सर्दियों के मौसम में पशुओं को ऐसा क्या खिलायें कि हमारे पशु स्वस्थ और तंदरुस्त रहें क्योंकि सर्दियों में पशु को अगर संतुलित और सही आहार नहीं मिलता है तो वह बीमार के शिकार होने लगते हैं जिस वजह से उनके दूध के उत्पादन में भी कमी आनी शुरू हो जाती है क्योंकि पशुपालक भी सर्दियों में पशुओं को हरी बरसीम (घास) खिलाते है उससे भी दूध में ज्यादा उत्पादन नहीं हो पाता. इसलिए पशुपालको को सर्दियों में पशुओं को हरी बरसीम की जगह 'मक्खन घास' खिलानी चाहिए. क्योंकि यह पशुओं के लिए काफी पौष्टिक और फायदेमंद है. इसके सेवन से पशुओं के दूध उत्पादन में 25-30 फीसदी तक बढ़ोतरी होती है.
क्योंकि हरी बरसीम में बहुत जल्दी कीट (कीड़ा) लगता है, पर मक्खन घास में ऐसे कोई कीट लगने की समस्या नहीं होती. यह घास सर्दियों में उगाई जाती है. इस घास की बुवाई अक्टूबर-दिसंबर माह में की जाती है. इसकी बुवाई यदि अक्टूबर माह में की जाए तो आप इसकी कटाई 35- 40 दिनों के अंदर कर सकते है.
इसकी दूसरी कटाई भी 20- 25 दिनों के अंदर की जा सकती है. 'मक्खन घास' की सालभर में 5-6 बार आसानी से कटाई की जा सकती है. इस घास के बीज एक हेक्टर प्रति किलो की दर से लगते है क्योंकि यह बरसीम की बुवाई के समय बोया जाता है. यह बरसीम की तुलना में काफी अच्छा है. पशुओ के लिए इसका सेवन करना दूध उत्पादन को बढ़ाता है. इसके अंदर 14-15 फीसदी प्रोटीन होता है. इसके बीज बाजार से खरीदे जा सकते है. इसकी सबसे पहले शुरुआत चार साल पहले पंजाब, हरियाणा में हुई थी. सबसे पहले यह 2 हज़ार किलो से शुरू हुई और आज इसका पूरे पंजाब में 100 मीट्रिक टन से भी ज्यादा बीज लगता है. इसकी बिक्री सबसे ज्यादा पंजाब, हरियाणा में होती है. इसको 150 टन से भी ज्यादा किसानों ने ख़रीदा है. इसका बीज बाजार में 400 रुपये प्रति किलो तक बिकता है.
इसकी खेती हर तरह की मिट्टी में की जा सकती है. जिसका पीएच लेवल 6.5 से 7 तक हो. यह एक शीतकालीन चारा फसल है, जो मैदानी और पहाड़ी इलाकों में उगाई जा सकती है. यह 10 -15 दिन में अंकुरित होना शुरू हो जाती है. इससे बरसीम के साथ भी बोया जा सकता है. इसके बीज अंकुरण प्रक्रिया में 2 -3 सप्ताह में एक बार सिंचाई की जरूरत पड़ती है.
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