों में भी ले जाने से बचना चाहिए. क्योंकि ऐसा करने से भैंस के बच्चे दानी पर गहरा असर पड़ सकता है.
भैंसों के ब्याने के दो महीने पहले से ही उसके दूध को सुखा देना चाहिए. अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो भैंस के अगले ब्यांत के उत्पादन में कमी देखने को मिल सकती है.
गर्भवती भैंसों को ऐसे पशुओं से दूर रखे जिनका गर्भपात हुआ हो.
आमतौर पर 310 दिनों के अवधि के दौरान भैंस का गर्भावस्था हो जाता हैं. ऐसे में पशुपालक को गर्भधारण की तारीख और उसके अनुसार गर्भावस्था की तारीख नोट कर लेनी चाहिए.
सूर्य की रोशनी भी गाभिन भैंसों के लिए सबसे जरूरी है क्योंकि इसमें विटामिन डी की मात्रा होती है. ऐसे में इस बात का भी ध्यान रखें कि उन्हें उचित मात्रा में सूर्य की रोशनी मिल सकें.
इन बातों का ध्यान रखकर भैंस पालक अपने बिजनेस में होने वाले नुकसान से बच सकते हैं.
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