PM Beej Graam scheme: किसानों को खेती के दौरान फसलों की गुणवत्ता वाले बीजों को खरीदने के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है. इस वजह से किसानों को फसल बुवाई में देरी होने के साथ-साथ कई तरह की मुश्किलों का भी सामना करना पड़ता है. इन्हीं समस्याओं को देखते हुए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री बीज ग्राम योजना की शुरुआत की है. इस योजना के तहत किसानों को हाई क्वालिटी की बीज सरकार द्वारा मुहैया कराया जाता है, ताकि किसान अपनी फसल की उपज को बढ़ा सकें. वहीं, यह योजना गरीबी रेखा से नीचे आने वाले किसानों को देखते हुए बनाई गई है. आर्थिक स्थिति से मजबूत ना होने के कारण ऐसे किसान हाई क्वालिटी की बीज नहीं खरीद पाते हैं.
मालूम हो कि प्रधानमंत्री बीज ग्राम योजना (PM beej graam yojana) को भारत सरकार द्वारा साल 2014-15 में शुरू की गई थी. इस योजना में किसानों को बीज के साथ-साथ बीज उत्पादन में भी सहायता दी जाती है, ताकि खेती से सही मुनाफा मिल सके.
क्या है पीएम बीज ग्राम योजना
बीज ग्राम योजना में दो से तीन गांवों के किसानों को शामिल करके एक समूह बनाया जाता है. इस समूह में 50 से 100 किसान होते हैं, और दो से तीन ग्रुप बनाए जाते हैं. इस योजना के तहत किसानों को बुवाई और कटाई तक की ट्रेनिंग आरएसएससी द्वारा दी जाती है.
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प्रामाणिक बीज कैसे होते हैं तैयार
पीएम बीज ग्राम योजना के तहत जिले के कृषि विज्ञान केंद्रों में विकसित की गई गेहूं, बाजरा या अन्य फसल के बीज को पहले विज्ञान केंद्र में ही लगाया जाता है. जिसे ब्रीडर बीज कहा जाता है. इसके बाद दूसरे साल ब्रीडर बीज से जो फसल तैयार होती है, उसके बीज को फाउंडेशन बीज कहा जाता है. फाउंडेशन बीजों को किसान अपने खेत में लगाते हैं. इसके एक साल बाद किसानों के खेत से जो बीज तैयार होता है, उसे प्रमाणिक बीज कहा जाता है.
किसानों को कैसे मिलेगा लाभ?
किसानों द्वारा जब बीज तैयार कर लिया जाता है. तब उसे कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा खरीद लिया जाता है. इसके साथ ही राज्य बीज निगम भी सीधे तौर पर किसानों से बीज खरीद लेती है. इसके बदले में किसानों को अच्छी कमाई हो जाती है. इसके साथ ही बीज ग्राम योजना के तहत किसानों को बीजों के लिए भटकना नहीं पड़ता है. वहीं किसानों की आय बढ़ने के साथ उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है. इस योजना में किसान को कृषि विशेषज्ञों से ट्रेनिंग के दौरान नई तकनीकों की जानकारी होती है.
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