दुग्ध उत्पादन में भारत का डंका विश्व में बजता है. यह बात भी किसी से छिपी नहीं है कि भारत का दूध विश्व बाजार में अलग पहचान रखता है. वैसे हमारे यहां गाय और भैंस, दोनों ही मुख्य पशुओं का योगदान दूध उत्पादन में अहम है लेकिन गाय का दूध स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है. इसकी अधिक मांग के कारण पशुपालक भी गाय पालना अधिक पसंद करते हैं.
भारतीय गाय की कई नस्लें वैसे विश्वभर में प्रसिद्ध हैं. गिर भी गाय की ऐसी ही एक नस्ल है, जिससे आम गायों की तुलना में अधिक दूध मिलता है. इसका दूध गुणवत्ता के मामले में भी अन्य गायों के मुकाबले श्रेष्ठ है.
डेयरी उद्योग के लिए मुनाफ़ा है गिर
स्वदेशी पशुओं में गिर का नाम दूध देने में सबसे आगे आता है. दुधारू नस्ल की इस गाय को क्षेत्रीय भाषाओं में और भी कई अन्य नामों से पुकारा जाता है, जैसे- भोडली, देसन, गुराती और काठियावाड़ी आदि. इसके नाम से ही पता लगता है कि इसका मूल निवास स्थान गिर जंगल क्षेत्र ही रहा होगा.
12 से 15 साल का है जीवनकाल
इसका जीवनकाल 12 से 15 साल तक का होता है. गिर अपने जीवनकाल में 6 से 12 बच्चे पैदा कर सकती है. इसका वजन लगभग 400-475 kg हो सकता है. इन गायों को इनके रंग से पहचाना जा सकता है. आमतौर पर ये सफ़ेद, लाल और हल्के चॉकलेटी रंग की होती हैं और इनके कान लम्बे और लटकदार होते हैं.
दूध उत्पादन
यह गाय हर दिन 12 लीटर से अधिक दूध देने में सक्षम है. इसके दूध में वसा की मात्रा 4.5 फीसदी होती है. इतना ही नहीं, एक बार में यह गाय 5000 लीटर तक दूध दे सकती है. वैसे इस नस्ल के सांड बोझा उठाने के लिए खास जाने जाते हैं. दुर्गम, पहाड़ी और पथरीले मार्गों को भारी-भरकम बोझे के साथ पार करने में इन्हें महारत हासिल है.
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