दुधारू पशुओं को खरीदते समय पशुपालकों के मन में कई तरह के प्रश्न होते हैं. अच्छे पशु का चुनाव किस तरह किया जाए ये एक जटिल प्रश्न है. इस काम को करना इतना सरल नहीं है. अच्छे नस्ल के दुधारू पशु भी जो देखने में सही आकार के हो अंदर से कमजोर हो सकते हैं. दूध देने की क्षमता सिर्फ वंशावली पर ही नहीं बल्कि अन्य कारकों पर भी निर्भर करती है. इसलिए दुधारू पशुओं के चयन या खरीदारी करते समय उसके नस्ल, दोष, स्वास्थ्य, ब्यांत आदि का ध्यान रखा जाना चाहिए. चलिए आज हम आपको बताते हैं कि कैसे पशुपालक निम्न तरीकों के सहारे अच्छे दुधारू पशु का चुनाव कर सकते हैं.
शारीरिक बनावट
दुधारू पशुओं को खरीदते समय उसके शारीरिक बनावट का खास ख्याल रखा जाना चाहिए. जैसे तिकोने आकार की गाय अधिक दुधारू होती है. इसकी पहचान के लिए उसके सामने खड़े होकर उसका आंकलन करना चाहिए. गाय का अगला हिस्सा पतला और पिछला हिस्सा चौड़ा दिखाई दे और शरीर की तुलना में गाय के पैर एवं मुंह-माथे के बाल अगर छोटे हो तो ऐसी गाय आम तौर पर अधिक दुधारू होती है. ध्यान रहे कि दुधारू पशु की चमड़ी चिकनी, पतली और बड़ी होती है. आंखें साफ और चमकीली होती है. अयन पूर्ण रूप से विकसित होते हैं.
थनों से पहचान
थनों और अयन से दूध देने की क्षमता का अंदाजा लगाया जा सकता है. थान और अयन पर पाई जाने वाली दुग्ध शिराओं के उभरे और टेड़े-मेडे होने का मतलब पशु के अधिक दुधारू होने से है. ध्यान रहे कि दूध दोहन के उपरांत थन को पूरी तरह से सिकुड़ जाना चाहिए.
तीसरे ब्यांत की गाय-भैंस दें प्राथमिकता
दुधारू पशुओं में सदैव दूसरे अथवा तीसरे ब्यांत को अधिक महत्वता देनी चाहिए. क्योंकि ऐसे पशु अपनी पूरी क्षमता के अनुरूप दूध देते हैं. यह क्रम लगभग सात ब्यांत तक चल सकता है. वहीं अगर दूसरे तीसरे ब्यांत के वक्त पशु एक माह ब्याही हुई हो तो और बढ़िया है. इससे मादा पड़िया अथवा बछड़ी मिलने की उम्मीद और बढ़ जाती है, जो भविष्य की पूंजी समान है.
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