1. Home
  2. सरकारी योजनाएं

खुशखबरी: किसानों को देर से फसल बेचने पर मिलेगी प्रोत्साहन राशि, सरकारी खरीद न होने से रहें निश्चिंत

सरकार ने लॉकडाउन की स्थिति में कृषि संबंधी सभी गतिविधियों को छूट दे रखी है. अब रबी फसलों को मंडियों में बिना किसी प्रतिबंध के बेच सकते हैं. सरकार ने मंडियों को खुलने की अनुमति दे दी है, इसके बावजूद किसान अपनी फसल को बेचने नहीं जा रहे हैं.

कंचन मौर्य
कंचन मौर्य

सरकार ने लॉकडाउन की स्थिति में कृषि संबंधी सभी गतिविधियों को छूट दे रखी है. अब रबी फसलों को मंडियों में बिना किसी प्रतिबंध के बेच सकते हैं. सरकार ने मंडियों को खुलने की अनुमति दे दी है, इसके बावजूद किसान अपनी फसल को बेचने नहीं जा रहे हैं. इस कारण मंडियों में फसलों का मूल्य एमएसपी बहुत नीचे जा रहा है. इसी वजह से देश में एपीएमसी की विभिन्न मंडियों में रबी फसलें न के बराबर आ रही हैं. ऐसे में सरकार ने किसानों की परेशानी को समझते हुए एक अहम कदम उठाया है.

सरकार किसानों को देगी प्रोत्साहन राशि

आपको बता दें कि जब बाजार में किसानों की फसल की सरकारी खरीद होगी, तब ही भाव ऊपर उठ पाएगा. लॉकडाउन की स्थिति में किसानों की फसल जल्दी बेचनी पड़ रही है, जिसका पूरा फायदा  व्यापारी उठाना चाहते हैं. ऐसे में सरकार ने घोषणा की है कि राज्य सरकार द्वारा किसानों को रबी फसलों की पैदावार के भंडारण के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. इसके लिए किसानों को कई योजनाओं के तहत सब्सिडी प्राप्त होगी. सरकार की इस घोषणा के बाद व्यापारियों की मंशा को बड़ा धक्का लगा है.  

किसानों को देर से गेहूं बेचने पर भी मिलेगी प्रोत्साहन राशि

हरियाणा किसानों के लिए यह बहुत बड़ी खुशखबरी है कि वे जितनी देर से भी गेहूं बेचने निकलेंगे, उनके लिए प्रोत्साहन राशि बढ़ती जाएगी. इसके अलावा यूपी में अनाज रखने के लिए मुश्त धनराशि देने की योजना बनाई गई है. बता दें कि राष्ट्रीय स्तर पर भी ग्रामीण भंडारण योजना चल रही है. इस योजना का लाभ कई किसान उठा सकते हैं. सरकार का कहना है कि लॉकडाउन की स्थिति में किसान एकदम निश्चिंत रहें. यही वजह है कि किसान अपनी फसल बेचने के लिए मजबूर नहीं हैं.

खुले बाजार में कीमतें बहुत नीचे

किसानों की फसलों का भाव खुले बाजार की कीमतों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मुकाबले बहुत नीचे है.

गुजरात की मंडियों में गेहूं का भाव लगभग 1490 रुपए से 1850 रुपए प्रति क्विंटल है, जबकि एमएसपी लगभग 1925 रुपए तय है.

मध्य प्रदेश की मंडियों में गेहूं का भाव लगभग 2500 से 2700 रुपए क्विंटल बिकता है, अब उसका मूल्य लगभग 1850 से 1980 रुपए

प्रति क्विंटल बोला जा रहा है.

इसी तरह मध्य प्रदेश में दलहन फसलों में चना की खेती सबसे ज्यादा होती है. यहां की विभिन्न मंडियों में इसका भाव लगभग 3400 से 3680 रुपए प्रति क्विंटल बोला जा रहा है.

यूपी की मंडियों में गेहूं की आवक न के बराबर रही है.

राजस्थान में चना लगभग 3500 रुपए प्रति क्विंटलबिक रहा है, जबकि सरकार द्वारा  एमएसपी लगभग 4875 रुपए प्रति क्विंटल घोषित किया गया है.  

सरसों की बंपर फसल के बाद भी मंडियों में नहीं पहुंची

आपको बता दें कि इस बार सरसों की बंपर पैदावार हुई है, जिसको किसान काटकर अपने घर ले जा चुका है. इसके बावजूद सरसों की फसल मंडियों में नहीं पहुंची है. बता दें कि मंडियों में इसका भाव लगभग 3675 से 3700 रुपए प्रति क्विंटल है, लेकिन सरसों का एमएसपी लगभग 4425 रुपए प्रति क्विंटल है. यही वजह है कि किसान सरसों की फसल को बेचना नहीं चाहता है.

राज्य सरकारों ने सब्सिडी का ऐलान किया

किसानों की समस्या को समझते हुए लगभग सभी राज्य सरकारों ने ऐलान किया है कि किसानों को  उपज के भंडारण पर 50 से 100 रुपए प्रति क्विंटल तक की सब्सिडी दी जाएगी. सरकार के इस ऐलान के बाद किसानों को बड़ी राहत मिली है. अब किसान को किसी दबाव में आकर फसल बेचने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इस तरह किसानों को दोगुना फायदा भी मिलेगा. बता दें कि अब किसानों को बेसब्री से सरकारी खरीद का इंतजार है.

English Summary: government farmers will get incentive for selling late crops Published on: 31 March 2020, 08:15 IST

Like this article?

Hey! I am कंचन मौर्य. Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News