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कागजी अखरोट की खेती बढ़ाएगी किसानों की आय, 4000 पौधे लगाने की बनी योजना

उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में कम मांग वाले मोटे छिलके के अखरोट की जगह उन्नत किस्म के कागजी अखरोट को अधिक बढ़ावा दिया जा रहा है. ऐसे में इस सीजन में उद्यान विभाग ने एक खास योजना बनाई है कि जिले में अखरोट के लगभग 4000 पौधे लगाए जाएंगे.

कंचन मौर्य
कंचन मौर्य
Nut Farming
Nut Farming

उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में कम मांग वाले मोटे छिलके के अखरोट की जगह उन्नत किस्म के कागजी अखरोट को अधिक बढ़ावा दिया जा रहा है. ऐसे में इस सीजन में उद्यान विभाग ने एक खास योजना बनाई है कि जिले में अखरोट के लगभग 4000 पौधे लगाए जाएंगे.

इस किस्म के पेड़ 5 साल में फल देने लगते हैं. इनमें फल भी दूसरी किस्मों की अपेक्षा अधिक मिलते हैं. अगर यह योजना सफल रही, तो किसानों की आय बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी. बता दें कि अखरोट उत्पादन के लिए साढ़े चार हजार फिट से अधिक ऊंचाई का क्षेत्र उपयुक्त होता है. ऐसे में जिले की जलवायु अखरोट उत्पादन के लिए काफी अनुकूल है.

8500 मीट्रिक टन अखरोट का उत्पादन

मौजूदा समय में लगभग 2820 हेक्टेयर क्षेत्र अखरोट के पेड़ों से आच्छादित है. इसका मतलब है कि जिले में लगभग 8500 मीट्रिक टन अखरोट का उत्पादन होता है. इस तरह लगभग 17 हजार से अधिक किसान अखरोट उत्पादन से जुड़े हुए हैं.

400 रुपए किलो तक अखरोट का मूल्य

बाजार में अखरोट का मूल्य 400 रुपए प्रति किलो तक मिल जाता है, लेकिन कागजी अखरोट 700 रुपए प्रति किलो तक बिकता है. किसान अखरोट उत्पादन से जुड़कर अतिरिक्त आय कमा सकते हैं. बता दें कि उद्यान विभाग द्वारा ताकुला विकासखंड के राजकीय प्रजनन उद्यान भैसोड़ी में कागजी अखरोट की नर्सरी तैयार की है.

पिछले साल बोए अखरोट के 1 क्विंटल बीज

पिछले साल अक्टूबर में विभाग की तरफ से कागजी अखरोट का 1 क्विंटल बीज बोया गया था. यहां पर अखरोट के 4000 पौधों की नर्सरी तैयार कर ली गई है. बताया जा रहा है कि हार्टिकल्चर टेक्नोलाजी मिशन और अन्य योजना के तह किसानों को अखरोट के पौधे दिए जाएंगे. किसान अखरोट के पौधों का रोपण जनवरी से 15 फरवरी तक कर सकते हैं, क्योंकि यह समय उपयुक्त रहता है.

परंपरागत अखरोट से कहीं बेहतर

आम तौर पर पर्वतीय क्षेत्र में बहुत सख्त छिलके वाला अखरोट मिलता है. कुछ अखरोट दांत से तोड़े जा सकते हैं, लेकिन कुछ अखरोट ऐसे होते हैं, जिन्हें पत्थर या दूसरी भारी वस्तुओं की मदद से तोड़ना पड़ता है. इनका बीज भी छोटे टुकड़ों में बड़ी मुश्किल से निकलता है. इसे कांठी अखरोट कहा जाता है. बता दें कि कागजी अखरोट का छिलका काफी पतला होता है, जिससे हाथों से दबाकर तोड़ सकते हैं. बाजार में इस अखरोट की भारी मांग होती है. इस किस्म के पेड़ कुमाऊं में लगाए जाने लगे हैं.

विदेशों में भी अखरोट की काफी मांग

विदेशों में अखरोट की बहुत मांग होती है. भारतीय अखरोट की काफी खपत स्पेन, मिश्र, जर्मनी, नीदरलैंड, यूके, फ्रांस, ताइवान जैसे देशों में है.

काफी पौष्टिक होता है अखरोट

  • पर्वतीय क्षेत्र में उत्पादित होने वाला अखरोट काफी पौष्टिक होता है.

  • इसमें प्रोटीन, कैल्शियम, मैग्नीशिमय, आयरन, फास्फोरस, कॉपर, सेललेनियम, ओमेगा-तीन मौजूद होता है.

  • ओमेगा तीन फैटी एसिड याद्दाश्त बढ़ाता है.

  • मैग्निशियम और मैगनीज, दोनों हड्डियों के लिए अच्छे होते हैं.

  • खून में कोलेस्ट्रोल के लेवल को भी नियंत्रित करता है.

  • अखरोट की गिरी को भिगोकर खाने से ब्लड शूगर नियंत्रित रहता है.

  • रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है.

English Summary: Farmers' income will increase due to paper nut cultivation Published on: 31 December 2020, 02:47 IST

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