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हींग और केसर की खेती के लिए 'कृषि से संपन्नता योजना'आरम्भ

हींग और केसर की खेती के लिए हिमाचल प्रदेश की सरकार करीब 90 हजार किसानों को आर्थिक सहायता देने जा रही. साथ ही राज्य सरकार किसानों और कृषक उत्पादक संगठनों को बीज और मशीनें उपलब्ध कराने में मदद करेगी.

श्याम दांगी
श्याम दांगी
saffron

हींग और केसर की खेती के लिए हिमाचल प्रदेश की सरकार करीब 90 हजार किसानों को आर्थिक सहायता देने जा रही. साथ ही राज्य सरकार किसानों और कृषक उत्पादक संगठनों को बीज और मशीनें उपलब्ध कराने में मदद करेगी. राज्य के कृषि मंत्री वीरेन्द्र कंवर का कहना है कि राज्य में हींग और केसर की खेती शुरू हो गई है. चंबा, लाहौल-स्पीति, मंडी और किन्नौर जिलों का पहाड़ी क्षेत्र हींग और केसर की खेती के लिए अनुकूल है. बता दें कि हाल ही में लाहौल-स्पीति जिले के कोरिंग गांव में हींग का पहला पौधा लगाया गया था. कृषि मंत्री ने बताया कि हींग और केसर की खेती के लिए कृषि से संपन्नता योजना शुरू कर की गई है जिसके अंर्तगत सरकार ने 5 साल के लिए 10 करोड़ के फंड की स्वीकृति दी है. साथ ही पांच सालों में राज्य में हींग की खेती के लिए 302 हेक्टेयर क्षेत्र और तीन सालों में केसर 3.5 हेक्टेयर क्षेत्र में करने का लक्ष्य रखा गया है.

5 साल में तैयार होता है हींग का पौधा

हींग का पौधा पांच सालों में परिपक्व हो जाता है. इसके एक पेड़ से एक किलो दूध निकलता है जिससे बाद में हींग बनाया जाता है. इसके एक किलो दूध की कीमत 11 से 40 हजार रूपए तक होती है. जबकि शुद्ध हींग बाजार में 35 हजार रूपए किलो तक बिकता है. मसालों के अलावा हींग का इस्तेमाल दवाइयां बनाने में भी बहुत  किया जाता है. गौरतलब है कि भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य में सबसे पहले हींग की खेती करने का प्रयास किया गया था लेकिन यह प्रयोग सफल नहीं हो पाया था.

इसकी खेती के लिए उपयुक्त तापमान 0 से 35 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए.

asafoetida cultivation

कहां-कहां होती है हींग की खेती ?(Where is asafoetida cultivation?)

इसकी खेती ईरान, इराक, अफगानिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और पाकिस्तान जैसे कुछ ही देशों में की जाती है. यही वजह है कि हींग उत्पादक इन देशों को हींग के निर्यात से काफी पैसा मिलता है. आर्थिक रूप से नुकसान न हो इसलिए यह देश हींग का बीज दूसरे देशों में नहीं जाने देते हैं. इस वजह से हींग के बीज की बिक्री पर भी बैन लगा रखा है.

भारत में हींग की खपत

हींग की सबसे ज्यादा खपत भारत में है. हमारे यहां दुनियाभर में उत्पादित की गई हींग की लगभग 50 प्रतिशत की खपत होती है. भारत में  ईरान, अफगानिस्तान और उज्बेकिस्तान से हर साल लगभग 1200 टन कच्ची हींग मंगाई जाती है. इसके लिए 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर हर साल खर्च होते हैं. साल 2019 में भारत ने 942 करोड़ रूपए की हींग आयात की गई थी. भारत ने इस साल अफगानिस्तान, उज्बेकिस्तान और ईरान से लगभग 1500 टन आयात की थी.

भारत में क्यों जरूरी है हींग की खेती ?(Asafoetida cultivation is very important for India)

हींग को इंग्लिश में asafoetida कहते हैं इसे भारत में किचन की शान माना जाता है क्योंकि इसकी जरा सी मात्रा खाने के स्वाद को दोगुना कर देती है और इसका इस्तेमाल जड़ी-बूटी के तौर पर भी किया जाता है. हींग पहडी क्षेत्रों में एक पौधे से निकाली जाती है फिलहाल भारत में इसका उत्पादन ना के बराबर जबकि खपत बहुत ज्यादा. जिसकी वजह से इसको आयात करने में भारत का करोड़ों रुपया विदेशों में जाता है. जिससे हर साल करोड़ों की भारतीय करंसी बर्बाद होती है. इसको बचाने के लिए हींग खेती पर सरकार जोर दे रही है. इससे किसानों को भी बहुत फायदा होगा.

English Summary: himachal pradesh government launched agriculture to prosperity scheme for asafoetida and saffron cultivation Published on: 18 November 2020, 06:11 IST

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