बकरी पालन किसानों के लिए कम निवेश में बड़ा मुनाफा देने वाला व्यवसाय बनता जा रहा है। कुछ बकरी नस्लें ऐसी हैं जो मांस के साथ-साथ दूध भी अधिक मात्रा में देती हैं, जिससे पशुपालकों को दोहरा लाभ होता है। बकरी पालन अब सिर्फ दूध उत्पादन तक सीमित नहीं रहा, बल्कि बकरी के मांस की देश और विदेश दोनों में जबरदस्त मांग है। यही कारण है कि देशभर के किसान इस बिजनेस को अपनाकर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं।
बकरियों की टॉप 5 नस्लें
सिरोही नस्ल
यह नस्ल राजस्थान की रेतीली जमीन से उत्पन्न हुई है और आज पूरे देश के किसानों की पहली पसंद बन चुकी है। सिरोही नस्ल का औसत वजन 40 से 50 किलोग्राम तक होता है। यह नस्ल मांस उत्पादन के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है और राजस्थान, हरियाणा, गुजरात व मध्य भारत के गर्म इलाकों में पालन के लिए उपयुक्त है।
जमुनापारी नस्ल
उत्तर प्रदेश की प्रसिद्ध जमुनापारी बकरी अपनी शानदार बनावट और उच्च दूध उत्पादन क्षमता के लिए जानी जाती है। इसकी ऊंचाई और शरीर देखकर इसे "बकरियों की गाय" कहा जाता है। यह बकरी प्रतिदिन लगभग 2 से 3 लीटर दूध देती है और दूध तथा ब्रीडिंग दोनों के लिए फायदेमंद है।
सानन नस्ल
सानन नस्ल विदेशी मूल की है, जिसका उद्गम स्विट्ज़रलैंड से हुआ है। यह नस्ल दूध देने के लिए प्रसिद्ध है और प्रतिदिन 3 से 4 लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती है। हालांकि, यह नस्ल गर्म इलाकों के लिए उपयुक्त नहीं है। ठंडे क्षेत्रों में इसका पालन डेयरी बकरी के रूप में किया जाता है और इससे अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।
बरबरी नस्ल
बरबरी नस्ल उत्तर प्रदेश और उत्तर भारत के किसानों के बीच काफी लोकप्रिय है। यह आकार में छोटी होती है, लेकिन दूध और मांस दोनों के लिए उपयोगी है। यह बकरी प्रतिदिन लगभग 1.5 से 2 लीटर तक दूध देती है। किसान कम चारे, कम जगह और कम लागत में इस नस्ल का पालन कर बढ़िया आमदनी कमा सकते हैं।
ओस्मानाबादी नस्ल
यह नस्ल महाराष्ट्र, राजस्थान और दक्षिण भारत के गर्म इलाकों के लिए उपयुक्त है। ओस्मानाबादी बकरी विशेष रूप से मांस उत्पादन के लिए जानी जाती है। इसका वजन लगभग 35 से 45 किलोग्राम तक होता है। इस नस्ल का मांस बाजार में ऊंचे दामों पर बिकता है और यह बकरी रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए भी प्रसिद्ध है।