जल संरक्षण अभियान के तहत हरियाणा सरकार की मेरा पानी मेरी विरासत योजना को लेकर अच्छी खबर सामने आयी है. बीते समय में प्रदेश सरकार ने घटते जल स्तर को संज्ञान में लेते हुए किसानों से धान की खेती न करने को कहा था. सरकार ने किसानों को ऐसी फसलों का चयन कर उनकी खेती करने की सलाह दी थी जिसमें पानी की लागत कम हो. ऐसे में किसानों ने इसका समर्थन किया और नतीजा यह रहा कि पिछली साल की तुलना में प्रदेश के फतेहाबाद जिले में 8000 हेक्टेयर में धान की रोपाई कम हुई है.साल 2019 की बात करें तो, लगभग एक लाख 28 हजार हेक्टेयर के क्षेत्र में धान की खेती किसानों ने की थी. वहीं इस बार रिपोर्ट्स के मुताबिक एक लाख 20 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में ही धान की खेती की तैयारी है. वहीं ऐसा माना जा रहा है कि ऐसा पहली बार होगा कि जिले में धान का रकबा कम होने जा रहा है.
धान की खेती न करने के लिए किसानों ने किया था आवेदन
आपको बता दें कि हज़ारों किसानों ने लगभग 6500 एकड़ के क्षेत्र में धान की खेती न करने के फैसले को लेकर आवेदन तक कर दिया था. किसानों ने ऑनलाइन आवेदन के जरिए मेरा पानी मेरी विरासत योजना में अपनी सहभागिता दिखाई. इस तरह इन धान किसानों ने इसकी जगह दूसरी फसल लगाने का आवेदन किया.
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सत्यापन को मिलेगी राशि
कृषि विभाग की रिपोर्ट्स की मानें तो अब तक किसानों के लगभग 4 हजार एकड़ के क्षेत्र का सत्यापन हो चुका है और रिपोर्ट सही होने पर उनको योजना के मुताबिक 2 हजार रुपये उपलब्ध कराये जाएंगे. वहीं इसके बाद दूसरी फसल के लगाने के बाद उसके पकने तक किसानों को 5 हजार रुपये दिए जाएंगे.
कपास और गन्ने की खेती का रुख कर रहें किसान
खेती के लिए ज्यादा भू-जल का दोहन किसानों द्वारा किया जा रहा है जिसका असर खेत की उर्वराशक्ति पर भी पड़ रहा है. क्षेत्र में जल स्तर 50 मीटर से गहरा हो चुका है यानी हम यूँ कह सकते हैं कि यह डार्क जोन के करीब ही है. यही वजह है कि किसान अब धान की खेती को कम करते हुए कपास और गन्ने की खेती का रुख कर रहे हैं.
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