Charcoal Used Farming: चारकोल जो आमतौर पर जलाने के लिए इस्तेमाल होता है, खेतों में मिट्टी की गुणवत्ता और उर्वरता को बढ़ाने के लिए भी प्रभावी साबित हो सकता है. इसे जैविक खाद के रूप में उपयोग करना एक पुरानी और प्राकृतिक पद्धति का हिस्सा माना जाता है, जिससे मिट्टी में पोषक तत्वों का संरक्षण और जलधारण क्षमता में सुधार होता है. आजकल, किसान इसे एक टिकाऊ कृषि उपाय के रूप में अपना रहे हैं. चारकोल को आप बाजार से खरीद सकते हैं या फिर खुद भी तैयार कर सकते हैं. आइए, जानते हैं कि खेतों में इसे सही तरीके से कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है.
मिट्टी की बढ़ेगी उर्वरता
चारकोल, जिसे लकड़ी का कोयला भी कहा जाता है, इसका उपयोग आप खाद के रूप में भी कर सकते हैं. यह बायोचार के रूप में खेती में महत्वपूर्ण लाभ दे सकता है और मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने में मदद करता है. आप इसे घर पर बना सकते हैं या फिर बाजार में तैयार होकर बेचे जाने वाले बायोचार को खरीदकर खेतों में उपयोग कर सकते हैं. इसका सही तरीके से इस्तेमाल करने से भूमि की गुणवत्ता में सुधार होता है और फसल की पैदावार भी बढ़ती है.
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चाकरोल बनाने की विधि
अगर आप घर पर चारकोल बनाना चाहते हैं, तो ड्रम विधि का उपयोग कर सकते हैं, जो हैदराबाद स्थित केंद्रीय बारानी कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित की गई है. इस विधि में बायोमास के अवशेषों को एक ड्रम में डाला जाता है और फिर उसे आग पर रखा जाता है. ड्रम को 90-95 मिनट तक चूल्हे पर गर्म किया जाता है, इसके बाद उसका ढक्कन बंद कर दिया जाता है और ऊपर गीली मिट्टी लगाई जाती है. इस प्रक्रिया से चारकोल तैयार हो जाता है.
ऐसे करें खेतों में चारकोल का उपयोग
किसान अपने खेतों में इस चारकोल का उपयोग करके फसल की उपज में सुधार कर सकते हैं. इसे बुवाई से पहले खेत की जुताई करते समय 10-15 सेमी की गहराई पर डाला जा सकता है, या फिर खड़ी फसलों पर भी इसे छिड़का जा सकता है. यह एक बार में बड़ी मात्रा में या फिर थोड़ा-थोड़ा करके डाला जा सकता है. यदि आप खाद की मात्रा को थोड़ी कम कर दें और उसकी जगह पर बायोचार का इस्तेमाल करें, तो यह फसल की पैदावार को बढ़ाने में सहायक होगा.
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