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गर्मियों में दुधारू पशुओं के लिए ड्राई फ्रूट है यह चारा, जानें खेती की पूरी विधि

Cowpea Cultivation: तेज गर्मी और चिलचिलाती धूप से इसानों के साथ-साथ पशु और पक्षी भी परेशान है. गर्म हवाओं की वजह से मवेशियों के लू लगाने का खतरा काफी ज्यादा रहता है. ऐसे में किसानों को दुधारू पशुओं का खास ख्याल रखने के लिए उन्हें आहार के रूप में हरा चारा देना होता है.

मोहित नागर
मोहित नागर
गर्मियों में दुधारू पशुओं के लिए ड्राई फ्रूट है यह चारा (Picture Credit - FreePik)
गर्मियों में दुधारू पशुओं के लिए ड्राई फ्रूट है यह चारा (Picture Credit - FreePik)

Lobia Cultivation: भारत के कई राज्यों में भीषण गर्मी पड़ रही है और पारा 50 डिग्री से भी पार जा चुका है. तेज गर्मी और चिलचिलाती धूप से इसानों के साथ-साथ पशु और पक्षी भी परेशान है. गर्म हवाओं की वजह से मवेशियों के लू लगाने का खतरा काफी ज्यादा रहता है. ऐसे में किसानों को दुधारू पशुओं का खास ख्याल रखने के लिए उन्हें आहार के रूप में हरा चारा देना होता है. किसान गर्मी के मौसम में अपने दुधारू पशुओं को लोबिया चारे दे सकते हैं. इसकी खेती के लिए सिंचित क्षेत्रों को उपयुक्त माना जाता है. गर्मी और खरीफ मौसम में यह चारा बहुत जल्द बढ़ने लग जाता है. यह दुधारू पशुओं के लिए फलीदार, पौष्टिक और स्वादिष्ट चारा है.

ऐसे मिलेगी अच्छी पैदावार और गुणवत्ता

किसानों को हरे चारे की अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए सिंचित इलाकों में इसकी बुवाई करनी चाहिए. इसकी अच्छी गुणवत्ता के लिए बारिश पर निर्भर रहने वाले इलाकों में इसके बीजों की बोया जाना चाहिए. यदि किसान मई माह में इस फसल की बुवाई करते हैं, तो जुलाई में काफी अच्छी मात्रा में दुधारू पशुओं के लिए हरा चारा प्राप्त कर सकते हैं. इसके अलावा, अगर आप इसकी बुवाई ज्वारा, बाजरा और मक्का के साथ करते हैं, तो इससे लोबिया की गुणवत्ता में भी वृद्धि होती है.

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पशुओं को मिलेगा 25% प्रोटीन

तेज गर्मी में दुधारू पशुओं की दूध देने की क्षमता कम होती चली जाती है. ऐसे में किसानों को अपने पशुओं को लोबिया चारा खिलाना चाहिए, जिससे दुधारू पशुओं की दूध देने की क्षमता ठीक-ठाक बनी रहें. बता दें, लोबिया चारे में 15 से 20 फीसदी प्रोटीन और सूखे दानों में लगभग 20 से 25 फीसदी प्रोटीन पाया जाता है.

उन्नत किस्मों का करें चयन

लोबिया की फसल लगाने से पहले किसानों को इसकी उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिए, जिससे चारे का उत्पादन बढ़ सके. आप इसकी सी.एस.88 किस्म की फसल लगा सकते हैं, इसे खेती के सर्वोतम माना जाता है. लोबिया की यह सीधी बढ़ने वाली किस्म है, जिसके पत्तों का रंग हरा और यह चौड़े होते हैं. इस किस्म के चारे को अलग-अलग रंगों में विशेषकर पीले मौजेक विषाणु रोग के लिए प्रतिरोधी और कीटों से मुक्त रखने के लिए भी पहचाना जाता है. इस किस्म के लोबिया की बुवाई सिंचित क्षेत्रों के साथ-साथ कम सिंचाई वाले क्षेत्रों में गर्मी और खरीफ के मौसम में भी की जा सकती है. बुवाई के लगभग 55 से 60 दिनों में किसान इनकी कटाई कर सकते हैं. किसान प्रति एकड़ से इस किस्म के चारे की लगभग 140 से 150 क्विंटल तक पैदावर प्राप्त कर सकते हैं.

उपयुक्त मिट्टी और खेती

किसानों लोबिया की खेती के लिए अच्छे जल निकास वाली दोमट मिट्टी को उपयोग में ले सकते हैं, लेकिन रेतीली मिट्टी भी इसकी खेती कर सकते हैं. इसकी फसल से अच्छी पैदावर प्राप्त करने के लिए 2 से 3 जुताई करनी होती हैं. बुवाई के लिए आपको प्रति एकड़ में इसके 16 से 20 किलोग्राम बीजों की आवश्यकता होती है. इसकी एक पंक्ति से दूसरी पंक्ति की दूरी लगभग 30 सेमी तक रखनी चाहिए, बुवाई के लिए पोरे और ड्रिल का उपयोग करना चाहिए.

English Summary: cowpea cultivation in summer lobia farming for dairy cattle Published on: 05 June 2024, 03:59 IST

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