युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नए साल 2021 में कई पहल की जाएगी. इस क्रम में बिहार के कृषि विज्ञान केंद्र में बकरी पालन का प्रशिक्षण (Goat Farming Training) दिया जा रहा है. इसके अलावा युवाओं को यह बताया जाएगा कि बकरी पालन (Goat Farming) से कितनी आमदनी होगी और कैसे होगी… हालांकि, Goat Farming Training लेने के लिए युवाओं को कृषि विज्ञान केंद्र मानपुर (Agricultural Science Center Manpur) में जाकर निबंधन कराना होगा.
बकरी पालन (Goat Farming) करने के सिखाए जाएंगे गुर
बकरी पालन को अचूक तरीके से युवा कर सकें, इसके लिए कई गुर सिखाए जाएंगे. जैसे कि शेड का निर्माण कैसे किया जाएगा. उसमें बकरी पालन कैसे होगा. शेड में रहने वाले बकरी को कौन सा भोजन खिलाएगें कि वह काफी तेजी से बढे. इसके बारे में भी विस्तार में बताया जाएगा. इसके अलावा बकरियों को होने वाले रोग और रोकथाम यानि प्राथमिक उपचार के बारे में भी बताया जाएगा.
ब्लैक बंगाल नस्ल (Black Bengal Breed)
यह नस्ल देश के पूर्वी क्षेत्र में पाई जाती है. खासतौर पर यह पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और बिहार में होती हैं. इस नस्ल की बकरी के पैर छोटे होते हैं, इसलिए इनका कद छोटा होता है. यह काले रंग की होती है. खास बात है कि इनकी नाक की रेखा सीधी या कुछ नीचे दबी होती है.
कितना होता है ब्लैक बंगाल बकरी का वजन
अगर इसके वजन की बात करें तो व्यसक नर का वजन करीब 18 से 20 किलो ग्राम का होता है. इसके साथ ही मादा का वजन 15 से 18 किलो ग्राम का होता है.
कितना मिलता है ब्लैक बंगाल बकरी से दूध उत्पादन
अगर इसके दूध उत्पादन की बात की जाए तो मादा बकरी रोजाना 3 से 4 माह तक 300 से 400 ml दूध दे सकती है.
ब्लैक बंगाल नस्ल की बकरी पालन (Black Bengal Breed Goat Rearing) करना होगा काफी बेहतर
पशुपालन वैज्ञानिक के मुताबिक, ऐसे गया के आसपास क्षेत्रों के लिए बकरी की चार नस्ल होती हैं. लेकिन मौसम और जलवायु के अनुकूल गया के लिए ब्लैक बंगाल नस्ल की बकरी पालन करना सही रहेगा. यह काफी तेजी से बढे़गी और आमदनी भी काफी अच्छी होगी.
ब्लैक बंगाल नस्ल की बकरी (Black Bengal Breed Goat)
ब्लैक बंगाल नस्ल के मादा बच्चे करीब 8-10 माह की उम्र में वयस्क हो जाते हैं. अगर शारीरिक वजन ठीक हो तो मादा मेमना (पाठी) को 8-10 माह की उम्र में पाल दिलाना चाहिए अन्यथा 12 महीने की उम्र में पाठी में ऋतुचक्र एवं ऋतुकाल छोटा होता है. वैसे बकरी में ऋतुचक्र करीब 18-20 दिनों का होता है एवं ऋतुकाल 36 घंटों का. बकरियां सालों भर गर्म होती हैं लेकिन अधिकांश बकरियां मध्य सितम्बर से मध्य अक्टूबर तथा मध्य मई से मध्य जून के बीच गर्म होती है. अन्य समय में कम बकरियां गर्म होती है.
ऋतुकाल शुरू होने के 10-12 तथा 24-26 घंटों के बीच 2 बार पाल दिलाने से गर्भ ठहरने की संभावना 90 प्रतिशत से अधिक रहती है. इसे आप इस प्रकार समझ सकते है कि अगर बकरी या पाठी सुबह में गर्म हुई हो तब उसे उसी दीन शाम में एवं दूसरे दिन सुबह में पाल दिलाएं. अगर शाम को गर्म हुई हो तो दूसरे दिन सुबह में पाल दिलाएं.
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