बिहार में रहने वाले मछुआरों को फायदा होने की उम्मीद है. दरअसल बिहार राज्य में मछुआरों को कुल मछलीपालन हेतु 90 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जाएगा चूंकि सरकार चाहती है कि मछली पालन करने वाले मछुआरों को ज्यादा से ज्यादा सरकरी सहायता मिले इसीलिए मछुआरों को राज्य में नए तालाब के निर्माण, पुराने का जीर्णोद्वार, हैचरी का निर्माण, बोरिंग, फिश का फंड, पंपसेट समेत मछलीपालन से जुड़े सभी योजनाओं पर आसानी से अनुदान मिल सकेगा. इसके लिए अनुदान में 50 प्रितशत की बढ़ोतरी का प्रस्ताव हेतु वहां के मतस्य पालन विभाग ने तैयार करके रखा है. जैसे ही राज्य की सरकार कैबिनेट मीटिंग कर लेगी उसके बाद इस प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी दे दी जाएगी. बाद में इसे लागू कर दिया जाएगा.
मछुआरों को लाभ होगा
बिहार में काफी मात्रा में मछुआरे मछली पालन के कार्य को करते हैं जिससे उनको काफी अच्छा मुनाफा होता है. इस तरह की योजना से एक लाख से अधिक मछुआरों को काफी ज्यादा लाभ होगा. इसके पहले मछुआरों को सामान्य मछलीपालक की तरह ही 40 प्रतिशत अनुदान स्वंय मिल रहा था. बता दें कि केंद्र सरकार मछुआरों को प्रोत्साहित करने के लिए नीली क्रांति योजना को चलाती है जिसमें 40 प्रतिशत का अनुदान केंद्र सरकार की तरफ से ही दिया जाता है. राज्य की सरकार अपनी तरफ से 50 प्रतिशत अनुदान राशि भी देगी. 10 लाख रूपये की लागत वाला छोटा फिश फीड मील के लिए सरकार 9 लाख रूपये तक का अनुदान देगी.
जीरा संग्रह के लिए भी मिलेगा अनुदान
सरकार की तरफ से जीरा संग्रह व मछली दोनों के लिए अनुदान प्रदान किया जाएगा ताकि किसानों को ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहित किया जा सके. अभी सरकार की तरफ से जब भी कोई नया तालाब मछलीपालन के लिए बनाया जाता है तो 40 प्रतिशत अनुदान को राज्य की सरकार की ओर से दिया जाता है. ऐसा करने से राज्य में मछली उत्पादन तो बढ़ेगा ही साथ ही मछुआरों को इससे फायदा होगा. वर्तमान में हालात ऐसे है कि सालाना लगभग 50 से 60 हजार टन मछली को आंध्र प्रदेश व पूर्व के पश्चिम बंगाल राज्य से आयात करना पड़ता है. अगर राज्य में हैचरी की बात करें तो यहां राज्य में 132 हैचरी है और तालाब 93 हजार हेक्टेयर है. ऐसा अनुमान जताया जा रहा है कि जैसे ही मछुआरों को मछलीपालन पर अनुदान मिलेगा तो उनकी आमदनी में दोगुना इजाफा होगा और उनकी आर्थिक स्थिति भी काफी मजबूत हो जाएगी.
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