1. Home
  2. सरकारी योजनाएं

Fruit Ripening Technique: इस तकनीक से पकाए गए कच्चे फल नहीं होंगे कभी खराब, सरकार दे रही सब्सिडी

अक्सर पके हुए फल भंडारण व लंबी दूरी वाली जगहों पर पहुंचने तक खराब हो जाते हैं, लेकिन अब राइपनिंग तकनीक के माध्यम से आप अपने फलों को सड़ने से बचा सकते हैं और कच्चे फलों को आसानी से पका सकते हैं…

निशा थापा
निशा थापा
इस तकनीक से कभी नहीं सड़ेंगे फल
इस तकनीक से कभी नहीं सड़ेंगे फल

फसल उत्पादन के बाद किसानों की सबसे बड़ी समस्या होती है कि उत्पाद को कैसे सड़ने गलने से बचाया जाए, क्योंकि सब्जी व फलों की मांग देश के साथ- साथ दुनिया के हर कोने में रहती है. फल व सब्जियों की शेल्फ लाइफ बहुत ही कम होती है और लंबी दूरी वाली जगहों पर इनके खराब होने की संभावना अधिक रहती है. इसी को देखते हुए सरकार ने फल- सब्जियों के नुकसान को कम करने के लिए एक योजना बनाई है, जिसके तहत अब लगभग हर राज्य में कोल्ड स्टोरेज और पैक हाउस की सुविधा दी जा रही है, ताकि फसलों को सही तापमान मिलता रहे. तो वहीं दूसरी तरफ वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक की खोज की है, जिसके माध्यम से अब कच्चे फलों को तोड़ कर उसे स्टोरेज में रखकर पकाया जा सकता है. इस तकनीक को फ्रूट राइपनिंग कहा जाता है. इसी कड़ी में आज हम फ्रूट राइपनिंग तकनीक के बारे में बताने जा रहे हैं.

फ्रूट राइपनिंग तकनीक

फसल पकने के बाद सब्जी व फलों को खराब होने से बचाने के लिए फ्रूट राइपनिंग तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. पके हुए फलों को लंबी दूरी वाली जगहों पर व भंडारण में खराब होना का खतरा बहुत अधिक रहता है. तो वहीं फ्रूट राइपनिंग तकनीक के माध्यम से फलों व सब्जियों को पकने से पहले ही तोड़ लिया जाता है तथा लंबे वक्त तक स्टोर कर उसे ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है.फ्रूट राइपनिंग तकनीक में फलों को पकने के लिए कोल्ड स्टोरेज की तरह हीचैंबर बनाएं जाते हैं.इन चैंबरों में एथिलीन गैस छोड़ी जाती है, जो फलों को पकने में मदद करती है. जिससे कच्चे फल 4 से 5 दिनों में पक जाते हैं. फ्रूट राइपनिंग तकनीक के माध्यम से फलों का सड़ने का खतरा बहुत ही कम रहता है.

किसानों को मिलेगा लाभ

अक्सर किसानों को फलों से बहुत नुकसान भी झेलना पड़ता है, यदि फल में दाग धब्बे लगे होते हैं, तो उसका सही दाम किसानों को नहीं मिल पाता है. लेकिन अब फ्रूट राइपनिंग तकनीक के जरिए फलों पर दाग भी नहीं आते हैं और बिना सड़े- गले लंबे वक्त तक स्टोर किए जा सकते हैं. 

पुरानी तकनीकों से बढ़ रहा नुकसान

इसमें कोई दोराय नहीं है कि फलों को जैविक व पारंपरिक रूप से पकाना चाहिए, मगर पुरानी फलों को पकाने वाली तकनीकों से किसानों को भारी नुकसान हो रहा है. अधिकतर मंडियों में आज भी पुरानी तकनीक अपनाई जा रही है, जिसमें फलों को जूट की बोरी में भूसे व कागज के साथ दबाकर रखा जाता है. जिससे फलों की शेल्फ लाइफ बहुत ही कम हो जाती है.

ये भी पढ़ें:फलों को कृत्रिम रूप से पकाने के सुरक्षित और आसान तरीके, जरुर आजमाएं

सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी

फ्रूट राइपनिंग  तकनीक के लिए भारत सरकार द्वारा सब्सिडी दी जा रही है, जिसके तहत कोल्ड स्टोरेज बनाने पर 35 से 50 फीसदी आर्थिक सहायता मिलती है. इसके अलावा किसान एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड स्कीम और एग्री बिजनेस के माध्यम से कोल्ड स्टोरेज खोल सकते हैं, और खुद का कोल्ड स्टोरेज का बिजनेस भी खड़ा कर सकते हैं.

English Summary: Raw fruits cooked with Fruit Ripening Technique will never spoil Published on: 13 December 2022, 04:53 IST

Like this article?

Hey! I am निशा थापा . Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News