पशुओं पर परजीवियों के हमले के कारण पशुपालन व्यवसाय में काफि नुकसान होता है. इस वजह से पशुओं को इनके संक्रमण से बचाना अति आवश्यक है. पशुपालन व्यवसाय में पशुओं से अधिक लाभय़ लेने के लिए पशुओं का ध्यान रखना बहुत जरूरी है ताकी उनको बीमारियों से बचाया जा सके. पशुओं में बीमारी कई तरह से आ सकती है जैसे मौसम जनित बीमारियां और संक्रमण वाली बीमारियां. इसी प्रकार पशुओं में संक्रमण से होने वाली बीमारी की बात करें तो परजीवियों के कारण पशु काफी बीमार होते हैं. परजीवियों की वजह से पशुओं में काफि प्रकार की आम समस्या उत्पन्न होती है खून की कमी, वजन घटना, विभिन्न त्वचा रोग आदि. वहीं कई बार समस्या बड़ी हो जाती है और थिलेरियासिस, सर्रा, बेबीयोसिस आदि जैसे गंभीर बीमारीयां हो जाती हैं. सामान्यत: किल्लिया, मच्छर, मक्खी, माइट् व पिस्सू की विभिन्न प्रजातियां पशुओं को प्रभावित करती हैं.
कैसे किया जाए बचाव
पशुओं को ब्राहा परजीवियों से बचाने के लिए कीटनाशक के स्प्रे का प्रयोग किया जा सकता है. साइपरमैथरीन की एक मिली मात्रा को एक लीटर पानी में घोल बनाकर आवश्यक्तानुसार प्रयोग किया जा सकता है. इसके अलावा आइवरमेक्टिन का टीका 0.2 मिलीग्राम प्रति किलो की दर से त्वचा के नीचे लगाया जा सकता है। यह सभी ब्राहा परजीवियों की रोकथाम के लिए जरूरी है.
इसके अलावा अन्य परजीवियों की बात करें तो मच्छरों को नियंत्रण करने के लिए बेसिलस थ्युरिनजेनसिस जीवाणु का प्रयोग किया जा सकता है. किल्ली के नियंत्रण के लिए इंटरलेस हुकेरी व इक्जोडिफेगस कीटों का प्रयोग किया जा सकता है. इन कीटों के लार्वा टिक्स के निम्फ को खा जाते हैं.
पशुओं की नियमित रूप से जांच करवाना चाहिए उनके शरीर से किल्लियों को निकाल कर जला देना चाहिए. पशुओं को नहलाते वक्त उनको कीटनाशक का प्रयोग करें जिससे संक्रमण का खतरा कम हो. पशुओं के बाड़े में कीटनाशक जैसे मेलाथियान आदि का छिड़काव करें व बाड़े में चूने की पुताई करें. मक्खियों द्वारा किये गए घाव के उपचार के लिए तारपीन के तेल में डुबोई हुई पट्टी को घाव पर लगाकर लारवी को बाहर करें.
पशुपालन पूरे विश्व में एक महत्वपूर्ण व्यवसाय के तौर पर देखा जाता है. आने वाले वर्षों में पशुपालन को एक बड़े व्यवसाय के तौर पर देखा जाता है. मौजूदा वक्त की अगर बात करें तो विश्व के करीब 1.3 अरब लोग रोजगार से जुड़े हुए हैं. हम आशा करते हैं की हमारी इस जानकारी से आप संतुष्ट होंगे, इस तरह की अन्य जानकारी के लिए आप हमें कमेंट भी कर सकते हैं.
कृषि जागरण डेस्क
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