परंपरागत खेती से किसान काफी ज्यादा लाभ उठाते रहे है. अमरूद की खेती को कई बार लाभ तो कई बार काफी ज्यादा नुकसान को सहना पड़ता है. अमरूद की फसल के लिए ज्यादा पानी की भी आवश्यकता होती है और इसमें मेहनत भी अधिक लगती है. इसीलिए बिहार सरकार ने किसानों को कम मेहनत और लागत लगाने के बावजूद अच्छी कमाई कराने के लिए सरकार ने भी काफी अच्छी पहल करने का कार्य किया है. यहां पर कैमुर जिले में मैदानी और पहाड़ी क्षेत्र के किसानों को योजना का लाभ देकर आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाए जाने की कवायद शुरू होगी.
तीन चरणों में मिलेगी सब्सिडी
यहां पर पूरे प्रदेश में मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना के तहत कैमूर जिले को अमरूद की बागवानी लगाने के लिए चयनित करने का कार्य किया गया है. इसके तहत कैमूर जिले में कुल चार हेक्टेयर में अमरूद की बागवानी को लगाने का कार्य किया जाएगा. उन्होंने बताया कि अमरूद की बागवानी लगाने के लिए किसानों को लागत एक लाख रूपये में प्रतिशत अनुदान राशि सरकार की तरफ से देय होगी. किसानों को तीन वर्ष में पौधा जीवित रहने पर यह 50 प्रतिशत अनुदान सरकार की तरफ से तीन चरणों में उपल्बध करवायी जाएगी.
कम से कम चार हेक्टेयर में होगी खेती
यहां पर किसान अमरूद की खेती कम से कम चार हेक्टेयर में करने का कार्य करेंगे. इस दौरान उनको लागत की राशि प्रथम चरण में 60 प्रतिशत अनुदान की राशि दिए गए पेड़ की राशि ताटने के उपरांत किसान को दी जाएगी. इसके बाद शेष 20-20 प्रतिशत की राशि पहले और तीसरे चरण में किसानों को दी जाएगी. इस तरह से चरणबद्ध तरीके से अनुदान की राशि किसानों तक पहुंचाने का कार्य किया जाएगा. इस राशि को विभिन्न पदाधिकारियों को पौधे जीवित होने की जांच के उपरांत नियामनुकूल प्रदान की जाएगी. किसानों को इस योजना का लाभ तेजी से प्राप्त करने के लिए प्रखंड और जिला स्तर पर आवेदन जमा करने की सुविधा प्रदान की गई है. इस योजना का मुख्य उद्देश्य यही है कि ज्यादा से ज्यादा किसानों को इस योजना का आर्थिक लाभ देकर स्वावलंबी बनाया जाए.
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