हम सभी जानते हैं, मादा पशु के प्रसवकाल के कुछ समय पूर्व तथा बाद का समय पशु एंव पशुपालक दोनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि पशु के जीवन एव पशुपालक की आय दोनों का निर्णायक समय भी होता है.
इस नाजुक समय मे सभी प्रकार से पशु की गर्भकाल की प्रथम अवस्था से प्रसवकाल तक पूर्ण सुरक्षा रखें, तथा कुछ पुशओं में गर्भपात (एबोर्शन) की जो भी संभावित स्थिति बन जाती है व समाप्त हो जाये तथा प्रसव पश्चात समय पर (Placenta) गिर जाये तथा मैटराइटिस (Metritis) व पायोमेटरा (Pyomatra) रोग न हो और यदि किसी कारणवश हो जाये तो उसका शीघ्र निदान हो सके, यह हर पशुपालक एंव पशु चिकित्सक की आवश्यकता है. जिसे केवल यूट्रोजन ही पूर्ति करता है.
यूट्रोजन ही क्यों? क्योकि यह बहुउदेश्यीय है (Why Utrogen? because it is multipurpose)
यूट्रोजन गर्भकाल से प्रसवकाल की प्रक्रिया को सामान्य रुप से नियमित करता है. जिससे पशु के गर्भपात की संभावना नही रहती. यूट्रोजन प्रसव समय पर व आरामदेय बनाने में सहायक है. यूट्रोजन पशु की हार्मोनल टोनिसिटि बनाये रखने में मदद करता है. जिससे एक के बाद दूसरा हार्मोन स्वतः ही स्त्रावित होता रहता है. यूट्रोजन जैर स्वतः गिरने मैटराइटिस व पायोमेटरा रोग की सम्भावना कम करने व निदान करने में बहुत सहायक है.
अतिरिक्त लाभ (Additional Benefits)
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दवा की मात्रा न्यूनतम किन्तु प्रभाव अधिकतम.
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पशुपालक को देने में कोई झंझट नहीं होता है.
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पशु को गलत तरीके से दवा पिलाने जाने की न कोई संभावना होगी ना ही कोई रोग होगा.
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शीघ्र प्रभाव क्षमता.
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कोई दुष्प्रभाव नही है.
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यूट्रोजन पर खर्च कम और लाभ ज्यादा मिलता है.
यूट्रोजन की कार्य-विधि (Mechanism of action of utrogen)
गर्भावस्था मे गर्भकाल का पूण रुप से सूरक्षित रहना हार्मोन्स के नियमन तथा नियमति स्त्राव पर निर्भर करता है. प्रसव काल में एक हार्मोन दुसरे हार्मोन पर चैक व रिलिज फिनोमिना के सिद्धान्त पर कार्य करते है. अतः यह आवश्यक है कि यह फिनोमिना या क्रिया नियमित बनी रहे ताकि सभी आवश्यक हार्मोन उचित समय पर उत्प्रेरित हो सके और गर्भकाल से प्रसव काल तक की प्रक्रिया सामान्य रुप से नियमि (Physiologically Balanced) हो सके और पशु को किसी भी प्रकार की कोम्पलीकेशन या प्रसवकाल में असुविधा की संभावना न्यूनतम रहे एवं गर्भाशय की टोनिसिटी बनी रहे.
यूट्रोजन एक नाँन होर्मोनल फार्मूलेशन है, जो गर्भावस्था के हार्मोन्स को नियमित करता है. यूट्रोजन प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन को नियमित करता है जिससे गर्भकाल सुरक्षित रहता है, तथा प्रसवकाल आने पर पिट्यूट्री को उत्प्रेरित कर आँक्सीटोसिन को समय पर रिलीज करता है. यह आँक्सिटोसिन, गोनेडोट्रापिक हारमोन्स की सहायता से प्रसवकाल की प्रक्रिया को पूरा करता है तथा बाद में प्रोलेक्टिन हार्मोन्स को जन्म देता है जिससे दूध का सही नियमन हो.
यूट्रोजन हार्मोन्स की जटिल प्रक्रिया को नाँन हार्मोनल उत्प्रेरक की तरह संचालित करता है जिससे कि एक के बाद दूसरा हार्मोन चक्रानुसार स्वतः ही रिलिज होता रहै.
