दुनिया के अन्य देशों की तरह अब भारत में भी मछली पालन के लिए केज कल्चर का चलन बढ़ गया है. यह एक पिंजरनुमा होता है जिसमें मछली पालन किया जाता है. सामान्य तालाबों की तुलना में इसमें मछली की ग्रोथ तेजी से और अधिक होती है. केन्द्र सरकार से प्रवर्तित इस योजना के तहत मध्य प्रदेश सरकार 50 फीसदी अनुदान दे रही है. तो आइये जानते हैं मछली पालन के केज कल्चर निर्माण के लिए अनुदान कैसे लें.
योजना का उद्देश्य
मछली पालकों की आय को दोगुना करने के लिए इस योजना को शुरू किया गया है. इस प्रक्रिया को अपनाने से मछली का उत्पादन आसानी से बढ़ाया जा सकता है. एक केज से लगभग 5 टन उत्पादन लिया जा सकता है.
कौन ले सकता है लाभ?
यह केन्द्र प्रवर्तित स्कीम है जिसका लाभ मध्य प्रदेश के सभी जिलों के मत्स्य पालक उठा सकते हैं. इसमें केंद्र और राज्य सरकार मिलकर कुल खर्च का 50 प्रतिशत अनुदान देती है.
आवश्यक योग्यताएं
1. यदि आप मछली पालन के लिए केज कल्चर को अपनाना चाहते हैं तो इसके लिए आपके द्वारा निर्माण करवाए गए जलाशय में गर्मी के दिनों में जल स्तर 20 फीट न्यूनतम होना चाहिए.
2. हर केज से 4 से 5 टन पंगेशियस प्रजाति की मछली का उत्पादन लेना आवश्यक है.
3. जिस जलाशय पर मछली पालन किया जा रहा हो वह हितग्राही के नाम से आवंटित हो.
4. जलाशय में कम से कम 4 केज जिसकी साइज 6X4X4 होनी चाहिए.
प्रशिक्षण
केज कल्चर के जरिए 120 दिनों में मछलियों को वजन 400 ग्राम तक हो जाता है. वहीं खुले तालाबों में इतने दिनों में मछलियों को वजन 200 से 300 ग्राम ही होता है. ऐसे में यह एक उन्नत तकनीक है जिसके जरिए अधिक उत्पादन लिया जा सकता है. यही वजह है कि हितग्राही को 5 दिवसीय प्रशिक्षण दिया जाता है जिसमें उन्हें केज कल्चर की पूरी जानकारी दी जाती है.
6 लाख रूपये का खर्च
सामान्य तौर केज कल्चर निर्माण में अनुमानित लागत तीन लाख रूपये आती है जिसमें से 50 प्रतिशत अनुदान सरकार देती है.
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