वर्तमान समय में चमड़े और ऊन की मांग काफी अधिक है, और इसी वजह से भेड़ पालन व्यवसाय लगातार फल-फूल रहा है। यही वजह है कि किसान पारंपरिक खेती के साथ-साथ भेड़ पालन भी कर रहे हैं, और इस व्यवसाय से जुड़कर वे कई गुना ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं। अगर आप भी भेड़ पालन करने की सोच रहे हैं तो गुग्नी, मारवाड़ी और जैसलमेरी नस्लों का पालन कर सकते हैं.
1. गुग्नी नस्ल की भेड़
गुग्नी नस्ल की भेड़ का पालन करके पशुपालक अच्छी आमदनी अर्जित कर सकते हैं। इस नस्ल की खास बात यह है कि इससे साल में तीन बार ऊन काटा जा सकता है। यह नस्ल सालभर में औसतन 1 से 1.5 किलो ऊन देती है। इसलिए किसान खेती छोड़कर भेड़ पालन की ओर आकर्षित हो रहे हैं, क्योंकि इसमें नियमित आय की संभावना है।
2.मारवाड़ी नस्ल की भेड़
मारवाड़ी भेड़ राजस्थान की प्रमुख नस्लों में से एक है, जिसे मुख्यतः ऊन और मांस के लिए पाला जाता है। यह नस्ल 1.5 से 2.5 किलो तक ऊन सालाना देती है। ऊन की कटाई साल में लगभग दो बार की जाती है। ऊन का बाज़ार में मूल्य अच्छा होता है और इसे सीधे बाज़ार में बेचकर अच्छी आमदनी अर्जित की जा सकती है। इसके अलावा, मारवाड़ी भेड़ का मांस भी काफी मूल्यवान होता है और बाजार में इसकी अच्छी मांग रहती है। इस नस्ल के पालन से ऊन और मांस दोनों से किसान लाभ कमा सकते हैं।
3. जैसलमेरी नस्ल की भेड़
जैसलमेरी भेड़ का पालन पशुपालकों के लिए काफी लाभकारी होता है क्योंकि इससे ऊन, मांस और दूध, तीनों उत्पाद प्राप्त किए जा सकते हैं। इस नस्ल से साल में लगभग 750 ग्राम ऊन प्राप्त होता है। इस भेड़ का दूध बाज़ार में महंगे दामों पर बिकता है और इसकी मांग भी अधिक है। मांस की भी इस नस्ल में अच्छी मांग है।
यह नस्ल खास तौर पर उन किसानों के लिए उपयुक्त है जो विविध उत्पादों से आय उत्पन्न करना चाहते हैं। जैसलमेरी नस्ल कठिन जलवायु और रेतीले इलाकों में भी आसानी से पनपती है।
कम लागत, बड़ा मुनाफा
भेड़ पालन एक कम निवेश में अधिक रिटर्न देने वाला व्यवसाय है, जिसे छोटे किसान भी आसानी से शुरू कर सकते हैं।
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शुरुआती खर्च: उचित नस्ल का चयन और चारा व्यवस्था जरूरी है। इसके साथ ही साफ-सफाई और चिकित्सा सुविधाएं भी ध्यान में रखनी चाहिए।
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लाभ: पशुपालकों को ऊन, मांस और दूध से डबल फायदा मिलता है, जिससे आय दोगुनी हो सकती है।
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मांग: ऊन की मांग मुख्य रूप से सर्दी के मौसम में होती है, लेकिन मांस और दूध की मांग सालभर बनी रहती है।