उपोयोग की विधि (Method of use)
कृपया पशु को दवा बोतल अथवा नाल से दे. पशु को दवा स्वयं ही दवा पीने के लिये गुड़ के पानी में मिला कर दे अन्य किसी भी सुविधाजनक तरीके से जैसे थोड़े से पशु आहार को गुड़ में मिलाकर या रोटी को दवा में भिगोकर दिया जा सकता है.
डोज (Dose)
मिली यूट्रोजन दवा की कुल मात्रा 150 ml है. तथा शीशी का ढक्कन 5 ml का हो इसका भी ध्यान रखें. इस प्रकार से कुल 21 खुराक है. यह लगभग सम्पूर्ण कोर्स है. किन्तु किसी कारण वश स्वास्थ्य लाभ पूरा न होने पर यूट्रोजन का दूसरा कोर्स दिया जाता है. जिससे किसी भी प्रकार की दूष्परिणाम की कोई संभावना नही रहती.
चिकित्सीय निर्देश (Medical instruction)
गर्भपात निरोध हेतु ग्याभिन पशु को गर्भपात होने की शंका होने पर प्रति 5 बार इस दवा को पानी में डालकर अथवा पशु के आहार में मिलाकर दिन में 4-5 बार तक नियमित रूप से दिया जाना है. इससे पशु में गर्भपात की शंका जाती रहेगी. यदि गर्भपात शंका बहुत अधिक बढ़ चुकी है, तब भी यूट्रोजन देने से यह शंका काफी कम हो जायेगी. गम्भीर परिस्थितियों में यूट्रोजन 1/2 घण्टे के अन्तराल पर भी 4-5 खुराक दी जा सकती है. यदि पूर्व में किसी ग्याभिन पशु के साथ गर्भपात की घटना हो चुकी हो तो यूट्रोजन को गर्भपात के एक माह पूर्व 5 ml. इस दवा को सुबह व शाम 10 दिन तक देने से अगले माह में होने वाले सम्भावित गर्भपात की शंका न्यूनतम हो जायेगी.
सुविधाजनक प्रसव हेतु (For convenient delivery)
पशु के ब्याहने की सम्भावित तिथि से 10-15 दिन पूर्व से यूट्रोजन की सुबह-शाम 5 ml दवा दी जानी है. ऐसा करने से प्रसव कम कष्ट के साथ व सुरक्षित होता है. इससे पशु पालक का सबसे बड़ा लाभ यह है कि रात्रि काल में अथवा असमय प्रसव होने के कारण प्रसव काल में पशु की अकाल मृत्यु होने की सम्भावना न्यूनतम रह जाती है. यदि पशु को पूर्व के प्रसव में डिस्टोकिया हुआ हो तब भी यूट्रोजन देने से प्रसव सुरक्षा पूर्वक होने की पूरी-पूरी सम्भावना बनी रहती है.
ब्याने के बाद जेर गिराने हेतु
पशु के प्रसव पश्चात से यूट्रोजन को एक-एक घण्टे के अन्तर से 4-5 खुराक देने पर ही पशु की जेर (प्लेसेन्टा) स्वत: ही पूर्ण रूप से गिर जाता है तथा पशु का मैला भी गिरना प्रारम्भ हो जाता है. जेर गिरने के बाद यूट्रोजन को दिन में तीन या चार बार देने से पूरा मैला छट जाता है तथा कोई भी गर्भाशय शेष नहीं रहता है. पशु में से यह सब क्रिया सामान्य होने से पशु पूर्ण स्वस्थ रहता है, उसकी हार्मोनल टोनोसिटी बनी रहने के कारण वह अधिकतम दूध देने की क्षमता रखता है.
गर्भाशय शोथ हेतु (For cervicitis)
गर्भाशय शोथ उपचार में यूट्रोजन के कोर्स को प्रथम 2 दिन चार बार, शोथ दिनों में दिन में दो या तीन बार देने से गर्भाशय शोध का पूर्ण निदान हो जाता है. गर्भाशय शोथ के न होने से उनमें थनेंला रोग की सम्भावना भी 50% तक कम हो जाती है.
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