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Updated on: 11 December, 2020 12:00 AM IST
Buffalo Rearing

भैंस एक प्रकार का दुधारू पशु है. कुछ लोगों के द्वारा भैंस को काफी ज्यादा पसंद किया जाता है. यह ग्रामीण भारत में काफी ज्यादा उपयोगी होती है. ज्यादातर डेयरी उद्योग के लिए देश में गाय और भैंस को ज्यादा महत्व दिया जाता है. 

भारत में अगर भैंसों की बात की जाए तो यहां 6 तरह की भैंस हमको दिखाई ज्यादा देती हैं जिसमें मुर्रा, सांभलपुरी, सुरती, ज़फराबादी, नागपुरी और मेहसना आदि शामिल हैं.

दुधारू भैंस की नस्लें (Buffalo breeds)

1) मुर्रा नस्ल की भैंस (Murrah breed Buffalo)

मुर्रा नस्ल की भैंस हरियाणा, दिल्ली व पंजाब में मुख्यतः पाई जाती है. इसका औसतन दुग्ध उत्पादन 8 से 10 लीटर प्रतिदिन होता है जबकि संकर मुर्रा एक दिन में 6 से 8 लीटर दूध देती है. ये तटीय व कम तापमान वाले क्षेत्रों में भी आसानी से रह लेती है.

2) सांभलपुरी नस्ल की भैंस (Sambhalpuri breed Buffalo)

इस नस्ल का गृह क्षेत्र उड़ीसा का सांभलपुर जिला है, यह नस्ल छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में भी पायी जाती है. यह नस्ल  दोहरे उपयोग वाली है. यह एक ब्यांत में 2300 से 2700 कि.ग्रा. दुग्ध उत्पादन करती है.

3) सुरती नस्ल की भैंस (Surti Buffalo)

सुरती नस्ल की भैंस मुख्यतः गुजरात में पाई जाती है. यह वास्तव में माही और साबरमती नदियों के बीच पाई जाती है. यह एक ब्यांत में तकरीबन 1700 से 2500 किलोग्राम देती है. सुरती भैंस को चारोटारी, दक्कनी, गुजराती, नडियादी और तालाबड़ा के नाम से भी जाना जाता है.

4) ज़फराबादी नस्ल की भैंस (Zafarabadi breed Buffalo)

जाफराबादी नस्ल की भैंस गुजरात के काठियावाड जिले में पाई जाती है. यह एक ब्यांत  में तकरीबन 1800 से 2700 किलोग्राम दूध देती है. यह भैंस की सबसे भारी नस्ल है. इसके अग्र सिर में यह सफेद निशान 'नव चन्द्र' के नाम से जाना जाता है.

5) नागपुरी नस्ल की भैंस (Buffalo of Nagpuri breed)

नागपुरी नस्ल की भैंस महाराष्ट्र के नागपुर, अकोला, अमरावती व यवतमाल क्षेत्र में पाई जाती है. यह एक ब्यांत  में 1030 से 1500 किलोग्राम दुग्ध उत्पादन करती है.

दुधारू नस्लों के चुनाव के लिये सामान्य प्रक्रिया (General procedure for selection of milch breeds)


जब भी किसी पशु मेले से कोई मवेशी खरीदा जाता है तो उसे उसकी नस्ल की विशेषताओं और दुग्ध उत्पादन की क्षमता के आधार पर परखा जाना चाहिए. इतिहास और वंशावली देखी जानी चाहिए, क्योंकि अच्छे कृषि फार्मों द्वारा ये हिसाब रखा जाता है. दुधारू गायों का अधिकतम उत्पादन प्रथम पांच बार प्रजनन के दौरान होता है.

इसके चलते आपका चुनाव एक या दो बार प्रजनन के पश्चात् का होना चाहिए, वह भी प्रजनन के एक महीने बाद. उनका लगातार दूध निकाला जाना चाहिए जिससे औसत के आधार पर उसकी दूध देने की क्षमता का आकलन किया जा सके. थन पेट से सही तरीके से जुडे हुए होने चाहिए. थनों की त्वचा पर रक्त वाहिनियों की बुनावट सही होनी चाहिए. चारो थनों का अलग-अलग होना व सभी चूचक सही होनी चाहिए.

English Summary: Buffalo Breeds: Follow these breeds to get more profits from buffalo farming
Published on: 11 December 2020, 05:06 IST

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