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खुशखबरी! डेयरी फार्मिंग के लिए किसानों को 42 लाख तक का मिलेगा लोन और अनुदान, जानें राज्य सरकार का पूरा प्लान और कैसे उठाएं लाभ

Dairy Farming Subsidy: मध्यप्रदेश सरकार की कामधेनु योजना के तहत डेयरी फार्मिंग के लिए 42 लाख तक लोन और 25-33% अनुदान मिल रहा है. इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम से किसानों को दूध, अंडा और मीट उत्पादन में मदद मिलेगी, जिससे उनकी आय बढ़ेगी और पशुपालन व्यवसाय सशक्त बनेगा.

लोकेश निरवाल
लोकेश निरवाल
Madhya Pradesh Dairy Farming
डेयरी फार्मिंग के लिए मध्यप्रदेश सरकार की बड़ी पहल (Image Source: shutterstock)

किसानों की आमदनी बढ़ाने और पशुपालन को फायदे पहुंचाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने एक नई योजना शुरू की है. इस स्कीम के तहत राज्य के पशुपालकों को डेयरी फार्म (Dairy Farm) खोलने के लिए 42 लाख रुपये तक का लोन और अनुदान  मिल रहा है. साथ ही, किसानों को बकरियों और मुर्गियों को साथ पालने वाला इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम भी प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे उन्हें अधिक से अधिक मुनाफा मिल सके.

राज्य सरकार की इस बेहतरीन स्कीम का लाभ उठाकर किसान आसानी से अपना डेयरी का काम शुरू कर आर्थिक रूप से मजबूत बना सकते हैं. आइए इसके बारे में हर एक डिटेल यहां जानते हैं...

42 लाख रुपये तक का मिलेगा लोन

मध्यप्रदेश सरकार किसानों की आय बढ़ाने और पशुपालन को लाभकारी व्यवसाय बनाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है. इसी कड़ी में सरकार ने डेयरी फार्मिंग/ Dairy Farming के लिए डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना शुरू की है, जिसके तहत 42 लाख रुपये तक का लोन और 25 से 33 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है.

कामधेनु योजना पशु चिकित्सा सेवाएं विभाग द्वारा संचालित की जा रही है. इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान के पास कम से कम 3.5 एकड़ जमीन होना जरूरी है. इच्छुक किसान ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं या विभागीय कार्यालय से संपर्क कर योजना की पूरी जानकारी ले सकते हैं. जिले के उपसंचालक डॉ. एन. के. शुक्ला ने बताया कि इस साल 22 किसानों को योजना का लाभ देने का लक्ष्य रखा गया है.

कम खर्च में अच्छा मुनाफा  

सरकार इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम (IFS) को भी प्रोत्साहित कर रही है. इस मॉडल में बकरियों और मुर्गियों को एक साथ रखा जाता है, जिससे कम खर्च में अंडा और देसी चिकन का उत्पादन किया जा सकता है. केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (CIRG), मथुरा के वैज्ञानिकों के अनुसार, इस सिस्टम में बकरियों का बचा हुआ चारा मुर्गियां खा जाती हैं, जिससे फीड की लागत भी कम होती है.

IFS में बकरियों के लिए ऑर्गेनिक चारा उगाया जाता है, जिससे उनका दूध भी पूरी तरह ऑर्गेनिक होता है. इससे मिलने वाला मीट भी स्वास्थ्यकर और निर्यात योग्य होता है. इस सिस्टम के तहत लोहे की जाली से विशेष शेड बनाए जाते हैं, जिसमें बकरियां और मुर्गियां अलग-अलग हिस्सों में रहती हैं. सुबह बकरियों को चराने के लिए बाहर निकाला जाता है और उनकी जगह मुर्गियां शेड में आ जाती हैं, जिससे दोनों पशुओं के लिए जगह का सर्वोत्तम उपयोग होता है.

मध्यप्रदेश सरकार की यह पहल पशुपालकों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने में सहायक साबित हो रही है और साथ ही किसानों की आय में वृद्धि कर राज्य की कृषि व्यवस्था को आधुनिक और सशक्त बनाने की दिशा में बड़ा कदम है.

English Summary: Madhya Pradesh dairy farming loan subsidy 42 lakh benefits Published on: 08 August 2025, 11:28 IST

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