केंद्र सरकार देशी नस्लों के संरक्षण और दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए ‘राष्ट्रीय गोकुल मिशन’ (National Gokul Mission) को लागू किया है. यह मिशन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रयासों के पूरक के रूप में संचालित किया जा रहा है और इसके जरिए देश में गोजातीय पशुओं की उत्पादकता में ऐतिहासिक बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
ऐसे में आइए राष्ट्रीय गोकुल मिशन/National Gokul Mission से जुड़ी हर एक जानकारी को यहां विस्तार से जानते हैं.
दुग्ध उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि
पशुपालन और डेयरी विभाग के अनुसार, वर्ष 2014-15 में जहां प्रति पशु प्रति वर्ष औसत दुग्ध उत्पादन 1640 किलो था, वहीं वर्ष 2023-24 में यह बढ़कर 2072 किलो हो गया है. यह 26.34 प्रतिशत की वृद्धि है, जो विश्व स्तर पर किसी भी देश द्वारा हासिल की गई सबसे तेज़ वृद्धि मानी जा रही है.
देशी और गैर-वर्णित मवेशियों की उत्पादकता भी 927 किलो से बढ़कर 1292 किलो हो गई है, जो कि 39.37 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है. वहीं, भैंसों की औसत उत्पादकता 1880 किलो से बढ़कर 2161 किलो हो गई है, जो 14.94 प्रतिशत की वृद्धि है.
देश का कुल दूध उत्पादन 2014-15 में 146.31 मिलियन टन था, जो 2023-24 में बढ़कर 239.30 मिलियन टन हो गया है. इस तरह कुल 63.55 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है. मिशन का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक प्रति पशु प्रति वर्ष दुग्ध उत्पादकता को 3000 किलो तक पहुंचाया जाए.
प्रमुख प्रयास और उपलब्धियां
- कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम:
ग्रामीण क्षेत्रों में जहां कृत्रिम गर्भाधान की कवरेज 50 प्रतिशत से कम थी, वहां विशेष कार्यक्रम चलाकर इसे बढ़ाया गया है. अब तक 9.16 करोड़ पशुओं को कवर किया जा चुका है, 14.12 करोड़ कृत्रिम गर्भाधान किए गए हैं और 5.54 करोड़ किसान इससे लाभान्वित हुए हैं. - उच्च गुणवत्ता वाले सांडों का उत्पादन:
देशी नस्लों जैसे गिर, साहीवाल, थारपारकर, हरियाणा, राठी आदि के 4343 उच्च आनुवंशिक गुणवत्ता वाले सांडों का उत्पादन किया गया है, जो वीर्य उत्पादन के लिए केंद्रों को प्रदान किए गए हैं. - आईवीएफ और लिंग-विभेदित वीर्य का उपयोग:
तीव्र नस्ल सुधार के लिए इन तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है ताकि देशी नस्लों में तेजी से सुधार लाया जा सके. - जीनोमिक चयन:
आनुवंशिक सुधार की प्रक्रिया को तेज़ करने के लिए जीनोमिक चयन की तकनीक अपनाई गई है. - तकनीशियन और संसाधन व्यक्तियों का प्रशिक्षण:
ग्रामीण क्षेत्रों में कृत्रिम गर्भाधान सेवाएं घर-द्वार पर उपलब्ध कराने हेतु 38,736 बहुउद्देशीय तकनीशियनों को प्रशिक्षित और सुसज्जित किया गया है.
यह जानकारी केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री प्रो. एस.पी. सिंह बघेल ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी. राष्ट्रीय गोकुल मिशन ने न सिर्फ देशी नस्लों की रक्षा की है बल्कि किसानों की आय बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. सरकार का प्रयास है कि यह मिशन आने वाले वर्षों में और अधिक मजबूती के साथ आगे बढ़े.