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मधुमक्खी पालन है एक लाभकारी व्यवसाय

जब आज पूरी दुनिया व देश कोरोना महामारी से जूझ रही है तो ऐसे तनाव भरे माहौल में मधुमक्खी पालन एक तनाव मुक्ति का साधन बन रहा है जो घटती अर्थव्यवस्था में आपकी आय का स्रोत तो बनेगा ही साथ ही साथ आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाने में सहायक साबित होगा. आइए जानते हैं कैसे कोरोना काल में मधुमक्खी पालन हमें आर्थिक मजबूती के साथ-साथ हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का कार्य करता है.

KJ Staff
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अम्बर राना
अम्बर राना

जब आज पूरी दुनिया व देश कोरोना महामारी से जूझ रही है तो ऐसे तनाव भरे माहौल में मधुमक्खी पालन एक तनाव मुक्ति का साधन बन रहा है जो घटती अर्थव्यवस्था में आपकी आय का स्रोत तो बनेगा ही साथ ही साथ आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाने में सहायक साबित होगा. आइए जानते हैं कैसे कोरोना काल में मधुमक्खी पालन हमें आर्थिक मजबूती के साथ-साथ हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का कार्य करता है.

इसके अलावा, मधुमक्खी पालन एक डरावना कार्य होते हुए भी अत्यंत आनंदित है, क्योंकि मधुमक्खियां विभिन्न - विभिन्न प्रकार के उत्पादों जैसे- शहद, मोम, पराग, रॉयल जेली, प्रपोलिस व बी वेनम (प्वाइजन) का उत्पादन करके शारीरिक व आर्थिक रूप से हमें शक्तिशाली बनाती है.

ऊर्जा का बेहतर स्त्रोत है शहद - कार्बोहाइड्रेट की अधिक मात्रा पाए जाने के कारण शहद से अधिक ऊर्जा मिलती है. इसके साथ ही यह हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) को बढ़ाने में सहायक है. 1 किलो ग्राम शहद में 3500 से 5000 कैलोरी ऊर्जा मिलती है. 1 किलो शहद की ऊर्जा शक्ति की तुलना 65 अंडो, 13 लीटर दूध, 19 किलो ग्राम प्लम, 19 किलो ग्राम हरी मटर, 12 किलोग्राम सेब व 20 किलो ग्राम गाजर के बराबर होती है.

प्राचीन काल में शहद एक औषधि के रूप में प्रयोग होता था. आयुर्वेद व यूननी दवाओं के साथ शहद का प्रयोग बहुत अधिक किया जाता है. भारत में 5 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष शहद का प्रयोग दवा के रूप में करते हैं जो बहुत कम है, जबकि अमेरिका, जापान, फ्रांस, इटली व स्विजरलैंड आदि देशों में लगभग 1 किलोग्राम प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष खाते हैं. शहद के अतिरिक्त पराग, प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत है, एथलीट व जिम करने वाले व्यक्ति पराग का उपयोग करते हैं. इसके अतिरिक्त प्रोपोलिस भी विटामिंस का एक अच्छा स्रोत है, कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी में प्रोपोलिस एक असरदार औषधि साबित हुई है. इसके अतिरिक्त मधुमक्खियां एक अत्यंत महत्वपूर्ण पदार्थ मोम, मोम ग्रंथियों के द्वारा बनाती हैं. मोम का उपयोग मोमबत्तियां बनाने में, वैज्ञानिक लैबोरेट्रीज में स्पेसिमेन को फिक्स करने में व सौंदर्य वर्धक सामग्री बनाने में किया जाता है.

मधुमक्खी के प्वाइजन को बी-वेनम के नाम से भी जाना जाता है, मधुमक्खियां अपने डंक के द्वारा वेनम स्रावित करती हैंजो हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है व इसका उपयोग गठिया जैसे रोगों के उपचार में भी किया जाता है जो अत्यंत असर दायक होता है.

मधुमक्खी पालन एक अच्छी आय का स्रोत...

