किसानों की आय को दोगुना और उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए सरकार निरंतर कोशिश करती आ रही है. किसान खेती-बाड़ी और पशुपालन जैसी चीज़ों पर निर्भर होते हैं. ऐसे में जरुरी है कि उनके आय को और बढ़ाया जाए, ताकि वे आर्थिक रूप से और भी ज्यादा मज़बूत बन सके.
इसी कड़ी में झारखंड सरकार किसानों की समस्या का समाधान करने के लिए और उनकी कमाई को बढ़ाने के लिए कार्य कर रही है. इसके तहत कृषि संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. इस कार्यक्रम को सिमडेगा में आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कृषि एवं पशुपालन सचिव अबू बक्र सिद्दीकी ने कहा कि मौजूदा राज्य सरकार एक संपन्न कृषि आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास की कल्पना कर रही है. बता दें कि राज्य सरकार ने कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं. वहीं, सिंचाई के लिए अक्षय ऊर्जा परियोजनाएं किसानों के लिए गेम-चेंजर साबित हुई.
ऐसी ही एक पहल लिफ्ट सिंचाई प्रणाली है. यह मुख्य रूप से उन किसानों पर लक्षित था, जो डीजल पंप या अन्य पारंपरिक बोरिंग सिस्टम का खर्च नहीं उठा सकते हैं. झारखण्ड में अगर जलस्तर को देखा जाए, तो कृषि के अनुकूल नहीं माना जाएगा. वहां पर पानी की कमी आम तौर पर देखी जाती है. ऐसे में किसानों के लिए पम्पिंग सेट का खर्चा उठाना मुश्किल होता है.
कार्यक्रम में कृषि संवाद
कृषि एवं पशुपालन सचिव अबू बक्र सिद्दीकी ने किसानों से बातचीत की. इसके साथ ही लागू की जा रही विभिन्न सौर लिफ्ट सिंचाई परियोजनाओं पर प्रतिक्रिया भी जानी. इस दौरान किसानों ने खेती और लाभों के लिए सौर लिफ्ट सिंचाई प्रणाली का उपयोग करने के अपने अनुभवों पर विचार किया है.
किसान नहीं होंगे बारिश पर निर्भर
किसानों ने उन्हें बताया कि पहले वे खेती के लिए सिर्फ बारिश पर ही निर्भर थे. बारिश के मौसम में खेती करते थे, उनके खेत हरे भरे रहते थे, लेकिन अब वह सालभर खेती कर रहे हैं. उन्हें सौर आधारित लिफ्ट सिंचाई प्रणाली का लाभ मिल रहा है. ऐसे किसान जो साल में सिर्फ एक खेती कर पाते थे, वो अब साल में दो से तीन फसल कर रहे हैं. इससे उनकी आय बढ़ी है. गौरतलब है कि सिमडेगा के कई हिस्सों में सौर आधारित लिफ्ट सिंचाई प्रणाली विकसित की गई है. सौर आधारित लिफ्ट सिंचाई प्रणाली हजारों किसानों को सिंचाई की सुविधा प्रदान कर रही है और गरीब किसानों के जीवन को बदल रही है. जिले के विभिन्न हिस्सों में 250 से अधिक सौर आधारित सिंचाई योजनाएं लागू की गई हैं, जिनमें से 175 से अधिक सौर-लिफ्ट सिंचाई योजनाएं ली गई हैं. एक सौर लिफ्ट सिंचाई प्रणाली का उपयोग 10 एकड़ भूमि की सिंचाई के लिए किया जा सकता है.
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पलायन में भी आयी कमी
सिमडेगा झारखंड के सबसे पिछड़े जिलों में से एक है. यहां के किसान सिर्फ बारिश के मौसम में ही कृषि कार्य कर पाते थे. इसके बाद उन्हें रोजी-रोटी की तलाश में पलायन करना पड़ता था.
मगर अब आधुनिक नवीकरणीय ऊर्जा आधारित सिंचाई प्रणाली की स्थापना से प्रवासन दर में भी कमी आई है. वे अब एक अलग तरह के सब्जी उत्पादन में भी हिस्सा ले रहे हैं.
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