ग्रामीण क्षेत्रों के लोग एक बेहतर रोजगार प्राप्त करने के लिए कई तरह के अन्य कार्य करते है और कुछ लोग तो रोजगार की तलाश में शहर की तरफ पलायन कर जाते हैं, लेकिन वहां गांव में रह कर ही अपना खुद का एक रोजगार शुरू कर सकते हैं. इन्हीं रोजगार में से एक खाद्य प्रसंस्करण यूनिट का व्यवसाय है.
इस व्यवसाय को खोलने के लिए आपको कहीं जाने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी और साथ ही सरकार की तरफ से भी आपको आर्थिक तौर पर मदद की जाएगी.
ग्रामीण क्षेत्रों को एक अच्छा रोजगार उपलब्ध कराने व उन्हें आर्थिक तौर पर मदद करने के लिए राजस्थान सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण यूनिट खोलने के लिए 50 प्रतिशत तक का अनुदान देने का ऐलान किया है. जिसमें राज्य में कृषि उत्पादकों में बढ़ोतरी व निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए खाद्य प्रसंस्करण मिशन की शुरुआत की गई है. यह मिशन हर जिले में अलग-अलग फसल पर अलग-अलग दिया जा रहा है.
क्या है खाद्य प्रसंस्करण यूनिट (what is food processing unit)
खाद्य प्रसंस्करण यूनिट एक प्रकार से खाद्य उत्पादकों व फसलों को रखने के लिए खोला जाता है. ये ही नहीं इसमें कृषि, बागवानी, वृक्षारोपण, पशुपालन और मत्स्य पालन जैसे व्यवसाय भी शामिल है. इस यूनिट को खोलने से किसानों की आय में वृद्धि के साथ उन्हें एक अच्छा रोजगार भी प्राप्त होता है. यह साल भर चलने वाला एक बेहतरीन रोजगार है.
खाद्य प्रसंस्करण यूनिट खोलने के लिए अनुदान (grant for opening food processing unit)
खाद्य प्रसंस्करण यूनिट खोलने के लिए सरकार से प्रत्येक व्यक्ति को 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जा रही हैं. देखा जाए तो यह अनुदान अधिकतम 1 करोड़ रुपए तक तय किया गया है.
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खाद्य प्रसंस्करण यूनिट में किन फसलों को शामिल किया जाएगा
- राजस्थान के प्रतापगढ़, चितौडग़ढ़, कोटा एवं बारां जिलों के किसानों को लहसुन के लिए.
- बाड़मेर एवं जालौर जिले के किसानों को अनार के लिए.
- झालावाड़ में भीलवाड़ा जिलों के किसानों को संतरा के लिए.
- जयपुर जिले के किसानों को टमाटर व आंवला के लिए
- अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली एवं सवाई माधोपुर जिलों के किसानों को सरसों के लिए.
- जोधपुर संभाग के जिलों के किसानों को जीरा व ईसबगोल के लिए.
खाद्य प्रसंस्करण यूनिट के लिए अनुदान प्राप्त करने के पात्र
- राज्य का व्यक्ति और किसान
- कृषक उत्पादक संगठन
- सहकारी समितियां
- स्वयं सहायता समूह
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