केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना’ (पीएम-किसान) के व्यापक कवरेज को सुनिश्चित करने के लिए कृषि मंत्रालय अब नामांकन प्रक्रिया को गति देने के लिए कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) से जुड़ गया है. दरअसल कृषि मंत्रालय ने कॉमन सर्विस सेंटर के साथ समझौता किया है, जो कि देशभर में 14 करोड़ छोटे और सीमांत किसानों के नामांकन के लक्ष्य को पूरा करने के लिए इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत एक विशेष उद्देश्य वाहन (special purpose vehicle) है.
पीएम-किसान योजना केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषित और दिसंबर 2018 में शुरू की गई एक न्यूनतम आय सहायता योजना है. इस योजना के अनुसार, पूरे देश में सभी किसानों को 2,000 रुपये की 3 बराबर किस्तों में 6,000 प्रति वर्ष की आय सहायता दी जाएगी. पीएम-किसान योजना के कवरेज को तेज करने के लिए कृषि मंत्रालय ने सीएससी में भाग लिया है. पूरे देश में तीन लाख से अधिक सीएससी अब उन किसानों का नामांकन शुरू करेंगे जो इस योजना के लिए पात्र हैं. योजना का लाभ लेने के लिए किसान कॉमन सर्विस सेंटर पर जाकर पंजीकरण कर सकते है. सीएससी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ), दिनेश त्यागी ने कहा, "सीएससी को पिछले नामांकन में कोई भी बदलाव करने की अनुमति दी गई है. एक किसान जो पहले से ही लाभार्थी है, वह अपने पते या नामांकित व्यक्ति के नामांकन फॉर्म में कोई बदलाव करना चाहता है, वह सीएससी पर जा सकते है.
उन्होंने आगे बताया कि CSC पहले से ही किसानों के लिए पेंशन योजना, पीएम किसान समान निधि योजना के नामांकन का काम कर रहा है. पीएम-किसान योजना के लिए सीएससी देश भर में छोटे और सीमांत किसानों के लिए एक बड़ा सामाजिक सहायता केंद्र बनकर उभरेगा. त्यागी ने यह भी कहा कि "हमने सीएससी का संचालन करने वाले सभी ग्राम स्तरीय उद्यमियों ( village level entrepreneurs) को दोनों योजनाओं के तहत नामांकन में तेजी लाने के लिए कहा गया है ताकी अधिकतम किसान और उनके परिवार उनसे लाभ उठा सकें.”
कृषि मंत्रालय के अधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार, इसके लॉन्च के बाद से 14 करोड़ किसानों के लक्ष्य के खिलाफ केवल 7 करोड़ किसानों को ही पीएम-किसान योजना में नामांकित किया गया है. एक उच्च स्तरीय बैठक के दौरान नामांकन प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए सीएससी को शामिल करने का निर्णय लिया गया. अब तक राज्य सरकारों के द्वारा नामित स्थानीय पटवारी, राजस्व अधिकारी और नोडल अधिकारी किसानों के नामांकन के लिए प्रभारी थे. इसी तरह किसानों के लिए ऑनलाइन स्व-पंजीकरण विधि भी लेने में विफल रही.
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