फसल विविधीकरण योजना को अपनाकर किसान अपनी आय दोगुनी कर सकते हैं. खेती करने के लिए मध्य प्रदेश कृषि विभाग किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए योजना चला रहा है. जिसमें किसानो को 3 साल तक सरकारी मदद दी जाएगी. इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि खेती टिकाऊ होगी और पर्यावरण को इससे लाभ होगा. योजना के तहत गेंहू और धान के अलावा दूसरी फसलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. सरकार किसानों की सहायता भी कर रही है.
फसल विविधीकरण योजना
मध्य प्रदेश में गेहूं-धान के बढ़ते रकबे और उत्पादन में अत्यधिक बढ़ोतरी की वजह से अनेक समस्याएं आ रही हैं, रासायनिक आदान के अंधाधुंध उपयोग से बिगड़ता पर्यावरण समर्थन मूल्य पर खरीदी के कारण सरकार पर अनावश्यक वित्तीय बोझ भी बढ़ रहा है, ऐसे ही अनेक समस्याओं से निपटने के लिए मध्यप्रदेश कृषि विभाग ने फसल विविधीकरण के लिए प्रोत्साहन योजना लागू करने का फैसला लिया है. इस योजना के तहत गेहूं और धान के अलावा वे फसलें जो न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि एमएसपी के दायरे में नहीं आती है, उन्हें शामिल किया गया है.
इन फसलों पर मिलेगा लाभ
इस प्रोत्साहन योजना में गेहूं और धान के अलावा वे फसलें जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के दायरे में नहीं आतीं, शामिल रहेंगी, इन पात्र फसलों में उद्यानिकी फसलें- आलू, प्याज, टमाटर एवं अन्य सब्जियां भी सम्मिलित की गई हैं.
ये संस्थाएं होंगी पात्र
किसानों को परंपरागत फसलों से हटकर विभिन्न और विविध फसलें बोने के लिए प्रेरित करने वाली कंपनियां, संस्थाएं इस योजना के लिए पात्र होंगी, साथ ही इन संस्थाओं पर किसानों की तकनीकी सलाह देने के साथ-साथ फसल को खरीदने के लिए समझौता करने कराने का भी दायित्व होगा. प्रेरक कंपनियां, संस्थाएं यदि 'पात्र फसल' नहीं खरीदती हैं तो ऐसी स्थिति में वे अन्य कंपनियों से टाईअप करवाएंगी.
सरकार से मिलेगी सहायता
फसल विविधीकरण योजना में किसान को प्रेरित करने के लिए कोई आवश्यक कृषि आदान दिया जाता है तो विभाग से मान्य किया जाएगा.
छोटे किसानों की बढ़ेगी आय
सरकार 2 हेक्टेयर से कम भूमि या इससे अधिक भूमि वाले किसानों को वैकल्पिक फसलों या फसल विविधिकरण करने की सलाह दे रही है. जिसमें किसान अपने खेत में अन्य नई-नई प्रकार की अलग-अलग फसलों को एक साथ लगाकर अधिक मुनाफा हासिल कर सकते हैं. इसके लिए किसान को मौजूदा फसल की प्रणाली में उच्च मूल्य वाली फसल जैसे कि मक्का, दाल के साथ कई अन्य नई फसलों का विविधीकरण करना होता है.
मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने में कारगर
फसल विविधीकरण मिट्टी की उपजाऊ शक्ति कायम रखने के लिए भी कारगर है. क्योंकि खेत में नियमित पारंपरिक फसलों की बुवाई करने से धीरे-धीरे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है, जिससे फसल का उत्पादन भी कम हो जाता है, इससे किसानों का मुनाफा भी घटता है, ऐसे में अन्य फसलों की खेती से फायदा होता है.
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फसल चक्र
पारंपरिक धान-गेहूं प्रणाली की जगह किसान विभिन्न फसल प्रणाली विकल्प अपनाकर कम लागत में उत्पादन में बढ़ोतरी कर सकते है, इसके लिए किसान उचित फसल चक्र अपनाएं, जैसे कि मक्का- सरसों-मूंग, मक्का-गेहूं-मूंग, मक्का -गेहूं, अरहर-गेहूं-मूंग, धान आलू स्प्रिंग मक्का, सोयाबीन - गेहूं-मूंग, अरहर-गेहूं.
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