
बिहार में मछली पालन को संगठित, समृद्ध और सशक्त बनाने की दिशा में राज्य सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना के तहत नेशनल फिशरीज डिजिटल प्लेटफॉर्म (एनएफडीपी) की शुरुआत की गई है, जो असंगठित मछुआरों को डिजिटल पहचान प्रदान करने और सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ दिलाने में अहम भूमिका निभा रहा है. इस पहल से बिहार के मत्स्य कृषकों को न केवल आर्थिक समृद्धि मिलेगी, बल्कि मछली पालन को एक व्यवस्थित और आधुनिक उद्यम के रूप में स्थापित करने में भी मदद मिलेगी.
एनएफडीपी: मत्स्य पालन में डिजिटल क्रांति
पशु और मत्स्य संसाधन विभाग के मत्स्य प्रभाग द्वारा संचालित इस डिजिटल प्लेटफॉर्म का मुख्य उद्देश्य मछुआरों, मत्स्य पालकों और सहायक श्रमिकों को एक व्यवस्थित ढांचे में लाना है. एनएफडीपी के माध्यम से मत्स्य कृषकों को डिजिटल पहचान पत्र प्रदान किया जा रहा है, जिससे वे सरकारी योजनाओं का लाभ आसानी से उठा सकते हैं. इस प्लेटफॉर्म पर रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है, और इसके जरिए मछुआरों को प्रशिक्षण, वित्तीय जानकारी और व्यवसायिक योजनाएं तैयार करने में सहायता दी जा रही है.
इसके अलावा, प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना के तहत स्वयं सहायता समूहों (SHGs), छोटे उद्यमों, सहकारी समितियों और मत्स्य किसान संगठनों को 35% तक प्रदर्शन अनुदान (Performance Grant) प्रदान किया जा रहा है. यह अनुदान मछली पालन के क्षेत्र में उत्पादन और गुणवत्ता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.
कैसे मिलेगा लाभ?
एनएफडीपी पर रजिस्ट्रेशन करने के लिए इच्छुक व्यक्ति या संगठन https://nfdp.dof.gov.in पर लॉग इन कर सकते हैं. इसके अलावा, विस्तृत जानकारी और सहायता के लिए नजदीकी जिला मत्स्य कार्यालय से संपर्क किया जा सकता है. रजिस्ट्रेशन के बाद मछुआरों को डिजिटल पहचान पत्र मिलेगा, जो उन्हें सरकारी योजनाओं, जैसे सब्सिडी, ऋण, और प्रशिक्षण कार्यक्रमों से जोड़ेगा.
बिहार में तेजी से हो रहा डिजिटल बदलाव
बिहार में अब तक 1.23 लाख से अधिक मत्स्य पालकों ने एनएफडीपी पर पंजीकरण कराया है, जो इस बात का प्रमाण है कि राज्य इस डिजिटल पहल को तेजी से अपना रहा है. यह प्लेटफॉर्म न केवल मछुआरों को आर्थिक रूप से सशक्त कर रहा है, बल्कि मछली पालन को एक लाभकारी उद्यम के रूप में स्थापित करने में भी मदद कर रहा है.
क्यों जरूरी है यह योजना?
बिहार में मछली पालन एक महत्वपूर्ण आजीविका का स्रोत है, लेकिन असंगठित क्षेत्र होने के कारण मछुआरों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. एनएफडीपी के माध्यम से इन चुनौतियों को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है. यह प्लेटफॉर्म न केवल मछुआरों को डिजिटल पहचान देता है, बल्कि उन्हें बाजार से जोड़ने, उत्पादन बढ़ाने और आधुनिक तकनीकों को अपनाने में भी सहायता प्रदान करता है.
आगे की राह
राज्य सरकार का लक्ष्य है कि बिहार में मछली पालन को न केवल एक पारंपरिक व्यवसाय के रूप में देखा जाए, बल्कि इसे एक आधुनिक और लाभकारी उद्यम के रूप में विकसित किया जाए. एनएफडीपी और प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना के जरिए मछुआरों को सशक्त बनाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं.
क्या करें मछुआरे?
- रजिस्ट्रेशन: एनएफडीपी पोर्टल पर रजिस्टर करें और डिजिटल पहचान पत्र प्राप्त करें.
- जानकारी: जिला मत्स्य कार्यालय से योजनाओं की जानकारी लें.
- प्रशिक्षण: प्रशिक्षण कार्यक्रमों में हिस्सा लें और आधुनिक तकनीकों को अपनाएं.
- लाभ उठाएं: प्रदर्शन अनुदान और अन्य सरकारी सुविधाओं का लाभ लें.
- बिहार सरकार की यह पहल निश्चित रूप से मत्स्य पालन क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी और मछुआरों के जीवन को समृद्ध बनाएगी.
- एनएफडीपी के साथ बिहार मछली पालन के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छूने के लिए तैयार है.
संपर्क करें
अधिक जानकारी के लिए https://nfdp.dof.gov.in पर जाएं या अपने नजदीकी जिला मत्स्य कार्यालय से संपर्क करें.
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