मधुमक्खी पालन को कोई भी शुरू कर सकता है. यह गार्डन, छतों व किसी भी छोटी जगह पर किया जाने वाला एक आसान कार्य है, जिसे कम लागत में कोई भी शुरू कर सकता है. मधुमक्खियां हमें ना सिर्फ बहुमूल्य उत्पाद देती हैं, बल्कि पौधों में होने वाली बहुत ही महत्वपूर्ण क्रिया परागण के लिए भी अत्यंत आवश्यक होती हैं. 100 से अधिक पौधे जैसे सेब, बादाम, लीची, नींबू, आम, आंडू, अमरूद, तोरई, टमाटर, बैंगन, सरसों व सूरजमुखी आदि परागण के लिए मधुमक्खियों पर निर्भर होते हैं. इस प्रकार एक मधुमक्खी पालक स्वयं के अतिरिक्त दूसरे किसानों को मधुमक्खियों के बक्सों को भेजकर उनकी फसलों में वृद्धि करने में भी सहायक हो सकता है. विभिन्न फसलों की खेती करने वाले किसान मधुमक्खी पालको से फसल की अच्छी उपज के लिए उनके बक्से किराए पर मंगाते या बक्सों की खरीद भी करते हैं, जो मधुमक्खी पालको के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण आय का स्रोत भी है.

मधुमक्खी पालन के आर्थिक मूल्य की सारणी...

नंबर

मधुमक्खी उत्पाद

आर्थिक मूल्य प्रति किलो

1

शहद

300 – 500 ₹

2

पराग

1,500 ₹

3

मोम

 200 – 400 ₹

4

प्रपोलिस

2,000 ₹

5

रॉयल जैली

5,000 ₹

6

बी वेनम

10,000 ₹/ ग्राम

7

बी बॉक्स

3000 ₹ / बॉक्स

कोरोना काल में शहद की बिक्री में हुई सबसे अधिक वृद्धि.

इम्यूनिटी एक ऐसा शब्द है जिसका असली मतलब लोगों ने कोरोना काल में जाना है. जब हर व्यक्ति अपनी इम्यूनिटी को बढ़ाने की बात कर रहा है. इम्यूनिटी बढ़ाने के दौर में जहां एक ओर दूसरे व्यापारियों की अर्थव्यवस्था डगमगा गई. वहीं शहद के बाजार में एक नई क्रांति आई, ऐसा माना जाता है कि शहद हमारे रोग प्रतिरोधक क्षमता को बहुत मजबूत करता है. इसी कारण शहद की बिक्री दूसरे व्यापारियों की तुलना में अधिक या लगभग दोगुनी हुई.

मधुमक्खियां कैसे हमारे दैनिक जीवन में हमारी प्रेरणा बनती है?

यदि किसी आम आदमी से मधुमक्खियों का महत्व पूछा जाए तो उसके मन में एक भय रहता है और वह मधुमक्खी के नाम से डर जाता है क्योंकि कई बार जंगली मधुमक्खी लोगों पर अचानक अटैक कर देती है. लेकिन जब हम मधुमक्खी का पालन करते हैं तो हम यूरोपियन मक्खी एपीस मेलीफेरा को बक्सों में रखकर पालन करते हैं, यह मधुमक्खी बहुत ही सीधे व सरल स्वभाव की होती हैं जिनकी कॉलोनी में एक रानी मक्खी 200 से अधिक नर मक्खी या ड्रोन वह हजारों की संख्या में वर्कर मक्खी होती हैं. वर्कर मक्खी बहुत अधिक कठिन परिश्रम करती हैं

जो अलग-अलग आयु पर अलग-अलग कार्य करती हैं. जैसे 1 से 15 दिन की वर्कर मक्खी नर्स बी का कार्य करती है जो छत्तो में पल रहे अंडे बच्चों को फीड देती हैं, 20 से 22 दिन की मक्खियां छत्ते के एंट्रेंस में बैठकर शत्रुओं से छत्ते को बचाती है, 22 दिन से उपरांत वर्कर मक्खियां छत्ते से बाहर जाकर फूलों की खोज करती है व अलग-अलग फूलों का रस व पराग लाकर छत्ते मे एकत्रित करती है व शहद का निर्माण करती है. इसके अतिरिक्त कुछ वर्कर मक्खियां बड़े वृक्षों से रेजिन को लाकर प्रोपोलिस के रूप में छत्ते में  शत्रुओं से बचाव के लिए लगाती है. सुबह से शाम तक अथक कार्य करके मधुमक्खियां हमें यह संदेश देती हैं कि कठिन परिश्रम ही जीवन की सफलता की कुंजी होता है.

लेखक: अम्बर राना       
रिसर्च स्कॉलर, लखनऊ विश्वविद्यालय,       
लखनऊ, उत्तर प्रदेश

English Summary: Beekeeping is a profitable business Published on: 10 June 2021, 05:37 IST

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