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आलू की टॉप 12 किस्में! किसानों को होगा तगड़ा मुनाफा, 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक मिलेगी पैदावार

आलू की खेती भारत की प्रमुख फसलों में से एक है, जो देश के कई राज्यों में की जाती है। फिलहाल रबी सीजन चल रहा है। ऐसे में यदि किसान भाई आईसीएआर (ICAR) द्वारा विकसित आलू की इन 12 किस्मों की बुवाई करते हैं, तो वे तगड़ी पैदावार लेकर अपनी आय में बढ़ोतरी कर सकते हैं।

KJ Staff
farming
आलू की टॉप 12 किस्में (Image source - AI generate)

आलू भारतीय थाली की पहचान माना जाता है, इसके बिना अधिकांश सब्जियां अधूरी लगती हैं। आलू में विशेष रूप से पोटेशियम, मैंगनीज, विटामिन C और विटामिन B6 जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इसी कारण साल के बारहों महीने बाजारों में आलू की मांग बनी रहती है।

आईसीएआर द्वारा विकसित आलू की निम्नलिखित 12 किस्में- कुफरी लोहित, कुफरी माणिक, कुफरी जामुनिया, कुफरी फ्राईसोना, कुफरी नीलकंठ, कुफरी चिपसोना-3, कुफरी उदय, कुफरी बहार, कुफरी किरण, कुफरी दक्ष, कुफरी संगम और कुफरी चिपसोना-5 किसानों को उच्च उत्पादन और अच्छा मुनाफा देने में सक्षम हैं।

आइए, इन सभी किस्मों के बारे में विस्तार से जानते हैं -

1. कुफरी लोहित (Kufri Lohit)

  • यह किस्म पूर्वी एवं मध्य मैदानी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है।

  • यह पिछेता झुलसा रोग के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है।

  • किसान यदि इसकी बुवाई करते हैं, तो लगभग 90 दिनों में 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।

2. कुफरी माणिक (Kufri Manik)

  • कुफरी माणिक जल्दी पकने वाली किस्म है।

  • इसमें लौह (Iron) और जिंक (Zinc) तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।

  • यह किस्म पूर्वी मध्य मैदानी क्षेत्रों के लिए उत्तम है।

  • किसान इससे 300 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की उपज प्राप्त कर सकते हैं।

3. कुफरी जामुनिया (Kufri Jamunia)

  • यह विशेष किस्म बैंगनी रंग के छिलके और गूदे वाली होती है।

  • इसमें एंथोसायनिन नामक प्राकृतिक रंगद्रव्य पाया जाता है, जो एक लाभकारी एंटीऑक्सीडेंट है।

  • किसान इस किस्म से 100 दिनों में 320 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज प्राप्त कर सकते हैं।

 4. कुफरी फ्राईसोना (Kufri Frysona)

  • यह किस्म भारत के उत्तरी मैदान क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है।

  • इसे विशेष रूप से फ्रेंच फ्राइज और फास्ट-फूड इंडस्ट्री के लिए विकसित किया गया है।

  • किसान इसे 110 से 120 दिनों में तैयार कर सकते हैं और 300 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन पा सकते हैं।

5. कुफरी नीलकंठ (Kufri Neelkanth)

  • यह मध्यम अवधि की किस्म है, जो लेट ब्लाइट और वायरस रोगों के प्रति सहनशील है।

  • इससे किसान लगभग 380 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।

6. कुफरी चिपसोना-3 (Kufri Chipsona-3)

  • यह किस्म चिप्स बनाने के लिए विशेष रूप से उपयोगी है, इसलिए बाजार में इसकी मांग बनी रहती है।

  • किसान इसे केवल 120 दिनों में तैयार कर सकते हैं और 300 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उपज पा सकते हैं।

7. कुफरी उदय (Kufri Uday)

  • यह किस्म किसानों के लिए मुनाफे का सौदा है।

  • किसान इसे 80 से 90 दिनों में तैयार कर सकते हैं।

  • यह उत्तर भारत के मैदानी इलाकों के लिए अत्यंत उपयुक्त है।

  • इससे 360 से 380 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की बंपर पैदावार मिल सकती है।

8. कुफरी बहार (Kufri Bahar)

  • यह जल्दी पकने वाली किस्म है, जो उत्तरी मैदानी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है।

  • यह केवल 90 दिनों में तैयार हो जाती है और 300 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उपज देती है।

  • इसकी खेती कर किसान कम समय में अच्छी आमदनी अर्जित कर सकते हैं।

9. कुफरी दक्ष (Kufri Daksh)

  • यह किस्म सूखे और सीमित सिंचाई की परिस्थितियों में भी बेहतर प्रदर्शन करती है।

  • पश्चिमी, मध्य एवं पूर्वी पठारी क्षेत्रों के किसान इसे 90 से 100 दिनों में तैयार कर 300 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उपज प्राप्त कर सकते हैं।

10. कुफरी संगम (Kufri Sangam)

  • यह एक संकर (Hybrid) किस्म है, जो दो श्रेष्ठ प्रजातियों से विकसित की गई है।

  • यह पिछेता झुलसा रोग के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है।

  • किसान इसे 100 दिनों में तैयार कर सकते हैं और 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की तगड़ी उपज पा सकते हैं।

11. कुफरी चिपसोना-5 (Kufri Chipsona-5)

  • यह किस्म भारतीय मैदानी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है।

  • इसके कंद सफेद, गोल और अंडाकार आकार के होते हैं।

  • यह किस्म 90 से 100 दिनों में पककर तैयार हो जाती है और 30 से 35 टन प्रति हेक्टेयर (यानी लगभग 300 से 350 क्विंटल) की उपज देती है।

12. कुफरी किरण (Kufri Kiran)

  • यह उच्च गुणवत्ता वाली किस्म है, जो उत्तरी केंद्रीय मैदानी, पूर्वी तटीय मैदानी और पश्चिमी पठारी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है।

  • यह उष्मारोधी (Heat Tolerant) किस्म है, जो अधिक तापमान पर भी कंद बनाने की क्षमता रखती है।

  • किसान इससे 80 से 90 दिनों में औसतन 300 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की उपज प्राप्त कर सकते हैं।

English Summary: Top 12 potato varieties farmers will earn substantial profits with yields up to 400 quintals per hectare Published on: 13 November 2025, 10:29 AM IST

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