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लम्पी वायरस से मवेशी परेशान, जानें और किन रोगों से पशुओं को होती है दिक्कत, ऐसे करें बचाव

पशुओं को पालने और उनकी देखभाल करने में बहुत मेहनत और निगरानी करनी पड़ती है. पशुओं का बीमार होना पशुओं के लिए जितना कष्टकारी होता है उतना ही पशुओं के मालिक के लिए नुकसानदायक.

प्रबोध अवस्थी
प्रबोध अवस्थी
Important precautions for prevention of animal diseases
Important precautions for prevention of animal diseases

Animal Disease: आज भारत में दुग्ध उत्पादन के लिए सरकार तरह-तरह की योजनायें लागू कर के किसानों और व्यापारियों के मनोबल को बढ़ा रही है. आज भारत में पशुपालन के क्षेत्र में पिछले कई वर्षों से ज्यादा बढ़ोत्तरी दिखाई पड़ती है. इसका प्रमुख कारण सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं का आसानी से प्राप्त हो पाना है. भारत में दुग्ध उत्पादन के लिए गाय और भैंस होती हैं. जिनको पालने से पशुपालकों को फायदा तो होता ही है साथ ही एक निश्चित आय का साधन भी प्राप्त हो जाता है. परेशानी तब होती है जब इन जानवरों को कोई बीमारी लग जाती है. तो आइये आज जानते हैं कि किन प्रमुख रोगों के कारण होती है पशु और पशुपालकों को परेशानी.

Death of many animals due to lumpy disease
Death of many animals due to lumpy disease

लम्पी त्वचा रोग (Lumpy Disease)

आज सबसे ज्यादा पशुओं में होने वाला रोग लम्पी त्वचा रोग है. सरकार इस रोग के लिए कई तरह के अलर्ट जारी कर चुकी है. साथ ही सभी जगह उपचार की व्यवस्थाओं को लेकर भी कई तरह के इंतजाम कर रही है.

रोग के लक्षण- इस रोग में पशुओं के शरीर में मोटी गांठें निकल आती हैं. मवेशियों में होने वाला यह संक्रामक रोग वायरस के कारण होता है. इस वायरस का नाम नीथलिंग वायरस है. इसी वायरस के कारण पशुओं के पूरे शरीर में गाठें पड़ जाती हैं.

उपचार- इसके लिए रोग से ग्रसित पशु को अन्य पशुओं से अलग रखिये साथ ही सफाई का अच्छा प्रबंध करके मवेशी को गिलोय, आंवला एवं मुलेठी जो भी उपलब्ध हो किसी एक को 20 ग्राम गुड़ के साथ रोगी पशु को देना चाहिए साथ ही नीम की पत्ती और फिटकरी के पानी से स्नान कराना चाहिए. मवेशी को चिकित्सा हेतु अस्पताल भी ले जाना चाहिए.

Protect your animals from throat disease
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गलाघोंटू रोग

यह रोग गाय और भैंस में होने वाला रोग है. इस रोग के कारण बहुत से पशुओं की मौत हो जाती है. इस रोग के होने के 2 से 4 दिन के अंदर ही पशु की मृत्यु हो जाती है. यह रोग पशुओं में Pasteurella multocida नमक जीवाणु (Bacteria) से होता है. इसे छूत का रोग भी कहते हैं.

रोग के लक्षण- इस रोग में पशु को तेज़ बुखार हो जाता है. उसका शरीर कांपने लगता है साथ ही पशु चारा पानी छोड़ देता है. पशु सुस्त अवस्था में पड़ा रहता है.

उपचार- पशुओं को समय पर टीका लगवाना चाहिए. साथ ही बीमार पशुओं से अलग रखना चाहिए. यदि कोई पशु मर गया हो तो स्वस्थ पशुओं को हटा कर पहले उस स्थान पर कीटनाशक दवा का छिड़काव करना चाहिए.

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Get your animal vaccinated for lameness fever in advance
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लंगड़ा बुखार

पशु को जब यह बुखार होता है तो पशुओं को 106 डिग्री से 108 डिग्री फारेनहाइट तक का बुखार आता है. पशुओं में यह रोग 6 माह से 2 वर्ष की आयु तक के पशुओं में ज्यादा होते हैं.

लक्षण- पशुओं को तेज़ बुखार रहता है. पशु सुस्त हो जाता है साथ ही खाना-पीना छोड़ देता है. पशुओं की टांगों में बहुत ज्यादा सूजन आ जाती है और पशु लंगडा के चलने लगता है या फिर बैठ जाता है.

उपचार- इसके उपचार के लिए पशुओं को टीके लगवाने चाहिए. यह टीके वर्षा के मौसम से पहले ही लगवा देने चाहिए. यह टीके पशुओं में 06 माह की आयु में भी टीके लगाए जा सकते हैं.

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Animal cannot wake up in milk fever
Animal cannot wake up in milk fever

मिल्क फीवर

यह रोग दूध देने वाले पशुओं में होता है जिसमें भी सबसे ज्यादा यह रोग गाय भैंस में होता है. यह रोग गाय या भैंस के ब्याने के कुछ घंटे बाद या कुछ दिन बाद होता है.

लक्षण- पशु को हल्का कंपन होने के साथ ही साथ शरीर ठंडा होने लगता है. पशु खड़ा नहीं हो पाता है. दांतों को किटकिटाता है.

उपचार- इस बीमारी में सबसे पहले पशु को कैल्सीयम साल्ट का इन्जेक्शन देना चाहिए. इसके साथ ही विटामिन-डी का इन्जेक्शन भी लगाया जाता है. इससे पशु को तत्काल आराम मिलता है.

यह भी देखें- जानें पशुओं में होते हैं कौन-कौन से रोग, कैसे कर सकते हैं बचाव

Many other diseases are associated with foot and mouth disease
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मुंहपका-खुरपका रोग

यह रोग किसी भी जानवर को हो सकता है. यह रोग विषाणुओं के संक्रमण से होता है. पशु इस रोग से पीड़ित होने के बाद कई तरह की समस्याओं से ग्रसित हो जाता है.

लक्षण- इस रोग में पशुओं के मुंह में स्वेलिंग आ जाती है यह मुंहपका रोग में होता है. यदि खुरपका रोग की बात करें तो या संक्रमण पशुओं के खुर में होता है. जिससे इनको चलने में समस्या होने लगती है. कभी-कभी तो खुर में कीड़े या खुर पैर से अलग भी हो जाते हैं.

उपचार- इसमें पशुओं के घाव को दो से तीन बार नीम और पीपल छाल को काढ़ा बना कर उसे धोना चाहिए. साथ ही मुंह के घाव को फिटकरी के पानी से उसी क्रम में धोना चाहिए. यह प्रक्रिया दिन में कम से कम 3 से 4 बार दोहरानी चाहिए जिससे पशु को आराम मिलेगा.

यह भी पढ़ें- गांव-गांव में गाय को लग रहे लंपी के नि:शुल्क टीके, लिस्ट में देखें अपने इलाके का नाम

पशुओं की चिकित्सा के लिए यह सभी प्राथमिक उपचार हैं यदि पशुओं में ऐसे किसी भी प्रकार के लक्षण दीखते हैं तो आपको सबसे पहले किसी पशुचिकित्सक से संपर्क करना चाहिए. जिसके बाद ही खुद के इलाजों को अपनाना चाहिए.

English Summary: animal disease Cattle are troubled by Lumpy virus, know which diseases cause problems to animals, how to protect Published on: 25 May 2023, 04:54 IST

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