बारिश का मौसम आते ही चारों तरफ हरियाली छा जाती है. लोगों को तपती हुई गर्मी से राहत मिलती है और सबका दिल खुशी से झूम उठता है. इस मौसम का लुत्फ सभी लेते है. लेकिन बारिश का मौसम हमारी सेहत पर काफी बुरा प्रभाव डालता है.
इस मौसम में पशुओं को कई तरह की बीमारियां होती है. इसलिए बरसात के मौसम में पशुओं के रखरखाव पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है. पशुपालकों को समय-समय पर ध्यान रखना चाहिए कि कहीं पशु किसी बीमारी से ग्रस्त तो नहीं है. पशुपालन करके अपना व्यवसाय चलाने वाले पशुपालक इस लेख में विशेष जानकारी पढ़ें कि, बरसात में पशुओं में कौन-कौन सी बीमारियां होती है एवं उन बीमारियों के क्या लक्षण हैं-
1. खुर एवं मुख संबंधी बीमारियां -Foot and mouth disease
बरसात के मौसम में इस तरह की बीमारियां पशुओं में आम पायी जाती है. इसमें पैर और मुख की बीमारी (एफएमडी) मवेशी, गाय, भैंस, भेंड़, बकरी, सूअर आदि पालतू पशुओं एवं हिरन आदि जंगली पशुओं को होती है. यह बीमारी भारत के कई हिस्सों में वास करने वाले पशुओं को मुख्यतः होती है. यह संक्रामक एवं घातक विषाणुजनित रोग है.
लक्षण - Symptoms in this disease
इस बीमारी में पशुओं में जीभ, नाक और होठों पर, मुंह में, टीट्स पर और पैर की उंगलियों के बीच छाले जैसे घाव पड़ जाते हैं, जो बाद में फट जाते हैं, जिससे वह दर्दनाक अल्सर की बीमारी से ग्रसित हो जाते है.
फफोले से चिपचिपे, झागदार लार का भारी प्रवाह होता है जो मुंह से लटकता है.
इस बीमारी से ग्रसित पशु अपने पैर की कोमलता के चलते एक पैर से दूसरे पैर पर झूलने की स्थिति में आ जाते है, लंगड़ाकर चलने लगते है. उन्हें तेज बुखार आ जाता है, खाना बंद कर देते हैं, और दूध कम देते हैं.
कैसे फैलती है यह बीमारी -How this disease spread
यह बीमारी जानवरों के एक जगह से दूसरे जगह जाने पर भी फैल जाती है.इस बीमारी से, बीमार पशु से, स्वस्थ्य पशु संक्रमित हो जाता है,और यह ज्यादातर घूमने वाले पशुओं में फैलती है. जैसे-कुत्ते एवं खेतों में घूमने वाले जानवर.
कैसे नियंत्रित करें?-How to control?
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इस बीमारी को रोकने के लिए प्रभावित जानवरों को दूसरे जानवरों के संपर्क में नहीं आने देना चाहिए.
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पशुओं की खरीद बीमारी से प्रभाबित क्षेत्रों से नहीं होनी चाहिए.
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जब भी नए पशु की खरीदी करें तो उनको खरीदी के 21 दिनों तक अकेला रखना चाहिए.
इलाज- Treatment
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बीमार पशु के रोग से प्रभावित अंग को जैसे उनके मुख एवं पैर को 1 प्रतिशत पोटैशियम परमैगनेट के घोल से धोना चाहिए.
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उनके मुख में बोरिक एसिड ग्लिसरीन का पेस्ट लगाना चाहिए.
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इसके साथ ही जानवरों को 6 महीने के अंतराल से एफएमडी के टीके लगवाने चाहिए.
2.ब्लैक क्वार्टर - Black Quarter
यह पशुओं में होने वाला एक तीव्र संक्रामक और अत्यधिक घातक, जीवाणु रोग है. भैंस, भेड़ और बकरी भी इस बीमारी से प्रभावित होते हैं. इस बीमारी से अत्याधिक प्रभावित 6-24 उम्र के युवा पशु होते है. यह बीमारी आमतौर पर बारिश के मौसम में होती है.
लक्षण - symptoms in this disease
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बुखार
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भूख की कमी
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शारीरिक कमजोरी
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नाड़ी और हृदय गति का तेज हो जाना
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सांस लेने में परेशानी होना
नियंत्रित कैसे करें - How to controlled
यदि रोग की प्रारंभिक अवस्था में इसको नियंत्रित किया जाये तो इसका उपचार प्रभावी होता है. उपचार और रोकथाम के लिए विभाग के नजदीकी पशुपालन अधिकारी या पशुपालन केंद्र में संपर्क करें.
3. एंथ्रेक्स -Anthrax
यह सभी गर्म रक्त वाले पशु विशेष रूप से मवेशी, भैंस, भेड़, बकरी में होने वाला एक तीव्र, व्यापक, संक्रामक रोग है. यह रोग मिट्टी से पैदा होने वाला संक्रमण है. यह आमतौर पर बड़े जलवायु परिवर्तन के बाद होता है.
यह बीमारी कैसे फैलती है - How does this disease spread?
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यह बीमारी ज्यादातर पशुओं के दूषित चारा खाने से और दूषित पानी पीने से होती है.
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यह इनहेलेशन और बिलिंग मक्खियों द्वारा भी फैलती है.
लक्षण Symptoms
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अचानक शरीर का तापमान का बढ़ जाना.
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भूख ना लगना.
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शारीरिक कमजोरी महसूस होना
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सांस लेने में तकलीफ होना एवं हृदय की गति की रफ्तार बढ़ जाना .
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गुदा, नासिका, योनी आदि जैसे प्राकृतिक छिद्रों से खून का बहाव होना आदि.
नियंत्रित कैसे करें - How to controlled
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सबसे पहले संक्रमित जानवरों को स्वस्थ जानवरों से अलग कर दे.
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संक्रमित क्षेत्र से स्वच्छ क्षेत्र में पशुओं की आवाजाही बंद कर दे.
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10% कास्टिक सोडा या फॉर्मेलिन का इस्तेमाल करके पशुओं के रहने की जगह को पूरी तरह से कीटाणुरहित करें.
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बारिश के मौसम की शुरुआत होते ही उस जगह जहां एंथ्रेक्स का प्रकोप आम है वहां हर साल पशुओं को एंथ्रेक्स बीजाणु वैक्सीन का टीका लगायें.
4. रिंडरपेस्ट -Rinder pest
यह जुगाली करने वाले पशुओं और सुअर में होने वाली, एक तेजी से फैलने वाली संक्रामक वायरल बीमारी है. इस बीमारी से क्रॉसब्रिड और युवा मवेशी अधिक प्रभावित होते हैं.
यह बीमारी कैसे फैलती है - How does this disease spread?
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यह आमतौर पर सांस लेने से फैलती है.
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यह बीमारी ज्यादातर पशुओं के दूषित चारा खाने से और पानी पीने से फैलती है.
लक्षण - Symptoms
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जानवरों का दूध कम देना .
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जानवरों में भूख की कमी होना.
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बुखार का तीन दिनों तक रहना.
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पशुओं की नाक का बहना.
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पशुओं को पेट दर्द होना.
नियंत्रण controlling
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सबसे पहले संक्रमित जानवरों को स्वस्थ जानवरों से अलग कर दे.
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संक्रमित क्षेत्र से स्वच्छ क्षेत्र में पशुओं की आवाजाही बंद कर दे.
खेती और पशुपालन एक दूसरे के पूरक हैं. ज्यादातर किसान छोटे या बड़े स्तर पर पशुपालन से जुड़े हए हैं.लेकिन दुधारू पशुओं को पालने में छोटी बड़ी समस्याओं से सामना होता ही रहता है. इसलिए आप समय से इन बातों का ध्यान रखें और अपने पशु एवं व्यवसाय को सुरक्षित रखें.
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